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आपकी बात, कानून के बाद भी बाल विवाह क्यों नहीं रुक रहे?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था, पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

नई दिल्लीOct 21, 2020 / 06:17 pm

shailendra tiwari

child marriage in bhilwara

child marriage in bhilwara

अभिशाप है बाल विवाह
भारत में बाल विवाह आज भी चिंता का विषय है। बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। कम उम्र में विवाह से लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीडऩ का सामना करना पड़ता है। शिक्षा के अवसर कम हो जाते हंै। बाल विवाह लड़कियों के लिए सदा एक अभिशाप ही रहा है। बाल विवाह रोकने के लिए समय-समय पर कई कानून भी बनाए गए, लेकिन आज भी समाज में बाल विवाह का कलंक ज्यों का त्यों बना हुआ है। आज भी न जाने कितनी मासूम लड़कियां कम उम्र में ही ब्याह दी जाती हैं। जिस उम्र में उन्हें पढ़ाई-लिखाई करनी होती है, उस उम्र में वे अपनी गृहस्थी का बोझ संभालती नजर आती हंै।
-ऋतिका आर्य, जयपुर
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न समझें लड़कियों को बोझ
बाल विवाह अभिशाप है। आश्चर्य की बात है कि इस कुप्रथा को समाज का पढ़ा-लिखा तबका भी अपनाए हुए है। पढऩे-लिखने की कच्ची उम्र मं नन्हें-मुन्नों को विवाह बंधन में बांध उनका भविष्य बर्बाद कर दिया जाता है। गरीबी, लड़कियों की शिक्षा का कम स्तर तो समस्या का कारण है ही लड़कियों को आर्थिक बोझ समझने की मानसिकता भी बाल विवाह जैसी कुरीतियों को बढ़ावा देती है। इस कुप्रथा को रोकने के लिए बालिकाओं के पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना होगा। गरीबों के लिए रोजगार देने वाले कार्यक्रम चला कर इन परिवारों में होने वाले बाल विवाहों को नियंत्रित किया जा सकता है। बाल विवाह के दुष्परिणामों से अभिभावकों को अवगत करा कर भी इस पर रोक लगायी जा सकती है। मात्र कानून बना देने से कुछ नहीं होता है, उन्हें अमल में लाने के लिए सामाजिक जागरूकता भी बहुत जरूरी है। साथ ही स्थानीय स्तर पर सेवाभावी लोगों द्वारा समय-समय पर कैम्पेन चला कर बाल विवाह के नुकसान से लोगों को अवगत कराना चाहिए।
-नरेश कानूनगो, बेंगलुरु
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समाज निभाए जिम्मेदारी
बाल विवाह एक सामाजिक समस्या है और इसका हल सामाजिक जागरूकता से ही सम्भव हो सकेगा। केवल कानून बनाने से यह कुरीति खत्म नहीं होने वाली है। अगर इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करना है तो इसके लिए समाज को ही आगे आना होगा तथा बालिकाओं के पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना होगा। समाज में शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। अभिभावकों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना होगा। सरकार को रोजगार के विभिन्न कार्यक्रम भी चलाने होंगे, ताकि गरीब परिवार गरीबी की जकड़ से मुक्त हो सकें और इन परिवारों की बच्चियां बाल विवाह का निशाना न बन पाएं।
-रघुवीर सुथार, जयपुर
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जरूरी है जागरूकता
यौन अपराधों की घटनाओं के कारण हर वर्ग डरा सहमा और आशंकित रहता है। ऐसे वातावरण में लोग अपनी बेटी को बाहर पढऩे भेजने से भी डरने लगे हैं। इसी डर से निजात पाने के लिए अभिभावक अपनी बेटी की छोटी उम्र में शादी कर देना चाहते हैं। यही कारण हैैं कि आज भी बड़े पैमाने पर बाल विवाह होते हैंं। बाल विवाह रोकने के लिए सरकार को समाज में जागरूकता व शिक्षा का प्रसार करना चाहिए। मीडिया इसे रोकने में प्रमुख भागीदारी निभा सकता है। गरीबी उन्मूलन पर ध्यान देना भी जरूरी है। पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधि व अधिकारियोंं को बाल विवाह रोकने के लिए पाबंद किया जाना चाहिए।
