scriptकमाल के करतबी | Amazing stuff | Patrika News
ओपिनियन

कमाल के करतबी

अपने नीतीश भाई तो कमाल के करतबी निकले। हमें तो लग रहा था कि वे दृढ़ रहकर
अपने मंत्रिमंडल से लालू प्रसाद यादव के  पुत्र को कान पकड़ कर बाहर
करेंगे। लेकिन उन्होंने तो कमाल ही कर डाला। ‘नायक’ बनने की बजाय दूसरे
दर्जे के उपनायक बन गए

Jul 29, 2017 / 12:15 am

शंकर शर्मा

Nitish Kumar

Nitish Kumar

व्यंग्य राही की कलम से
बड़े-बूढ़े कहा करते थे- फिसल गये तो हर हर गंगे… यानी गंगाजी में नहाने का कतई मन नहीं था लेकिन जब गंगा तट पर फिसल कर पानी में जा ही पड़े तो ‘हर हर गंगे’ बोलकर स्नानपुण्य लाभ कमाने में हमारे बाप का क्या जाता है। इसे उच्च दर्जे का ढोंग कह सकते हैं।

हमें हार्दिक प्रसन्नता है कि आज भारतीय राजनीति परम ढोंगावस्था को प्राप्त कर चुकी है। अगर अब भी हम नेताओं के द्वारा उच्चारित वाक्यों, वादों, बातों पर विश्वास करते हैं तो कसम से हमारे जैसा मूर्ख, बेवकूफ, उल्लू दूसरा नहीं हो सकता है। असल में हम भी इस देश के सामान्य जनों की तरह विश्वासी इंसान हैं।

झूठ हम भी बोलते हैं। लेकिन तब ही ‘असत्य’ का सहारा लेते हैं जब हमारे ‘सत्य’ से किसी का गला कट रहा हो। इसीलिए हम अपने को ‘नालायक’ और ‘असफल’ मानते हैं। लेकिन अपने नीतीश भाई तो कमाल के करतबी निकले। हमें तो लग रहा था कि वे दृढ़ रहकर अपने मंत्रिमंडल से लालू प्रसाद यादव के पुत्र को कान पकड़ कर बाहर करेंगे। लेकिन उन्होंने तो कमाल ही कर डाला। ‘नायक’ बनने की बजाय दूसरे दर्जे के उपनायक बन गए। ‘लालू’ के चंगुल से निकल ‘मोदी’ की गोद में जा चढ़े। अरे भाई आदर्शवादी! कुछ तो ‘जनमत’ का सम्मान किया होता। रातों-रात पाला बदल लिया।

ऐसा ही करतब एक बार हरियाणा में चौधरी भजन लाल कर चुके हैं। अपने सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल के साथ जनतापार्टी छोड़कर ‘कांग्रेस’ में जा घुसे। भजन लाल को भारतीय राजनीति में ‘आयाराम-गयाराम’ के नाम से जाना जाता था। क्या फर्क रहा भजन और नीतीश में? सच कहें। अब तो हमें ऐसे उच्च श्रेणी के ‘ईमानदारों’ से भी घबराहट होने लगी है। ‘बेईमान’ कम से कम बहादुर तो होते हैं। वे अपने कहे पर डटे रहते हैं। हालांकि उनका स्थान जेल में होना चाहिए। पर ऐसी ईमानदारी का क्या अचार डालें जो ‘जनमत’ की अवहेलना कर खुद की कुर्सी में रमे रहे।

Home / Prime / Opinion / कमाल के करतबी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो