एकजुट विपक्ष मुश्किल, क्या बदल पाएंगे देश में राजनीति के रंग
भाजपा से नाता तोड़ राजद के साथ बिहार में नई सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार का नाम भी अब नेताओं की उस लम्बी सूची में शुमार हो चुका है, जिसमें राहुल गांधी, ममता बैनर्जी, के. चन्द्रशेखर राव और अरविंद केजरीवाल के नाम हैं जो संयुक्त विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। विपक्षी दलों में इस बात को लेकर भी होड़ मची है कि कौन-सी पार्टी भाजपा को चुनौती देने वाली मुख्य पार्टी कहलाए।
वर्ष २०२४ के आम चुनावों के मद्देनजर देश में राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। बड़े राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगे हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रचार अभियान शुरू कर चुके हैं। आम चुनाव से पहले 15 राज्यों में भी चुनाव होने हैं। गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान जैसे राज्यों में नई सरकारें चुनी जाएंगी। केंद्र सरकार के लिए होने वाले आम चुनाव की तुलना में राज्यों के लिए होने वाले विधानसभा चुनावों में मतदान पूरी तरह अलग होता है, इस स्थापित तथ्य के बावजूद इन चुनावों के नतीजे इस लिहाज से मायने रखते हैं कि इनके आधार पर आम चुनाव परिणामों का अनुमान लगाया जाता है। साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले चुनावों में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होगा। भाजपा से नाता तोड़ राजद के साथ बिहार में नई सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार का नाम भी अब नेताओं की उस लम्बी सूची में शुमार हो चुका है, जिसमें राहुल गांधी, ममता बैनर्जी, के. चन्द्रशेखर राव और अरविंद केजरीवाल के नाम हैं जो संयुक्त विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। विपक्षी दलों में इस बात को लेकर भी होड़ मची है कि कौन-सी पार्टी भाजपा को चुनौती देने वाली मुख्य पार्टी कहलाए।