-उगा राम प्रजापत, जोधपुर
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सुरिक्षत नहीं बेटियां
बाल विवाह की मुख्य वजह समाज में जागरूकता की कमी है। यह भी देखा गया है कि समाज में आए दिन दुष्कर्म हो रहे हंै। इसलिए लोगों में एक भय का माहौल बना हुआ है। ऐसे में अभिभावक अपनी बेटी के जल्दी से हाथ पीले करना चाहते हैं। इसलिए देश में दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान होना बहुत जरूरी है। समाज में बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभावों के बारें में लोगों को जागरूक करने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
-जयन्ति लाल, जालोर
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गरीबी और अंधविश्वास बड़ा कारण
बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इसका निदान सामाजिक जागरूकता से ही संभव है। इसके लिए समाज को आगे आना होगा तथा बालिकाओं के पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना होगा। समाज मे शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। अभिभावकों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना होगा। सिर्फ कानून बना देने से इस सामाजिक बुराई से छुटकारा नहीं मिल सकता। भारत के कुछ इलाकों में लड़कियों की शादी कम उम्र में सिर्फ इसलिए कर दी जाती है कि उनके ससुराल चले जाने से दो जून की रोटी बच जाएगी और कुछ लोग अंधविश्वास के चलते बाल विवाह पर जोर देते हैं।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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कानून का क्रियान्वयन भी हो
बाल विवाह को रोकने के लिए प्रर्याप्त कानून हैं, परन्तु उसके क्रियान्वयन में विभिन्न स्तरों पर बरती जा रही ढिलाई के कारण समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा। आज आवश्यकता इस बात की है कि कानून का क्रियान्वयन कड़ाई से किया जाए। साथ ही बाल विवाह रोकने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा की जाएग व शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए ।
-श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ़, अजमेर
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चिंतित हैं अभिभावक
देश में अब भी बड़ी संख्या में लोग अशिक्षित हैं। देश मे बढ़ रहे यौन शोषण से जुड़े अपराधों को देखते हुए लोगों की मानसिकता ऐसी हो रही है की वे जल्द से जल्द अपने बच्चों का विवाह करने की कोशिश करते हैं।
-पंकज मेघवाल, दिगोद, कोटा
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समाज और परिवार का दबाव
प्रदेश का शिक्षित युवा चाहते हुए भी बाल विवाह को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा पाता है। इसका मुख्य कारण है, परिवार व सामाज का दबाव।
-जेठाराम भादु, बावड़ी, जोधपुर
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क्रियान्वयन जरूरी
कानून बनाना ही पर्याप्त नहीिं है। उसका क्रियान्वयन भी होना जरूरी है। कानून बनाने से पहले उसका ठीक तरीके से पालन करा पाएंगे या नहीं करा पाएंगे, इस पर सरकार को विचार-विमर्श करना चाहिए ताकि कानून बने भी और उसका अच्छे से पालन भी हो सके। साथ ही कोई भी व्यक्ति कानून को अपने से ऊपर ना समझे।
– सन्नी ताम्रकार, दुर्ग, छत्तीसगढ़
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शिक्षा और जागरूकता जरूरी
भारत के ग्रामीण क्षेत्र अब भी अशिक्षा और गरीबी से ग्रस्त हैं। यहां के लोग बरसों पुरानी कुरीतियों और अंधविश्वासों से जकड़े हुए हैं। ये अपनीं रूढि़वादी परम्पराओं के सामने कानून की भी परवाह नहीं करते हैं। ऐसे में शिक्षा और जागरूकता से ही बाल विवाह रोके जा सकते हैं ।
