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विश्वास बहाली

साम्प्रदायिक तनाव
से किसी को आज तक न तो कुछ हासिल हुआ है और न हो सकता है। देश को आगे बढ़ना है तो
विकास के मार्ग पर चलकर ही लक्ष्य हासिल किया जा सकता है

Jun 04, 2015 / 10:59 pm

शंकर शर्मा

Vinay Katiyar

Vinay Katiyar

एक ही मुद्दे पर केन्द्र सरकार और भाजपा के अलग-अलग सुर अलापने को क्या माना जाए? सरकार और पार्टी की अलग-अलग राय या दुनिया दिखावा? साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां अल्पसंख्यक समुदाय को भरोसा देते नहीं थक रहे, वहीं भाजपा नेता विनय कटियार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की वकालत कर रहे हैं।

संयोग भी देखिए, जिस दिन मोदी मुस्लिम नेताओं से मिलकर उन्हें हर मदद का आश्वासन देते हैं उसके अगले ही दिन कटियार मंदिर राग छेड़ बैठते हैं। मोदी की छवि कट्टरवादी हिंदू नेता की रही है, इसे झुठलाया नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठकर वो सवा सौ करोड़ देशवासियों को साथ लेकर चलने की बात कह रहे हैं, इसे अच्छा कदम माना जा सकता है।

कम से कम दोनों सम्प्रदायों के बीच दूरी को पाटने के कदम के रूप में तो देखा ही जा सकता है। कटियार की छवि कट्टरवादी हिंदू नेता की रही है और बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष रहने के साथ-साथ वे राम मंदिर निर्माण के अभियान से जुड़े रहे हैं। कटियार ये भी जानते हैं कि राम मंदिर का मामला अदालत में विचाराधीन है और उसके फैसले पर ही भावी दिशा तय होगी। ऎसे में उनके राम मंदिर मुद्दा उठाने को क्या समझा जाए?

सरकार और भाजपा की मिलीजुली कुश्ती अथवा कुछ और? यह भी सही है कि केन्द्र में भाजपा सरकार आने के बाद कटियार को पर्याप्त महत्व नहीं मिल पा रहा। सरकार और संगठन में फिलहाल वे अलग-थलग चल रहे हैं। हो सकता है राजनीतिक सुर्खियों में बने रहने के लिए कटियार ने यह बयान अपनी तरफ से दे डाला हो। सरकार और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर असल राय क्या है, ये तो वे ही जानें लेकिन ऎसे मौके पर कटियार का बयान तर्कसंगत कतई नहीं ठहराया जा सकता। अयोध्या में मंदिर मुद्दा पिछले 25 वष्ाü से चल रहा है लेकिन इस दौरान देश ने सिवाय नफरत के और क्या पाया?

अयोध्या में मंदिर बने लेकिन उससे जरूरी सवा सौ करोड़ भारतीयों के बीच विश्वास के पुल का बनना जरूरी है। साम्प्रदायिक तनाव से किसी को आज तक न तो कुछ हासिल हुआ है और न हो सकता है। देश को आगे बढ़ना है तो विकास के मार्ग पर चलकर ही लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने सवा सौ करोड़ देशवासियों को साथ लेकर चलने की बात कही है तो उन्हें अपनी बात पर खरा उतरकर दिखाना भी होगा। ऎसा तभी हो सकता है जब कटियार और उन जैसे नेताओं पर भारतीय जनता पार्टी सार्वजनिक रूप से अंकुश लगाने का साहस दिखाए।


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