असल में पेयजल व्यवस्था देखने वाले विभागों की आय इतनी कम होती है कि तंत्र में सुधार नहीं हो पाता। इसलिए इनकी आय बढ़ाने के उपाय जरूरी हैं। जलापूर्ति के लिए तर्कसंगत शुल्क वसूला जाए। औद्योगिक उपयोग के लिए वितरित जल की सीमा निश्चित की जानी चाहिए।
-बलवीर ठाकुर, बिलासपुर
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नए उभरते हुए शहरों में कभी पाइपलाइन तो, कभी सीवर लाइन या फिर केबल के लिए बार-बार गड्ढे खोदे जाते हैं, जिससे दूसरी पाइपलाइनें प्रभावित होती हैं और जनसाधारण को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को विकास का ऐसा रोल मॉडल विकसित करना चाहिए, जो एकीकृत हो।
-सिद्धार्थ शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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आजकल लोग पेयजल की गुणवत्ता के प्रति सजग नजर आते हैं। स्वच्छ पेयजल के लिए प्रत्येक घर में फिल्टर मशीन लगानी चाहिए। पानी को उबालकर पीना चाहिए, क्योंकि पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती हैं, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं। दूषित जल में बैक्टीरिया होते हैं, जो अनेक प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं। जल को स्वच्छ करने के लिए अनेक प्रकार के रसायनों का भी उपयोग किया जा सकता हैं।
-पारुल कुमावत, जयपुर
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पेयजल प्रबंधन व व्यवस्था सुधार के लिए जन सहभागिता के बिना सफलता हासिल नहीं की जा सकती है। ग्रामीण जल आपूर्ति प्रणालियों के लिए न्यूनतम अनुरक्षण शुल्क लागू कर दिया जाना चाहिए, जिससे साझेदारी में वृद्धि हो एवं जल व्यवस्था सुधार के लिए धन मिल सके। जल व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। जल का समुचित उपयोग करें। साथ ही वर्षा जल का संग्रहण करना अति आवश्यक है।
-विद्याशंकर पाठक सरोदा डूंगरपुर
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बातें हर घर तक नल कनेक्शन की हो रही हैं और जिन घरों में नल कनेक्शन हो चुके हैं, उनमें पानी नहीं आ रहा है। यह विडंबना ही है कि आजादी के सत्तर बरस बाद भी लोग स्वच्छ पानी को तरस रहे हैं। इसके लिए केंद्र और राज्यों की सरकारें ही जिम्मेदार हैं, तो बातें तो बड़ी-बड़ी करती हैं, लेकिन काम करने से बचती हैं।
-साकेत वर्मा, जयपुर
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असल में जल के प्रबंधन पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। यही वजह है कि शुद्ध जल भी घर तक पहुंचते-पहुंचते दूषित हो जाता है। इस तरह सरकार की कार्य प्रणाली की वजह से अमृत भी जहर बन जाता है। जलदाय विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए।
-रमेश शर्मा, कोटा
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जल ही जीवन है। इसके बावजूद लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के मामले में घोर लापरवाही बरती जा रही है। इसकी एक वजह कृषि कार्य में जल की बर्बादी भी है। उपलब्ध जल का बड़ा हिस्सा कृषि कार्य में काम आता है, लेकिन सिंचाई के गलत तरीकों की वजह से बड़ी मात्रा में जल की बर्बादी होती है।
-नरेश चौधरी, सीकर
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आधुनिक जीवनशैली ने पानी की खपत को बढ़ाया है। जब गर्मियों में पीने के लिए पानी की भी मशक्कत करनी पड़ती है, तो कूलरों के लिए पानी कहां से आ सकता है। आधुनिक शौचालयों में भी पानी की खपत बहुत ज्यादा होती है। घरों की धुलाई आदि के लिए भी पानी बर्बाद किया जाता है। इसलिए पानी की खपत कम करने वाली जीवनशैली पर ध्यान दिया जाए।
-प्रकाश यादव, बांसवाड़ा