-सुरेश सर्वहारा, कोटा
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कठोर कानून जरूरी
शिक्षा की कमी, रूढि़वादिता एवं अंधविश्वास के कारण आज भी बाल विवाह एक गम्भीर समस्या है। लोगो की निम्नस्तरीय सोच के कारण लड़की को परिवार पर बोझ समझा जाता है, जिससे बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को अधिक बल मिलता है। सरकार को बाल विवाह कानून में संशोधन कर कठोर कानून बनाना चाहिए, तभी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओÓ जैसे नारे सार्थक सिद्ध होंगे ।
-अनिल डोली, जोधपुर
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समाज को जगाना होगा
कानून के बावजूद बाल विवाह नहीं रुकने के पीछे मुख्य वजह यह है कि परिवार एवं समाज रूढि़वादिता, गरीबी, अशिक्षा एवं परंपराओं के चलते स्वयं बाल विवाह करना चाहते हैं। बालक व बालिका को इतनी समझ नहीं होती कि उनके साथ बुरा हो रहा है। वह मात्र खेल-खेल में शादी के बंधन में बंध जाते हंै। हमें समाज को जागृत करना होगा तथा प्रत्येक गांव में एक टास्क टीम का गठन करना होगा, जो वोट की राजनीति से परे होकर जन जागरूकता अभियान चलाए। समझाइश से लेकर आवश्यकता होने पर विधिक कार्रवाई के लिए भी पहल करे।
-रमेश भाखर, फागलवा, सीकर
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प्रशासन की निष्क्रियता जिम्मेदार
कानून के बावजूद भी अगर बाल विवाह नहीं रूक रहा है, तो इसका प्रमुख कारण है प्रशासन की निष्क्रियता। जागरूकता के अभाव, अशिक्षा, गरीबी, परम्परावादी सोच बाल विवाह को बढा़वा देती है। इसलिए प्रशासन व समाज के मिलकर लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाना चाहिए।
-आयुषी मीणा, प्रतापगढ़
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अभिशाप खत्म हो
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, शिक्षा की कमी, बेटी को बोझ समझन, गरीबी, बेरोजगारी की वजह से बाल विवाह रुक नहीं रहे हैं। केवल कानून बनाने से ही यह सामाजिक बुराई खत्म नही होने वाली। यह एक सामाजिक अभिशाप है, जो सामाजिक जागरूकता से ही खत्म हो सकता है। अगर मां बाप जागरूक हो जाएं, तो यह कुप्रथा शीघ्र ही खत्म हो जाए।
-विजेंद्र कुमार जांगिड़, जयपुर
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मातृशक्ति को जागरूक किया जाए
बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है इसे जड़ से खत्म करने के लिए इससे होने वाले नुकसान से हर व्यक्ति को अवगत कराना होगा। खासकर मातृशक्ति को जागरूक करना होगा।
-स्वरूप गोस्वामी, इंद्रा नगर बाड़मेर
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कानून का कड़ाई से पालन करवाया जाए
अज्ञानता, पिछड़ापन, बलात्कार की बढ़ती घटनाएं एवं कानून की सख्ती से पालना नहीं हो पाने से आज भी कम उम्र में बच्चों की शादी कर दी जाती है। इसका लड़कियों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समाज में बाल विवाह के खिालाफ जागरूकता फैलाने के साथ ही कानून का कड़ाई से पालन करवाया जाए।
-विजेंदर बाना, बीकानेर
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अपूर्ण है कानून
बाल विवाह नहीं रुकने के प्रमुख कारणों में सामाजिक विविधता, आर्थिक विषमता, जागरूकता का अभाव, रूढि़वादिता, अशिक्षा और वर्तमान समय में हो रही शीलहरण की घटनाएं हंै। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बाल विवाह रोकने के कानून भी अपूर्ण हंै। अत: जागरूकता बढ़े, कठोर कानून बनें।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर

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