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आधी आबादी: मजबूती से हालात का सामना करना होगा,  इधर कुआं, उधर खाई में फंसी लड़कियां

इधर कुआं उधर खाई, शायद यह कहावत लड़कियों के लिए ही बनाई गई होगी। वे नटनी की तरह एकाग्र होकर चलने की भरसक कोशिश करें, लेकिन उनकी एकाग्रत तोडऩे और उन्हें गिराने के लिए अनगिनत तत्व मौजूद हैं।

नई दिल्लीOct 05, 2020 / 03:13 pm

shailendra tiwari

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अब मदारी, नट-नटनी के खेल पुराने हो गए। पहले ख़ूब दिखते थे। नटनी दो बांसों के बीच बंधी पतली रस्सी पर कदम साधते हुए आगे बढ़ती है। इसके लिए उसे बहुत धैर्य और एकाग्रता की जरूरत होती है। जरा ध्यान भटका कि वह गिरी। यही हाल घर से दूर रहकर पढ़ाई या नौकरी कर रही लड़कियों का होता है। खासकर उनका जिन्हें हजार हिदायतों के साथ भेजा गया हो। जिन्हें पढ़ाई के अलावा इधर-उधर झांकने तक की इजाजत ना हो, कोई मुसीबत मोल लेने की तो कतई नहीं। लेकिन अगर मुसीबत ख़ुद ही गले पड़ जाए तो? कोई मनचला पीछे पड़ जाए, छेडख़ानी करे तो? अब ईव टीजिंग डिजिटल भी हो गई है।
सोशल मीडिया पर अश्लील ट्रोलिंग, तस्वीरों का गलत इस्तेमाल, ब्लैंक कॉल्स आदि के बाद यदि लड़की पुलिस में शिकायत की सोचे तो घरवाले आंख दिखाते हैं। ‘कल को लड़के ने दुश्मनी पाल ली और कुछ अनर्थ कर दिया तो? हम तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। तुम्हे यही सब करने भेजा था? घर आ जाओ वापस।Ó ऐसी बातें जहन में आते ही लड़की पुलिस स्टेशन से अपने कदम वापस मोड़ लेती है।

बेटियों के साथ कुछ भी गलत हो, माता-पिता के ऐसे शब्द उन्हें हिम्मत देने की बजाय, उनकी रही-सही हिम्मत भी तोड़ देते हैं। पुलिस भी आसानी से सुनती नहीं है। अगर किसी पुरुष मित्र से सहायता लेती हंै, तो बाज की तरह नजर गढ़ाए लोग घर वालों को भड़का देते हैं कि तुम्हारी लड़की का फलां लड़के से चक्कर चल रहा है। ऐसे में लड़की क्या करे? अपने रास्ते बदल ले या ख़ुद को सात तालों में छुपा ले?

‘इधर कुआं, उधर खाई,Ó शायद यह कहावत लड़कियों के लिए ही बनाई गई होगी। वे नटनी की तरह एकाग्र होकर चलने की भरसक कोशिश करें, लेकिन उनकी एकाग्रत तोडऩे और उन्हें गिराने के लिए अनगिनत तत्व मौजूद हैं।

तकनीक ने जहां ईव-टीजर्स के हाथ में हथियार बढ़ा दिए हैं, वहीं लड़कियों को बचने के लिए अपने सुरक्षा कवच भी मजबूत करने होंगे। माता-पिता का भरोसा और भावनात्मक सपोर्ट लड़कियों के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच होता है। दूसरा सुरक्षा कवच है शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनना। डिफेन्स ट्रेनिंग और चौकन्ने रहने की ट्रेनिंग।

तीसरा और अंतिम सुरक्षा कवच है प्रशासनिक सावधानी। इस तरह की घटनाओं पर पुलिस का चौकन्ना होना, फौरन हरकत में आना और जरूरी कदम उठाना ताकि अपराध को बढऩे से पहले ही रोका जा सके।

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