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सवाल आरोपी और गवाह का नहीं है। फैसला करने वाला तो सातवें आसमान
पर बैठा है। हमारा तो उसी पर भरोसा है

Jul 02, 2015 / 10:58 pm

शंकर शर्मा

Conspiracy

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नेताजी अचानक शून्य में ताकने लगे। लगा जैसे योग निद्रा में डूब गए हों। हमने जोर से खंकारा। दो-तीन बार उनके कान के पास जाकर पुकारा- नेताजी! उनकी खुली आंखों के सामने पहले चुटकी और फिर ताली बजाई लेकिन नेताजी अपलक अनन्त आकाश को निहारते रहे। हम घबराए। सोचा- कहीं नेताजी चल तो नहीं दिए। हमने अपने बुजुगोंü को मरते हुए देखा है लेकिन वे सब लेटे-लेटे गए थे। तो क्या नेताजी बैठे-बैठे ही शांत हो लिए।

हमने जांचने के लिए उनके कान के नजदीक जाकर कहा नेताजी सूटकेस। वे चौंक कर बोले- कहां है, कौन लाया ,खाली तो नहीं है सूटकेस। फिर अचानक हमें देख कर शरमाते हुए बोले- माफ करना मैं योगावस्था में चला गया था। हमने कहा- आप तो साक्षात् परमहंस हैं या तो योग में रहते हैं या भोग में। वे बोले हां तो तुम क्या पूछ रहे थे। हमने कहा- नेताजी। क्या कारण है कि आपके कथित “महाघोटाले” के आरोपी एक-एक करके दुनिया से जा रहे हैं।

इनमें कई तो जवान थे। नेताजी ने हमारी बात ध्यान से सुनी और फिर एक लम्बी सांस लेकर कहा- आया है सो जाएगा राजा, रंक, फकीर। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। ज्ञानीजन मरे हुओं के लिए शोक नहीं करते। मृत्यु वेटर थोड़ी है जो कमरे का दरवाजा खड़खड़ाएगी। मौत तो बिल्ली की तरह दबे पांव आती है। हमने कहा- वो तो ठीक है लेकिन वो ही क्यों मर रहे हैं जो आरोपी हैं।

जो भी कुछ बताना चाहता है वही मरा मिलता है। जेल में लोग मर रहे हैं। नेताजी ने कहा- मौत के लिए जेल और रेल में कोई फर्क नहीं। मैं यहां बैठा-बैठा मर सकता हूं और आप यहां से सड़क पर जाते ही मर सकते हैं। हमने कहा- नेताजी। यह आप सामान्य बात कह रहे हैं या भविष्यवाणी कर रहे हैं।

नेताजी ने कहा- हमारा तो काम ही भविष्य पर नजर रखना है वैसे एक बात आपको बता दे- सब मरेंगे। कोई नहीं बचेगा। नेताजी की बात सुन हम चौंके। पूछा- आपका मतलब है सभी आरोपी मरेंगे। नेताजी ने कहा- क्यों नहीं मरेंगे। कुछ आज मरे हैं तो कुछ कल मरेंगे। जो बच गए वे परसों मरेंगे। हमने फिर पूछा- क्या गवाही से पहले मरेंगे या गवाही के बाद। नेताजी ने कहा- यहां सवाल आरोपी और गवाह का नहीं है। असली फैसला करने वाला तो सातवें आसमान पर बैठा है।

हमारा तो उसी पर भरोसा है। हम सांसारिक अदालतों को मानते ही नहीं। छोटी अदालत से लेकर बड़ी अदालत तक मुकदमा चलते-चलते कई बार तो घोटाला करने वाला ही ऊपर चल देता है। वैसे एक बात कहें। आप तो अपनी चिन्ता करो। वैसे भी आजकल सड़क पर ट्रैफिक बहुत बढ़ गया है। बेकार के पचड़े छोड़ो। और कुछ किस्से कहानी लिखो। जीवन और मृत्यु का रहस्य तो अच्छे-अच्छे योगी नहीं सुलझा सके आप तो चीज ही क्या हो? और सुन लो कोई घोटाला वोटाला नहीं हुआ। ये सब विरोधियों की साजिश है। हो सकता है वही आरोपियों को मरवा रहे हो।
राही

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