ये भी जानें : इस्पात अवशेष से बनी देश की पहली सड़क, अन्य से कितनी अलग
सूरत में देश की पहली स्टील स्लैग सड़क का निर्माण किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इससे अवशिष्ट का सदुपयोग होगा और समय के साथ नष्ट होने वाली सड़क निर्माण सामग्री पर निर्भरता घटेगी।
ये भी जानें : इस्पात अवशेष से बनी देश की पहली सड़क, अन्य से कितनी अलग
सूरत में देश की पहली स्टील स्लैग सड़क का निर्माण किया गया है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद्, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ), केंद्रीय इस्पात मंत्रालय, नीति आयोग और हजीरा स्थित आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील ने मिलकर इस संयुक्त परियोजना को साकार किया है। सड़़क विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे अवशिष्ट का सदुपयोग होगा और समय के साथ नष्ट होने वाली सड़क निर्माण सामग्री पर निर्भरता घटेगी।
प्राकृतिक साधनों से कम लागत
छह लेन वाली यह सार्वजनिक सड़क हजीरा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है। सड़क का निर्माण करीब साल भर पहले शुरू हुआ था। इसके लिए स्टील के ढेरों को स्टील स्लैग तत्व में परिवर्तित किया गया। सीआरआरआई के प्रधान वैज्ञानिक सतीश पांडे के अनुसार, स्टील स्लैग रोड की निर्माण लागत आम सड़कों के मुकाबले 30 फीसदी कम आई है। यह परियोजना ‘वेस्ट टू वेल्थÓ और स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत आती है।
ऐसे बनता है स्टील स्लैग
स्टील स्लैग इस्पात की भट्टी में 1500 से 1600 डिग्री सेंटीग्रेड पर स्टील के कचरे को पिघलाकर तैयार किया जाता है। यह पिघला हुआ पदार्थ ठंडा करने के लिए स्लैग पिट्स में डाला जाता है। इससे एक स्थाई स्टील स्लैग बनाया जाता है। सीआरआरआइ अब सड़क निर्माण में स्टील स्लैग के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी करेगा।
पर्यावरण मित्र साबित होंगी
उम्मीद है कि ये सड़कें जीएचजी उत्सर्जन कम करने और सड़क निर्माण में कार्बन की भागीदारी कम करने में सहायक होंगी। इनकी लागत 1,150 रुपए प्रति वर्गमीटर आती है, जबकि बिटुमेन सड़क की 1300 रुपए और सीमेंट या कंक्रीट की सड़क की 2700 रुपए। सीमेंट और कंक्रीट से बनी सड़क 30 साल से अधिक समय तक चलती हैं, जबकि बिटुमेन और स्टील स्लैग रोड करीब 15 साल। हालांकि स्टील स्लैग सड़क की ऊपरी सतह का तापमान बाकी सड़कों के मुकाबले 1-2 डिग्री ज्यादा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे टायरों पर न के बराबर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि स्टील स्लैग 200 डिगी सेल्सियस पर पिघलता है, जबकि भीषण गर्मी में भी भारत में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस ही रहता है और इस सड़क की ऊपरी परत तो बिटुमेन से बनी है।
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