पटाखों पर पूरी तरह लगना चाहिए। पटाखों से न केवल वातावरण प्रदूषित होता है, बल्कि हजारों लोग बीमारियों से ग्रसित होते हैं। यदि इस बार भी ऐसा हुआ तो खतरा काफी बढ़ सकता है। महामारी के इस दौर में कोरोना पीडि़त लोगों को फेफड़ों से संबंधित बीमारियां तेजी से हो रही है। ऐसे में पटाखों का धुआं कोरोना, अस्थमा सहित कई दूसरी बीमारियों से पीडि़त मरीजों को और भी अधिक प्रभावित करेगा। स्थिति को देखते हुए पटाखों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा देना चाहिए। जान है तो जहान है।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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कोविड-19 के चलते समूचा विश्व भय और त्रासदी से ग्रसित है। यह रोग संक्रामक है, असाध्य है। ऐसी विषम परिस्थितियों में प्रशासन व सरकार के निर्देशों की अनुपालना करते हुए प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाया जाना आवश्यक है। अत: पूर्ण रूप से पटाखों पर प्रतिबंध लगना चाहिए, ताकि पटाखों से निकलने वाला धुआं हवा में सम्मिलित होकर श्वसन तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचा सके, यह रोग श्वसन तंत्र को ज्यादा प्रभावित करता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। एतदर्थ प्रदूषण से मुक्ति के लिए निश्चित तौर पर पटाखों पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
-विद्याशंकर पाठक, सरोदा, डूंगरपुर
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दीपावली पर पटाखों की शुरुआत केवल प्रतीकात्मक थी, पर व्यापार ने इसे जहरीला बना दिया। पटाखों पर कोरोनाकाल मे ही नहीं सभी समय प्रतिबंध लगे। प्रदूषण रहित पटाखों की अनुमति सरकार दे सकती है। दीपोत्सव दीपों का त्योहार है। इसलिए पटाखों की कहां जरूरत है। यह सब व्यापारियों का फैलाया जाल है।
-ओम हरित फागी, जयपुर
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पटाखों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। जनहित को ध्यान में रखते हुए इस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए। बीमारियों से ग्रसित नागरिकों को इससे श्वास लेने में तकलीफ बढऩे की आशंका बढ़ जाती है। बहरहाल पटाखे चलाना रूढि़वादी परम्परा का हिस्सा है। बिना पटाखे चलाए भी खुशिया मनाई जा सकती हैं!
-कुमेर मावई, हरनावदा गजा
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वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से से पीडि़त है। कोरोना संक्रमण को रोकने व मरीजों की जान बचाने के लिए पटाखों के चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध अत्यंत आवश्यक है। इस महामारी को पराजित करने के लिए हमें सावधान और सचेत रहना होगा। दीपावली पर पटाखे चलाएंगे, तो कोरोना रोगियों की हालत बिगड़ेगी, क्योंकि पटाखों से प्रदूषण फैलेगा और वातावरण प्रदूषित होगा। इसका सीधा प्रभाव कोरोना रोगियों के श्वसन तंत्र पर पड़ेगा। रोगियों को भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अत: जनहित को ध्यान में रखते हुए पटाखों पर पूर्ण रोक लगाना अति आवश्यक है।
-सुनिता पंचारिया, गुलाबपुरा,भीलवाड़ा
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कोरोना महामारी अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बीमारी से फेफड़े सबसे अधिक संक्रमित होते हैं। पटाखों से वातावरण दूषित होता है और लोगों को श्वास लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा सहित अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों, बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ।
-सुरेश सर्वहारा, कोटा
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कोरोना के कारण पटाखों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। पटाखों से वातावरण दूषित होता है। बेहतर तो यह है की हम पटाखों पर होने वाला खर्च किसी की मदद करने में लगाएं।
– दिनेश चितलगी, सूरत
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पटाखों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि पटाखों से निकलने वाला धुआं वातावरण के चारों तरफ एक ऐसे परत का निर्माण कर देता है जिससे वातावरण में धीरे-धीरे ऑक्सीजन की कमी होना प्रारंभ हो जाती है। कोरोना से ग्रसित मरीजों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। हमें पता है कि कोरोना से ग्रसित मरीजों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है, जिस कारण उन मरीजों को बुहत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अत: दीपावली पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना अति आवश्यक है
