यह सर्वमान्य और स्वयंसिद्ध बात है कि विकृत राजनीति ने सामाजिक वैमनस्यता, धार्मिक उन्माद और बेरोजगारी को बढ़ाया है। सभी राजनीतिक दल युवाओं को दिवास्वप्न दिखाकर भटकाते हैं तथा उनका अपने राजनीतिक हित के लिए दुरुपयोग करते हैं। हम सभी जानते हैं कि आज की राजनीति पार्टी आधारित है तथा देशहित गौण हो गया है। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे को कोसती हुई अमर्यादित हो जाती हैं। कभी-कभी तो संसद तथा विधानसभा में भी नेताओं की शर्मनाक गतिविधियां सामने आती हैं। राजनीति को अनैतिकता तथा अपराध से जोड़कर देखा जाने लगा है । चुनाव आयोग के आंकड़ों को देखें तो लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों में दागी जनप्रतिनिधि मिल जाएंगे ।
-ईश्वर जैन ,उदयपुर
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विकृत राजनीति ने देश की समस्याओं को बढ़ावा दिया है। पार्टियों के शीर्ष नेता सब कुछ समझते हुए जनसमर्थन जुटाने के लिए विकृत राजनीति करते हैं। विकृत राजनीति समाजकंटकों की सक्रियता को बढ़ाती है, जिससे प्रजातंत्र का पावन स्वरूप खंडित होने के साथ-साथ देश में नई-नई समस्याएं पैदा होती हैं ।
-श्रीकृष्ण पचौरी, ग्वालियर।
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विकृत राजनीति ने वर्तमान समय में देश की आर्थिक सामाजिक स्थिति को खराब कर दिया। आपसी वैमनस्य की भावना बढ़ती चली गई, जिससे देश विकास के पथ पर बढऩे की बजाय अवनति की ओर चला गया। इस तरह विकृत राजनीति ने देश को काफी नुकसान पहुंचाया है। विकृत राजनीति करने वालों से जनता सावधान रहे। ऐसे नेताओं का बहिष्कार किया जाए, तभी देश इन विषम परिस्थितियों से निजात पा सकेगा
– बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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देश की राजनीति दिन पर दिन जैसे-जैसे विकृत होती जा रही है, वैसे -वैसे देश की छवि विश्व मंच पर खराब होती जा रही है। इस विकृति से निजात पाना है, तो राजनीति में अच्छे और सुलझे विचारों के लोगों का होना जरूरी है।
-संजय डागा, हातोद
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देखा गया है कि वोटबैंक के लिए आमजन, विकास व राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज किया जाता है। जिन मुद्दों को लेकर नेता विपक्ष में रहते हुए संघर्ष करते हैं, सत्ता मिलते ही उन मुद्दों को भूल जाते हैं। आम जन के हितों को ऐसे नेता ध्यान ही नहीं रखते।
-हरि सिंह भाटी, जैसलमेर
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विकृत राजनीति से देश में अपराधीकरण बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप अपराधी प्रवृत्ति के लोग राजनीतिज्ञ बन जाते हैं। इस तरह नेताओं और अपराधियों का गठजोड़ बन गया है। इस समस्या से लोकतंत्र की साख भी प्रभावित हो रही है। विकृत राजनीति ने लुटेरों एवं घूसखोरों को प्रतिष्ठा दिलवाकर देश के लिए नई समस्या पैदा कर दी है।
-सरिता लालवानी, उदयपुर
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यह बात सही है कि देश की राजनीति ने विकृत रूप धारण कर लिया है। जहां राजनेताओं को देश की समस्याओं को सुलझाना चाहिए, वहीं समस्याएं और उलझती जा रही हंै। जनता के हितों की उपेक्षा कर सिर्फ अपने स्वार्थ साधे जा रहे हैं। आज भारतीय राजनीति इस कदर विकृत हो चुकी है कि अब लोगों का राजनीति व राजनेताओं से विश्वास उठ सा गया है। अत: सभी राजनीतिक दलों को अपनी स्वार्थ की राजनीति छोड़कर देश हित में कार्य करना चाहिए, ताकि देश विकास की ओर अग्रसर हो सके ।
-कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर
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विकृत राजनीति ने देश में समस्याओं को बढ़ाया ही नहीं है, बल्कि इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कि छवि को भी धूमिल कर दिया है। और लोकतंत्र को नेता तंत्र की ओर अग्रसर कर दिया है। राजनीति को विकृत करने के लिए स्वार्थी, भ्रष्ट और दागी नेता ही कसूरवार नहीं , बल्कि वे लोग भी जिम्मेदार हैं जो स्वार्थ, लालच और धर्म-जाति की भावनाओं में आकर मतदान करते हैं।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर।
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राजनीति लगातार विकृत होती जा रही है। राजनीति व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति का साधन रह गई है। आम जनता के मुख्य मुद्दे पूरी तरह दरकिनार हैं । राजनीतिक दलों की विचारधारा धूल फांक रही है। एक दूसरे पर हमला करने के लिए ओछी भाषा के इस्तेमाल ने राजनीति को निचले स्तर पर ला खड़ा किया। देश में महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी आदि समस्याएं बढ़ी हैं। येन केन राजनीति का उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना रह गया है।
-विजय झोरड़, संगरिया, हनुमानगढ़
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समस्याएं विकृत राजनीति के कारण ही बढ़ती हैं तथा देश के विकास में बाधक बन रही हैं। आवश्यकता के अनुसार विकास कार्य होने चाहिए। उसमें राजनीति का कोई रोल नहीं होना चाहिए। राजनेताओं को देश को सर्वोपरि मानते हुए जन सेवा पर ध्यान देना चाहिए।
– सालगराम परिहार, बालोतरा, बाड़मेर