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अपरिपक्व बयानबाजी

उन्होंने जब राजनीति में कदम रखा कांग्रेस सत्ता में रही। यह
पहला अवसर है जब राहुल को विपक्ष की राजनीति करनी पड़ रही है। वे जो भी बयान दें
पूरी जांच-पड़ताल के बाद दें

May 14, 2015 / 10:19 pm

शंकर शर्मा

 Rahul Gandhi

Rahul Gandhi

अमेठी में मेगा फूड पार्क बंद करने को लेकर एनडीए सरकार पर आरोप मढ़ने का फैसला राहुल गांधी का स्वयं का था अथवा उनके सलाहकारों का, ये तो वे स्वयं ही जानते होंगे लेकिन ऎसा करके राहुल ने समझदारी नहीं की। दो महीने के चिंतन-मनन के बाद स्वदेश लौटे राहुल से कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ देश को भी उम्मीदें थी कि वे फुल टाइम राजनीति के साथ गंभीरता भी दिखाएंगे।

तीन बार से लोकसभा चुनाव जीतते रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल की हैसियत आम सांसद से अधिक है। कांग्रेस में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले राहुल लोकसभा ही नहीं बाहर भी जो बोलें उसमें सच्चाई होनी चाहिए। अमेठी में मेगा फूड पार्क बंद करने का आरोप एनडीए सरकार पर लगाकर राहुल एक बार मीडिया की सुर्खियों में भले आ गए हों लेकिन जब हकीकत सामने आई तो मामला कुछ और निकला। अमेठी में मेगा फूड पार्क कांग्रेस के शासन काल में ही दम तोड़ चुका था।

इसे लगाने वाले आदित्य बिड़ला ग्रुप की संसद में पेश की गई चिट्ठी से साफ है कि लोकसभा में इस मामले को उठाना राजनीतिक ड्रामेबाजी के सिवाय कुछ नहीं था। राहुल और उनके सलाहकारों को सोचना चाहिए कि तथ्यहीन आरोप लगाकर वे अपना कद नहीं बढ़ा सकते। राजनीति में आगे बढ़ने के लिए मुद्दों की समझ के साथ सकारात्मक सोच भी रखनी पड़ती है। उन्होंने यह मामला जिस तरीके से उठाया उससे दो बातें साफ होती हंै। या तो राहुल को इस बारे में सच्चाई पता नहीं थी या जानबूझ कर उन्होंने संसद में गलत बयानी की।

राहुल जैसे नेता के लिए जानकारी ना होना भी बड़ा सवाल है और जानते हुए झूठ बोलना इससे बड़ा सवाल। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का अपना स्थान है लेकिन इतने ऊंचे कद के नेता को इस तरह के मामलों में फंसने से बचना चाहिए। उन्होंने जब से राजनीति में कदम रखा, कांग्रेस सत्ता में रही।

यह पहला अवसर है जब राहुल को विपक्ष की राजनीति करनी पड़ रही है। वे जो भी बयान दें पूरी जांच-पड़ताल के बाद दें। इतने गंभीर आरोप की तीसरे दिन ही हवा निकल जाए तो इससे न राहुल की पहचान बनेगी और न कांग्रेस को कोई फायदा मिलेगा। राहुल को पता होगा कि आजादी के बाद से कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।

केंद्र और अनेक राज्यों में करारी हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। उनके इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयानों से कार्यकर्ताओं का मनोबल और गिरेगा। राहुल केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करें लेकिन विश्वसनीय दस्तावेजों के साथ। ऎसा करना उनके लिए और पार्टी के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।


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