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आत्मनिर्भर बनाने की पहल

आज एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत बनाना अर्थव्यवस्था एवं आम लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये जरुरी है। इस क्षेत्र के मजबूत होने से ही आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी साथ ही साथ आम लोगों को रोजगार मिलेगा

नई दिल्लीMay 18, 2020 / 02:29 pm

Prashant Jha

आत्मनिर्भर बनाने की पहल

आत्मनिर्भर बनाने की पहल

सतीश सिंह , “आर्थिक दर्पण” पत्रिका के संपादक

कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट से निपटने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा 12 मई को की और 13 मई को वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रूपये में से 6 लाख करोड़ रुपये की राहत किन क्षेत्रों को और कैसे दी जायेगी की जानकारी दी. छह लाख करोड़ रूपये में 3 लाख करोड़ रूपये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उधमों (एमएसएमई) को दिये जायेंगे, क्योंकि यह क्षेत्र पूर्णबंदी की वजह से पूरी तरह से तबाह हो चुका है. इस क्षेत्र में देशभर में करीब 6.3 करोड़ इकाईयां काम कर रही हैं और करोड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है. वित्तवर्ष 2016-17 में नॉमिनल जीडीपी में एमएसएमई का योगदान 30 प्रतिशत का था. इस क्षेत्र का इस अवधि में विनिर्मित उत्पादों में भी 45 प्रतिशत का योगदान था।

एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत बनाने की जरुरत:-
अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में एमएसएमई क्षेत्र के अहम् योगदान को देखते हुए इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिये 3 लाख करोड़ रूपये का गारंटी मुक्त ऋण दिया जायेगा. यह ऋण बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) द्वारा वैसे कारोबारी इकाईयों को दिया जायेगा, जो बैंक से कर्ज लिये हुए हैं. ऋण की राशि की गणना 29 फरवरी 2020 तक के बकाये राशि के आधार पर की जायेगी. अगर किसी एमएसएमई इकाई की बकाया राशि 29 फरवरी को 100 रूपये थी तो उसे अधिकतम 20 रूपये ऋण के रूप में दी जायेगी। ऋण का भुगतान 4 सालों में करना होगा और मूल धन के भुगतान पर एक साल का मोरेटोरियम दिया जायेगा अर्थात उक्त एमएसएमई इकाई को पहले साल मूलधन का भुगतान नहीं करना होगा। इस योजना का फायदा कारोबारी इकाइयां 31 अक्टूबर 2020 तक उठा सकेंगी। एक अनुमान के अनुसार 45 लाख एमएसएमई इकाइयां इस योजना से लाभान्वित हो सकती हैं। अन्य शर्तों में यह ऋण उन उद्योगों को दिया जायेगा, जिनका बकाया ऋण 25 करोड़ रूपये से कम हो और टर्नओवर 100 करोड़ से ज्यादा ना हो। गौरतलब है कि इस ऋण को लेने पर किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जायेगा।

कोरोना महामारी के कारण आज ऐसे अनेक कुटीर उद्योग हैं जो पूँजी की कमी के कारण अपने कारोबार को नहीं चला पा रहे हैं
ऐसे संकटग्रस्त उद्योगों को संकट से उबारने के लिये पैकेज में 20000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। माना जा रहा है कि इस सहायता राशि से लगभग 2 लाख से ज्यादा कुटीर उद्योगों को फायदा मिलेगा।
जिन क्षेत्रों में कोरोना वायरस का प्रभाव कम है वहां कई एमएसएमई इकाइयां अच्छा काम कर रही हैं. अगर ऐसी इकाइयां अपने कारोबार का विस्तार करना करना चाहती हैं तो उनके लिये सरकार ने 50 हजार करोड़ रूपये के इक्वटी निवेश की व्यवस्था करेगी और 10 हजार करोड़ रूपये का कोष भी बनायेगी, ताकि जरुरत पड़ने पर, ऐसी इकाइयों की मदद की जा सके। एमएसएमई इकाइयां सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और आर्थिक सहायता का लाभ अधिक से अधिक ले सकें के लिये एमएसएमई इकाइयों की परिभाषा बदली गई है. इससे उधमियों को कारोबार का आकार बढ़ने के बाद भी एमएसएमई से जुड़े फायदे मिलते रहेंगे. पहले एमएसएमई की परिभाषा का निर्धारण केवल निवेश के आधार पर तय किया जाता था। अब टर्नओवर के आधार पर भी इसका निर्धारण किया जायेगा. एमएसएमई के तहत मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के अंतर को भी समाप्त किया गया है. पहले 25 लाख के निवेश को सूक्ष्म इकाई कहा जाता था। अब 1 करोड़ तक के निवेश के बाद भी वह सूक्ष्म इकाई बना रहेगा. सेवा क्षेत्र में भी सूक्ष्म इकाई के लिए निवेश सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये किया गया है। अब 5 करोड़ रुपए के टर्नओवर के बाद भी वे सूक्ष्म इकाई बने रहेंगे। लघु इकाइयों के लिए निवेश की सीमा 10 करोड़ रूपये और टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 50 करोड़ रूपये कर दी गई है. मध्यम इकाइयों के लिए निवेश की सीमा को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए और टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दी गई है. इसी क्रम में स्थानीय उद्योगों को वैश्विक स्तर का बनाने के लिए 200 करोड़ रूपये से कम के लिये वैश्विक निविदा आमंत्रित करने के नियम को बदला गया है. अब 200 करोड़ रुपए से कम राशि के लिये कोई निविदा आमंत्रित नहीं की जायेगी।


