scriptप्रवासी भारतीयों की सतत बढ़ती शक्ति | Increasing power of Non Resident Indian | Patrika News
ओपिनियन

प्रवासी भारतीयों की सतत बढ़ती शक्ति

अमरीका में 27 लाख और सऊदी अरब में 25 लाख भारतीय बसे हुए हैं।
मेनोजी प्रवासी भारतीयों को दुनिया का ‘सबसे विविधता वाला गतिशील’समुदाय मानते हैं।

Jan 18, 2021 / 07:40 am

Mahendra Yadav

indians.png
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे देशों में बसने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं। पिछले साल अपने वतन से दूर अलग-अलग देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की आबादी करीब 1.8 करोड़ थी। यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। सबसे ज्यादा 35 लाख प्रवासी भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में रहते हैं। अमरीका में 27 लाख और सऊदी अरब में 25 लाख भारतीय बसे हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, कतर और ब्रिटेन में भी प्रवासी भारतीयों की बड़ी संख्या है। संयुक्त राष्ट्र में आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के जनसंख्या प्रभाग के अधिकारी क्लेर मेनोजी का कहना है कि दूसरे देशों की प्रवासी आबादी किसी देश या इलाके तक सीमित है, जबकि प्रवासी भारतीय सभी महाद्वीपों एवं इलाकों, खाड़ी से लेकर अमरीका तक तथा ऑस्ट्रेलिया से ब्रिटेन तक फैले हुए है। मेनोजी प्रवासी भारतीयों को दुनिया का ‘सबसे विविधता वाला गतिशील’समुदाय मानते हैं।
भारतीयों के विदेश में बसने की मुख्य वजह भले ही रोजगार या पारिवारिक हो, प्रतिभा और योग्यता के दम पर उन्होंने वहां भी अपने देश का नाम रोशन किया है। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर कई देशों की वित्तीय और आर्थिक संस्थाओं में भारतीय प्रतिभाओं का दबदबा है। कुछ देशों की राजनीति में भी प्रवासी भारतीयों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है। पिछले नवम्बर में भारतीय मूल की प्रियंका राधाकृष्णन को बतौर मंत्री न्यूजीलैंड सरकार में शामिल किया गया। अब भारतीय मूल की कमला हैरिस 20 जनवरी को अमरीका का उपराष्ट्रपति पद संभालने वाली हैं। भारतीय मूल के चार सांसदों रोहित खन्ना, एमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल के अलावा तरुण छाबड़ा, सुमोना गुहा, वनिता गुप्ता, शांति कलथिल समेत 30 से ज्यादा लोग अमरीका के अगले राष्ट्र्रपति जो बाइडन के प्रशासन में विभिन्न जिम्मेदारियां संभालेंगे।
विदेशों में बसे भारतीय अपने देश के सांस्कृतिक और रणनीतिक दूत हैं। उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए भारत सरकार हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन करती है। प्रवासी भारतीयों के लिए कई योजनाएं भी बनाई गई हैं। अंतरराष्ट्रीय पटल पर उनका नई ताकत के साथ उभरना भारत की बढ़ती मजबूती का भी परिचायक है। यह प्रवासी भारतीयों की गतिशीलता ही है कि हमारी प्राचीन परम्परा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (सम्पूर्ण पृथ्वी एक परिवार है) की भावना सारी दुनिया में साकार हो रही है। संक्रमण काल से गुजरती दुनिया में आज इस भावना को ज्यादा से ज्यादा पुख्ता करने की जरूरत है। यह संकुचित विचारों को त्यागने का समय है। सीमाओं के झगड़ों और साम्राज्यवादी सोच से ऊपर उठकर सभी देश मिल-जुलकर मानव सभ्यता के विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं, तो भविष्य की दुनिया की तस्वीर और बेहतर हो सकती है

Home / Prime / Opinion / प्रवासी भारतीयों की सतत बढ़ती शक्ति

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो