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चेहरा भी हो जवाबदेह

सात लोगों की ओर से शुरू इस अभियान को करीब 70 हजार फॉलोअर मिल गए।
धोनी भी हालांकि फ्लैट दिलाने में मदद तो नहीं कर पाए। बहरहाल उन्होंने
ब्रांड एम्बेसेडर पद से इस्तीफा जरूर दे दिया

Apr 17, 2016 / 10:15 pm

शंकर शर्मा

Opinion news

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यह एक अच्छा संकेत है। उपभोक्ता अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहे हैं। इन्हें पाने के लिए अनेक माध्यमों का उपयोग करने लगे हैं। सोशल मीडिया इसका बड़ा माध्यम बन गया है।

हाल ही नोएडा में एक बड़े बिल्डर समूह की ओर से समय पर फ्लैट नहीं देने से गुस्साए उपभोक्ताओं ने इस समूह के ब्रांड एम्बेसेडर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्दर सिंह धोनी को सोशल मीडिया पर मजबूर कर दिया कि वे या तो बिल्डर को उन्हें समय पर फ्लैट देने के लिए बाध्य करें वरना ब्रांड एम्बेसेडर पद छोड़ दें। मुहिम इतनी कारगर हुई कि सात लोगों की ओर से शुरू इस अभियान को करीब 70 हजार फॉलोअर मिल गए।

धोनी भी हालांकि फ्लैट दिलाने में मदद तो नहीं कर पाए। बहरहाल उन्होंने ब्रांड एम्बेसेडर पद से इस्तीफा जरूर दे दिया। यह पहला मौका नहीं है। पिछले वर्ष भी भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने मैगी मामले में माधुरी दीक्षित, प्रीति जिंटा और अमिताभ बच्चन को नोटिस जारी किए थे।

उसका कहना था कि ये अभिनेता/अभिनेत्री इसके प्रचार और प्रसार में लिप्त थे अत: इनकी भी विधिक जिम्मेदारी बनती है। लेकिन इस बार लोगों ने कोर्ट या प्रशासन की नहीं सोशल मीडिया की मदद ली। और धोनी को स्पष्ट संदेश भेजे कि चूंकि वे कई सालों से बिल्डर समूह का विज्ञापन कर रहे हैं और उनसे प्रेरित होकर लोगों ने प्रोजेक्ट में निवेश किया है इसलिए वे इसमें देरी अथवा अन्य कमियों की जिम्मेदारी लें। नतीजा, प्रशासन और बिल्डर भी सजग हुए और उन्होंने उपभोक्ताओं की समस्याओं पर शीघ्र वार्ता की पेशकश की है। इस घटना से मीडिया चाहे वह नया हो या पुराना। उसकी ताकत का एहसास पूरे समाज और उपभोक्ताओं को जरूर हो गया।

इसमें उन्हें बिना कोर्ट कचेहरी का चक्कर लगाए न्याय मिलने की उम्मीद बंध गई। सही भी है। जब बड़ी-बड़ी हस्तियां अपनी लोकप्रियता को भुनाने के लिए कंपनियों से करोड़ों रुपए लेकर उनके उत्पादों का प्रचार करती है तो उन्हें यह भी जान लेना चाहिए कि हजारों लोग चूंकि उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उनके प्रचार से ही प्रभावित होकर उत्पादों को खरीदते या निवेश करते हैं।

और यदि फिर ये उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतरते तो उन्हें (हस्तियों) इसकी जिम्मेदारी भी वहन करनी चाहिए। कानून को भी इन पर कार्रवाई करनी चाहिए। इससे होगा यह कि ये हस्तियां भी किसी वस्तु या सेवा का प्रचार-प्रसार करने से पहले उसे ठोक-बजा कर देख लेंगी। ऐसी कंपनियां जो सिर्फ लोकप्रिय चेहरों के बल पर अपने घटिया/अमानक उत्पाद जनता को परोस देती हैं उन पर भी लगाम लग सकेगी। जनता को पैसे और स्वास्थ्य का लाभ तो मिलेगा ही। मीडिया की ताकत के साथ सरकार को बस ऐसे मामलों में त्वरित फैसले भर लेने होंगे।

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