ज्यादातर बयान किसी राजनेता या मशहूर व्यक्ति की टिप्पणी करने से भड़काऊ रूप ले लेते हैं। दुनिया में कही भी यदि लोगों की भावनाओं को आहत करने वाले बयान होंग, तो इस तरह का माहौल बनेगा ही। सोशल मीडिया पर क्या पेश किया जाए और क्या नहीं इस पर भी सख्त नियम बनाने होंगे।
-मोहित कुमावत, बीकानेर
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भड़काऊ बयानबाजी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मीडिया है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपराधियों का बचाव करने, जातिवाद फैलाने और वर्ग-समुदाय में संघर्ष के हालात बनाने के लिए मीडिया के उस वर्ग पर अंकुश लगाना होगा, जो समाज को भ्रामक संदेश देकर अपराधियों का बचाव करने ,जातिवाद फैलने, दो धर्मों में मतभेद करने और देश के सम्मान की धज्जियां उडाऩे से नहीं चूकते।
नमित अग्रवाल, अंता, बारां
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भड़काऊ बयानबाजी होने पर प्रशासन जल्द ही बयान देने वाले की पुष्टि कर उसे पाबंद करे। उसकी पुनरावृत्ति होने पर कठोर एवं निष्पक्ष कार्रवाई करे। साथ ही सोशल मीडिया पर निगरानी रखे।
-राधे सुथार भादसोड़ा, चित्तौडग़ढ़
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शब्द ऐसे हों जो किसी को आहत न करें। हमें सोच समझ कर शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। हम शिक्षा ग्रहण करते हैं इसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि हम अनुशासन का महत्व समझेंगे। मर्यादा में रहना सीखेंगे।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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भड़काऊ बयानबाजी पर रोक लगाना इतना आसान नहीं है। इसकी वजह यह भी है कि हमारा संविधान विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार देता है और संचार के माध्यमों का भी काफी विकास हो गया है। हां, जनता चाहे तो इस पर लगाम लग सकती है। कोर्ट की फटकार और सजा से भी इसे रोका जा सकता है।
-रुचिका अरोड़ा, चूरू
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भड़काऊ बयानबाजी की आग में आज पूरा देश जल रहा है। देश के संविधान को चोट पहुंचाई जा रही हैं। प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं है कि किसी भी धर्म के विरुद्ध कोई कुछ भी बोले और उसे मीडिया पर प्रसारित करें। इन भड़काऊ बयानों की आग को कुछ मीडिया के चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हवा देने का काम कर रहे हैं।
-मनीष कुमार सिन्हा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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नेताओं द्वारा जहरीले भाषणों से फैलाई नफरत से हिंसा की उत्पन्न होती है और राज्य का माहौल खराब होता है। ऐसे में राज्य को अपने संवैधानिक कर्तव्य के प्रति जागृत हो कर इस तरह के भाषणों व लेखनों पर उचित कारवाई की जानी चाहिए ।
– कुलदीप सिंह देवड़ा, गोगुन्दा, उदयपुर
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कुछ समय से देखने में आ रहा है कि देश में भड़काऊ बयानबाजी का एक चलन सा हो गया है। इस पर शासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है। इसके चलते देश में दो समुदायों के बीच वैमनस्यता बढ़ रही है। आपस में भाईचारा बना रहे, इसके लिए सभी सम्प्रदायों के बुद्धिजीवी और धर्म गुरुओं को आगे आना चाहिए। सरकार को भी इस कामले कठोर निर्णय लेना चाहिए, तभी भड़काऊ बयानबाजी पर रोक लग सकती है।
-महेश सक्सेना, भोपाल
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लचर कानून-व्यवस्था के कारण विवादित बयानबाजी से पूरे देश में अराजकता व हिंसा का माहौल बन रहा है। विवादित बयान बाजी करने वाले को त्वरित कार्रवाई कर कठोर सजा देनी चाहिए।
-लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़