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आपकी बात, क्या बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय होते हैं?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Dec 15, 2020 / 04:09 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात,  क्या बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय होते हैं?

आपकी बात, क्या बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय होते हैं?

रैन बसेरों के नाम पर दिखावा
बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए न्यायालय के आदेशों की अनुपालना के नाम पर केवल दिखावा किया जाता है। अधिकतर शीतकाल में अस्थाई रैन बसेरों की व्यवस्था की जाती है, जिसमें मूलभूत सुविधाओं का अभाव होता है। कुछ सामाजिक एवं व्यावसायिक संस्थाएं भी रैन बसेरे की व्यवस्था करती हैं, किंतु यह बहुत सीमित होती हंै। कुछ दानवीर बेघरों को सर्दी से बचाने के लिए कंबल बांटते हैं। जन भागीदारी के साथ सरकारें बेघरों के लिए मूलभूत सुविधाओं से युक्त सशुल्क एवं निशुल्क प्रवासीय आवासों का निर्माण कर सकती है। बेघरों को सर्दी से बचाने के लिए स्थाई समाधान आवश्यक है।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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आम जनता भी मदद के लिए आगे आए
लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास सिर छिपाने की जगह नहीं है और वे फुटपाथ या ऐसे ही स्थानों पर रहते हैं। इनके पास सर्दी से बचाव के साधन नहीं हैं। यही वजह है कि हर वर्ष सर्दी से कई लोगों की मौत तक हो जाती है। अभी और ठंड तेज होगी। ऐसे में जरूरी है कि अभी से सरकार ऐसे लोगों के लिए उचित इंतजाम करे। शासन-प्रशासन को रैन बसेरों की संख्या बढ़ानी चाहिए। ये रैनबसेरे अच्छे व जरूरत के मुताबिक होने चाहिए। आम जनता को भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। गर्म कपड़े, कंबल जैसी वस्तुएं देकर इनकी मदद की जा सकती है।
-साजिद अली, इंदौर, मध्यप्रदेश
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फुटपाथ पर रहने वालों को मिले रैन बसेरों में जगह
सरकार को बेघरों के लिए रैन बसेरा की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे बेघर लोगों को राहत मिल सके। वर्तमान में फुटपाथों पर रहने वाले लोगों को सर्दी की मार सहनी पड़ रही है। यदि इनको रैन बसेरों में जगह मिल जाए, तो इनका सर्दी से बचाव हो सकता है। साथ ही प्रशासन को सर्दी के मौसम में अलाव की भी व्यवस्था करनी चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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बांटी गई सामग्री गुणवत्तापूर्ण नहीं
बेघर लोगों के लिए सर्दी का सितम कहर बनकर आता है। यही वजह है कि बेघर लोग सर्दी में सबसे ज्यादा मरते हैं। सीधा सा मतलब है कि सर्दी के इंतजाम पर्याप्त नहीं होते हैं। बहुत सारे दान दाता, एनजीओ और सरकार कंबल गर्म कपड़े व खाद्य पदार्थ बांटते हैं, परंतु बांटी गई सामग्री में गुणवत्ता का अभाव होता है।
-डॉक्टर माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, सीकर
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रैन बसेरों की कमी
शहर हो या गांव अक्सर रात्रि में बाहर निकलने पर अनायास ही सडक़ों या फुटपाथ पर अथवा किसी दुकान के आगे बेघर लोग नजर आ जाते हैं। सर्दियों में तो इनके लिए और भी चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। स्थानीय प्रशासन को इनके प्रति संवेदनशील होते हुए शहर में ही नहीं, बल्कि गांवों और कस्बों में भी रैन बसेरों का प्रबंध करना चाहिएए। अभी के उपाय पर्याप्त नहीं है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ
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सही इंतजाम नहीं
बेघर लोगों को सर्दी से बचाने को सही इंतजाम नहीं होते। वैसे तो सरकार और स्वयंसेवी संस्थान से जुड़े लोग बेघर लोगों के लिए कम्बल का इंतजाम करते हैं, मगर ये कुछ लोगों को ही मिल पाते हैं।
-शैलेंद्र गुनगुना, झालावाड़
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सरकार का नहीं ध्यान
मुझे नहीं लगता कि सरकार बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय करती है। हां, कुछ लोग जरूर सजग हैं जो बेघर लोगों की निस्वार्थ भाव से मदद करते हैं। वे कंबल और कपड़े बांटते हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बेघर लोगों की मदद करे, लेकिन वह इस तरफ ध्यान ही नहीं देती।
-सत्यम यादव, भोपाल, मध्य प्रदेश
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सरकार ठोस कदम उठाए
भारत में आजादी के 70 साल बाद भी एक बड़ा तबका मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाता। बेघर हर मौसम में बहुत कष्ट पाते हैं। सर्दी में भी उनको बहुत परेशानी होती है। सर्दी से बचाव के लिए न तो तो छत होती है और न ही गर्म कपड़े। कुछ एनजीओ इनकी सहायता के लिए जरूर काम कर रहे हैं। सरकार को इनकी मदद के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
-चिम्माराम होडू , बाड़मेर
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जनभागीदारी जरूरी
बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए समय-समय पर सरकारी उपाय किए जाते हैं, लेकिन ये केवल मात्र कागजी खानापूर्ति ही साबित होते हैं। सरकार के साथ-साथ धार्मिक स्थलों से जुड़े ट्रस्टों और व्यवस्थापकों को भी बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए पूरी व्यवस्था करनी चाहिए। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बेघर लोगों के लिए अस्थाई निवास व्यवस्था करनी चाहिए। केवल और केवल मात्र सरकार के भरोसे बैठना सही नहीं है। जब तक आम जन की सरकार के कार्यों में सहभागिता नहीं होगी, तब तक कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता।
आशुतोष शर्मा, जयपुर
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रैन बसेरों की कमी
बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए न पर्याप्त उपाय होते हैं, न सरकार कोई रुचि दिखाती है। प्रशासनिक अमला इस बारे में गंभीर नहीं है। रैन बसेरे तो बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम होती है। इनमें सामान्य सुविधाओं का भी अभाव होता है।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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व्यवस्था का दुरुपयोग न हो
सर्दी से बचाव के लिए स्थानीय निकाय बेघर लोगों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था करते हैं।सर्दी से बचाव के लिए बिस्तर, रजाई व पीने के पानी की व्यवस्था की जाती है, ताकि बेघर लोग इन रेन बसेरो में रात आसानी से गुजार सकें और सर्दी से उनका बचाव हो सके। रेन बसेरों की संख्या बढ़ाई जाए और उनका प्रबंध सुधारा जाए। प्राय: इस तरह के समाचार भी आते हैं कि रैन बसरे में रात में लोग जुआ खेलते पाए गए। इस व्यवस्था का सदुपयोग होना चाहिए, दुरुपयोग नहीं।
-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर

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