बाइड़न का यह बयान, चीन द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की और आगे जांच में सहयोग से इनकार करने के एक दिन बाद आया। इसका मकसद नई और व्यापक अमरीकी जांच का संकेत देना बताया गया। 90 दिनों की जांच में अमरीका की कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं और संस्थान सहयोग करेंगे। इनमें वुहान लैब को अमरीकी फंडिंग पहुंचाने वाला गैर-लाभकारी संगठन इकोहैल्थ अलायंस भी शामिल है। उम्मीद की जा रही है कि जांच का यह विस्तारित दायरा खुफिया समुदाय को बेहतर दावा करने में सक्षम बनाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हम यह नहीं कह रहे कि 90 दिनों में हमारे पास जवाब होगा, हम यह कह रहे हैं कि हमारे पास अपडेट होगा और फिर देखेंगे कि हम वहां से कहां जाते हैं। यह हमारे प्रयासों को दोगुना करने और जितना हो सके, उतना पारदर्शी होने की प्रतिबद्धता है।
कुछ लोगों का कहना है कि कम संभावना है खुफिया कम्युनिटी या कांग्रेस 90 दिनों में लैब लीक परिकल्पना का निर्णायक जवाब खोजने में समर्थ होगी। बाइडन भी आशंका जता चुके हैं कि बीजिंग ने वुहान में शुरुआत में ही घटना को छुपाने के लिए जो कुछ किया, वह ‘कोविड की उत्पत्ति से जुड़ी किसी भी जांच में हमेशा बाधा डालेगा।’ यदि ठोस साक्ष्य नहीं पाए जा सकते, तो भी यह जांच के दायित्व से छुटकारा नहीं देता। यदि अधिकांश साक्ष्य वुहान लैब की ओर इशारा करते भी हैं तो क्या हमें कुछ न करते हुए अगली महामारी की प्रतीक्षा करनी चाहिए?
कुछ का कहना है कि लैब लीक जांच से जटिल और नाजुक अमरीका-चीन संबंधों के बिगडऩे का जोखिम है। ठीक है, यदि 5,90,000 अमरीकियों की मौत की सच्चाई को उजागर करने की कोशिश से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की संवेदनाओं को ठेस पहुंचने का जोखिम है भी, तो क्या हुआ? यह ‘चीन को दोष देने’ के बारे में नहीं है, यह हमारे जनस्वास्थ्य की रक्षा के बारे में है।
द वाशिंगटन पोस्ट