-अनेश सैनी, जयपुर
पटाखों पर रोक लगना चाहिए, क्योंकि कोरोना मरीजों को सांस की समस्या रहती है। अगर हम पटाखे जलाएंगे तो वायु प्रदूषण और बढ़ेगा, जिससे उन्हें सांस लेने में और समस्या होगी। इससे कोरोना से मौतों का आंकड़ा भी बढ़ जाएगा।
-गोविंदराम सरगरा, सालावास, जोधपुर
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यह प्रश्न उन पटाखा उत्पादकों के हित से भी जुड़ा है, जिन्होंने वर्षभर पटाखे बनाए हैं और दीपावली पर अधिकाधिक बिकने की उम्मीद पाल रखी है। उनका भी ध्यान रखना होगा। हमें पता है प्रदूषण में बड़ा योगदान वाहनों का होता है। बात यदि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की हो रही है, तो प्रतिबंध लगाने की बजाय हमें पर्यावरण अनुकूल पटाखों के प्रयोग की दिशा में बढऩे की जरूरत है। पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की बजाय उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकने पर ध्यान देना जरूरी है।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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कोरोना के कारण पटाखों पर प्रतिबंध लगना आवश्यक है। दीपावली पर लोग हर गली मोहल्ले में खूब आतिशबाजी करते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण फैलता है। इसका श्वसन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
-अंचल राठौर, बूंदी
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दीपावली पर पटाखे चलाने पर प्रतिबंध लगाने से समस्या का हल नहीं होने वाला। कोरोना के प्रति जागरूकता व सावधानी जरूरी है। क्या वाहनों व कारखानों के धुएं से कोरोना मरीज परेशान नहीं होते हैं ?
-प्रेम शर्मा रजवास, टोंक
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पटाखों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि पटाखों से पैदा होने वाले धुएं का सभी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह के धुएं की वजह से वातावरण दूषित हो जाता हैं और लोग लंबे समय तक अस्थमा, सीओपीडी जैसी बीमारियों से परेशान होते हैं। कोरोना पीड़ितों के लिए तो यह धुआं मारक साबित हो सकता है।
-कल्पेश कटारा, पारड़ामेहता, डूंगरपुर
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अगर दीपावली के पर्व पर पटाखे फोड़े गए, तो इसके दूषित धुएं के कारण कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को बहुत तकलीफ होगी। इससे उनकी मौत भी हो सकती है। अत: पटाखों पर प्रतिबंध लगना ही चाहिए।
-शान्तिलाल राजपुरोहित, डिंडोली, सूरत
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पटाखों पर रोक लगनी चाहिए। इससे कई फायदे हैं। कोरोना मरीज को सांस लेने मे तकलीफ नहीं होगी। वायु प्रदूषण कम होगा। पटाखों पर खर्च होने वाले पैसे बचेंगे। पटाखे जलाते समय होने वाले हादसों से बचाव होगा।
-दिनेश पारीक, बीकानेर
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वर्षों से लोग पटाखों के साथ दीवाली मनाते आ रहे हैं। कोरोना या प्रदूषण का बहाना बना कर प्रतिबंध लगाने से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय कुछ सुधार किये जा सकते हैं। जैसे कम आवाज और कम प्रदूषण वाले पटाखों की बिक्री को ही अनुमति देना।
रामराय यादव, शिवदासपुरा, जयपुर
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पटाखों पर पूर्णतया प्रतिबंध होना चाहिए। वैसे भी पर्यावरण की दृष्टि से पटाखे चलाना हानिकारक है। पटाखो से जीव हिंसा होती है। इससे हादसे भी होते हैं।
-सागरमल बोहरा, धारियावद
……………….. जरूरी है फैसला
कोरोना वायरस का संक्रमण भयावह रूप से बढ़ता जा रहा है। यह मानव के श्वसन तंत्र को अधिक प्रभावित करता है। ऐसे में दीपावली के पर्व पर पटाखों के उपयोग से संक्रमित हुए मरीजों को परेशानी होगी। अत: सरकार को पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। यह निर्णय मानव और पर्यावरण दोनों के हित में होगा।
-डॉ. पवन बुनकर, अचरोल जयपुर