एनबीएफसी को राहत:-
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लिए 45 हजार करोड़ रुपये की नकदी की व्यवस्था सरकार ने की है. एक लंबे समय से यह क्षेत्र नकदी की समस्या से जूझ रहा है. पहले भी सरकार ने इस क्षेत्र को राहत देने का काम किया है, लेकिन अभी इस क्षेत्र को और भी मदद की जरुरत है. इसलिये, एनबीएफसी के लिए 30 हजार करोड़ रुपये की अलग से विशेष व्यवस्था की गई है. सरकार ने ऐसी व्यवस्था भी की है, जिससे कम रेटिंग वाले एनबीएफसी को भी कर्ज मिले. दरअसल, समय पर पूँजी मिलने पर ही यह क्षेत्र आम लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकता है.
कर्मचारियों और छोटी कंपनियों को राहत:-
पंद्रह हजार रुपये से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों और नियोक्ताओं का भविष्य निधि अंशदान अगस्त महीने तक केंद्र सरकार करेगी, जिसपर तकरीबन 2500 करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान है. इससे 3.67 लाख कंपनियों और 72.22 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा। फायदा सिर्फ, उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी हैं और 90 प्रतिशत कर्मचारियों का वेतन 15,000 रुपये से कम है। जिनका वेतन 15 हजार रूपये से ज्यादा है, के मामले में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए भविष्य निधि में योगदान के प्रतिशत को घटाकर 12 से 10 कर दिया गया है।


टीडीएस दर में कटौती से कर्मचारियों को लाभ:
टीडीएस की दरों में 25 प्रतिशत की कमी करने का प्रस्ताव है. यह सभी प्रकार के भुगतान पर लागू होगा, चाहे वह कमीशन हो, ब्रोकरेज हो या किसी अन्य तरह का भुगतान. दरों में कमी का फ़ायदा 13 मई से मिलना शुरू होगा, जो मार्च 2021 तक लागू रहेगा. इससे लोगों को 50 से 55 हजार करोड़ रूपये तक का लाभ मिलने का अनुमान है।


ठेकेदारों को राहत और आयकर रिफंड में तेजी:-
निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों को 6 महीने तक काम में छूट दी जायेगी. यह राहत सरकारी एजेंसियों, जैसे, रेलवे, सड़क निर्माण आदि से जुड़े ठेकेदारों को भी दी जायेगी साथ ही साथ यह राहत आवास विकासकों को भी आवास निर्माण की अवधि में दी जायेगी. इसके अलावा, सभी धर्मार्थ न्यासों, गैर-कॉरपोरेट कारोबारों, पेशेवरों, एलएलपी फर्मों, भागीदारी फर्मों सहित को उनका लंबित रिफंड जल्द लौटाया जायेगा. अब तक सरकार 18,000 करोड़ रूपये का रिफंड 14 लाख करदाताओ को कर चुकी है।
निष्कर्ष:-
आज एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत बनाना अर्थव्यवस्था एवं आम लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये जरुरी है. इस क्षेत्र के मजबूत होने से ही आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी साथ ही साथ आम लोगों को रोजगार मिलेगा. मोटे तौर पर सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों का फैलाव गाँवों एवं कस्बाई इलाकों में ज्यादा है, इसलिये, एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने से ग्रामीण अर्थवयवस्था को भी मजबूती मिलेगी साथ ही साथ इससे समावेशी विकास को गति मिलेगी, जिससे हर मजदूर एवं कामगार का देश के विकास में हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सकेगी।

एनबीएफसी आज देश के दूर-दराज के इलाकों में वैसे लोगों को वित्त पोषण करने का काम कर रहा है जो आमतौर पर दस्तावेजों की कमी की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ऋण नहीं ले पाते हैं. इसलिये, इस क्षेत्र की नकदी की समस्या को दूर करना समय की मांग थी। एनबीएफसी को मजबूत बनाने से ग्रामीण आबादी को साहूकारों एवं महाजनों के जाल में फंसने से बचने में मदद मिलेगी. सरकार ने वैसे मजदूरों एवं कामगारों को भी राहत देने की कोशिश की है, जिनकी आमदनी 15 हजार रूपये से कम है साथ ही साथ सरकार ने 15 हजार से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों को भी भविष्य निधि अंशदान में छूट दी है. इस क्रम में सरकार ने छोटी कंपनियों को भी राहत देने का काम किया है. नकदी संकट से जूझ रहीं बिजली वितरण कंपनियों को राहत देने के लिए पैकेज में सरकार ने 90 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान पैकेज में किया है, जिसे मुहैया कराने का काम पीएफसी और आरईसी करेंगी। सरकार द्वारा यह कदम उठाना जरुरी था, क्योंकि किसी भी आर्थिक गतिविधि को चालू रखने के लिये औद्योगिक इकाइयों को सुचारू रूप से उन्हें बिजली मुहैया कराना जरुरी है। कहा जा सकता है सरकार ने समय रहते आमलोगों और छोटी-छोटी कंपनियों को राहत पहुँचाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की पहल की है, जिसके जल्द ही सकारात्मक परिणाम दिखने के आसार हैं।

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