scriptकृषि विकास | agricultural development | Patrika News
ओपिनियन

कृषि विकास

अब समय आ गया है जब राजस्थान ही नहीं, देश के सभी राज्यों में कृषि, किसान और पशुपालन के …

Jan 16, 2015 / 12:12 pm

Super Admin

अब समय आ गया है जब राजस्थान ही नहीं, देश के सभी राज्यों में कृषि, किसान और पशुपालन के विकास की नवीनतम तकनीक के साथ इससे जुड़ी अर्थव्यवस्था को नई गति देने के प्रयास किए जाएं। गुजरात और पंजाब की तर्ज पर राज्य सरकार का “रिसर्जेट राजस्थान” का आयोजन कृषि क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ इसे उद्योग का रूप देने की दिशा में सार्थक कदम माना जा सकता है।

राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत देश के अनेक राज्यों में कृषि के विकास को लेकर अनेक प्रभावी नीतियां बनाई जा चुकी हैं, अनेक सेमीनार भी हो चुके हैं। जरूरत ऎसी नीतियों का मूल्यांकन करने की भी है कि इससे हमने क्या पाया और क्या खोया? साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि कृषि का विकास तो हो, लेकिन आम आदमी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाए। गंदे नालों के पानी से पैदा होने वाली सब्जियां स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है। इसे रोकने के उपायों पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

दुनिया के अनेक देश दशकों से कृषि को उद्योग और निवेश का मंच बनाकर अच्छी उपलब्धि अर्जित कर रहे हैं। यह सच्चाई है कि एक जमाने में कृषि सिर्फ परिवार का पेट पालने का साधन भर समझा जाता था, लेकिन विज्ञान की तरक्की के साथ-साथ नए दौर में कृषि उन्नत स्वरूप लेता जा रहा है। कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी ऎसा ही क्षेत्र है जहां परम्परागत तरीकों को छोड़कर नए तरीके अपनाए जाने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। कहना न होगा कि आज खेती का रकवा तो घट ही रहा है, साथ ही खेती से पलायन भी तेजगति से जारी है।

कृषि पर आधारित परिवार रोजी-रोटी की तलाश में शहरों की ओर आ रहे हैं। वजह सीधी है उन्हें अपनी मेहनत का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। अच्छी बात है कि “रिसर्जेट राजस्थान” के आयोजन को राज्य सरकार सिर्फ प्रचार का माध्यम नहीं मानकर इसे वास्तव में कृषि विज्ञान की नई ऊंचाइयां छूना मान रही है। कृषि के साथ पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बागवानी, फूड प्रोसेसिंग और फूड पैकेजिंग जैसे क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और विज्ञान व आधुनिक तकनीक के साथ इसे उद्योग के रूप में लिया जाए तो कमाई के अधिक अवसरों के साथ-साथ इसमें निवेश की संभावनाएं भी पैदा की जा सकती हैं।

पिछले दस सालों में उन्नत कृषि के नाम पर विदेशी दौरों पर खर्च किए गए धन और इससे मिली सफलता का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि अब तक हुए प्रयास क्या रंग ला पाए। सरकारों की कोई भी पहल सार्थक तभी मानी जाएगी, जब वह इसके उद्देश्यों की पूर्ति में सफल हो।

Home / Prime / Opinion / कृषि विकास

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो