सरकार की नीतियां गरीबी उन्मूलन में विफलता का कारण नहीं हैं। मुख्य कारण भ्रष्टाचार है। भारत में सामाजिक सुरक्षा के नाम पर तरह-तरह की योजनाएं चल रही हैं, परन्तु लगभग सारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ जाती हैं और इन सभी योजनाओं का परिणाम कोई खास नहीं निकलता।
-अजय सिंह सिरसला, चुरू
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गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा नीतियां तो बहुत बनाई गई हैं लेकिन इन नीतियों का धरातल पर प्रभावहीन होना एक मुख्य कारण है। इसके साथ ही बढ़ती जनसंख्या, भ्रष्टाचार, समाज की सक्रियता में कमी, बेरोजगारी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी, कौशल उन्नयन की कमी, स्वरोजगार के अवसर में सरकारों की काम चलाऊ नीतियां जिम्मेदार हैं।
-संजय माकोड़े बडोरा, बैतूल
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आजादी के बाद से गरीबी उन्मूलन के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आज तक गरीबी उन्मूलन नहीं हो सका। हां, गरीबी उन्मूलन के नाम पर अफसरों के मजे हो गए। इसका मूल कारण भ्रष्टाचार एवं अफसरशाही है। जब तक सही समझ के साथ नीतियां नहीं बनाई जाएंगी और उनका निष्ठापूर्वक क्रियान्वयन नहीं होगा, हालात में परिवर्तन नहीं होगा।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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आर्थिक विषमता बढ़ाने वाली नीतियों के कारण देश में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या भी एक कारण है। यहां हम-सब जानते हैं कि हमारे संसाधन सीमित हैं। सीमित संसाधनों को सब लोगों तक पहुंचा पाना मुश्किल ही नहीं असम्भव है। गरीबी दूर करने के प्रयास किए जाते हैं, परन्तु नीतियां ऐसी बनाई जाती हैं, जिससे सामाजिक विषमताओं को मजबूती मिलती है। विषमता बढऩे से गरीबी के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो जाती है
-डॉ. अशोक,पटना,बिहार।
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गरीबी उन्मूलन में सफलता नहीं मिलने का कारण नीतियों का गलत होना नहीं है, बल्कि गरीबी उन्मूलन के लिए बनाई गई नीतियों का सही रूप से क्रियान्वयन ना होना है। सरकारों द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बसने वाले गरीबों के लिए बैंकों के माध्यम से एकीकृत ग्रामीण विकास योजना (आइआरडीपी ) और प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाइ) लागू की गई। इन योजनाओं के माध्यम से चयनित व्यक्तियों को रोजगार के लिए प्रशिक्षण एवं आसान किस्तों व कम ब्याज पर ऋण तथा सब्सिडी प्रदान की जाती थी। बैंकों को इन योजनाओं के हितग्राहियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लक्ष्य आवंटित किए जाते थे , जिन्हें पूर्ण करने की जवाबदारी बैंकों की होती थी। वर्तमान में भी गरीबी उन्मूलन के लिए मनरेगा ,जन धन अकाउंट एवं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाय) जैसी कई योजनाएं चल रही हैं।
-मल्ली कुमार मेहता, इंदौर
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यह सही है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम विफल हो रहा है। अपने आपको गरीब साबित करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि गरीब आदमी उन औपचारिकताओं को पूरा ही नहीं कर पाता, जो अपने आपको गरीब बताने के लिए की जानी हैं। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम सब्सिडी तक आकर रुक जाता है।
-उपेंद्र मिश्रा, सवाईमाधोपुर
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अपात्र लोगों को फायदा
गरीब लोगों को सरकारी योजनाओं का जो लाभ मिलना चाहिए, उसका लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता। उनका लाभ अपात्र लोग उठा रहे हैं, जो वास्तविक तौर पर इन योजनाओं के लिए योग्य नहीं हंै। रसूखदारों से अपनी जानकारी व पहुंच से ये लोग पात्र बन जाते हैं और गरीबों का हक छीन लेते हैं। अगर इसी तरह चलता रहा तो फिर गरीबी उन्मूलन का सपना मात्र ख्वाब बनकर रह जाएगा।
-बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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गरीब लोगों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए सरकारें विद्यालय चलाती हैं। सभी लोग शिक्षा की इस सरकारी व्यवस्था के बारे में जानते हैं। इसी कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा गरीबों को नहीं मिल पाती। शिक्षा के अभाव में गरीब लोग जिन्दगी में मिलने वाले मौके नहीं भुना पाते हैं। उनको यह पता ही नहीं है कि किस तरह से गरीबी के कुचक्र को तोड़ा जा सकता है। कुछ गरीब शिक्षा को महत्वहीन मानते हैं। वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय उनसे काम करवा कर परिवार की आमदनी बढ़ाना पसंद करते हैं। उचित शिक्षा के अभाव में आगे बढऩे के अवसर लोगों के हाथ से निकल जाते हैं।
-विनोद भादू नोखा बीकानेर
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लोकलुभावन नीतियों के कारण गरीबी उन्मूलन के प्रमुख तत्वों जैसे बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास आदि पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। इस प्रकार गरीबी आजाद भारत में भी एक प्रमुख समस्या बनी रही। दूसरी ओर जो कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं बनीं, लेकिन सरकारी तंत्र का भ्रष्टाचार, जन जागरूकता की कमी आदि के कारण गरीबी बरकरार रही। इस प्रकार गलत नीतियों के साथ-साथ योजनाओं के क्रियान्वयन में गहरी खामियां होने के कारण गरीबी उन्मूलन नहीं हो पाया।
– डॉ. पवन कुमार बैरवा, गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर
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नेता हो या जनता, सबको स्वहित ही प्रिय है। राष्ट्रहित की तो कोई सोचता ही नहीं। उत्तम नीतियां भी अनैतिकता के वातावरण में विफल हो जाती हैं। लबों पर है राष्ट्रहित दिल में भरा हुआ है स्वहित। यही वजह है कि गरीबी बढ़ती रही और गरीबों का होता रहा है अहित।
मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई
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आजादी से लेकर अब तक गरीबी उन्मूलन के लिए अनेक नीतियां और योजनाएं बनाई गईं, लेकिन हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। नीतियों के सफल न होने का मूल कारण है भ्रष्ट तंत्र और अफसरशाही से इन योजनाओं का लाभ वंचित गरीब वर्ग को मिल ही नहीं पाता। इनका लाभ वे लोग ले रहे हैं, जिनका गरीबी से कोई सरोकार ही नहीं है। योजनाएं तो बहुत बनती हैं, किंतु भ्रष्टाचार के कारण वास्तविक धरातल पर क्रियान्वित ही नहीं हो पातीं। ऐसे में नीतियों का असर तभी होगा, जब तंत्र भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी होगा। साफ है कि खामी नीति और योजनाओं में नहीं, बल्कि क्रियान्वयन में है।
-कुमकुम सुथार, रायसिंहनगर, श्रीगंगानगर