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कान फिल्म समारोह में भारत का सम्मान

दुनिया को जुडऩे, संवाद करने, बनाने और पसंद के साथ-साथ उपभोग के लिए जो अवसर भारत प्रदान करता है, वे दुनिया में और कहीं भी नहीं हंै। और इसीलिए किस्सागो लोगों का देश आज सिनेमाई दुनिया की सुर्खियों में है।

May 19, 2022 / 09:14 pm

Patrika Desk

कान फिल्म समारोह में भारत का सम्मान

कान फिल्म समारोह में भारत का सम्मान

अनुराग सिंह ठाकुर
सूचना और प्रसारण एवं युवा व खेल मामलों के मंत्री

फ्रेंच रिवेरा के शांत किनारे 75वें कान फिल्म समारोह की मेजबानी कर रहे हैं। ‘मार्चे डू फिल्म्स ‘ की ओपनिंग नाइट इस साल भारत पर केंद्रित है, जो वैश्विक दर्शकों को अपनी सिनेमाई उत्कृष्टता, तकनीकी कौशल, समृद्ध संस्कृति और कहानी कहने की शानदार विरासत का अनुभव देना चाहता है। भारत और फ्रांस अपने राजनयिक संबंधों के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पेरिस यात्रा और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता और भी अधिक महत्त्व रखती है। इस महत्त्वपूर्ण कूटनीतिक पृष्ठभूमि में भारत को कान फिल्म समारोह में ‘मार्चे डू फिल्म्सÓ में ‘सम्मानित देश’ के रूप में चुना गया।
कान फिल्म समारोह ने अपनी स्थापना के समय से ही भारत-फ्रांस संबंधों को मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी शुरुआत 1946 में भारतीय फिल्म निर्माता चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ को ‘पाल्मे डी’ओर’ पुरस्कार दिए जाने के साथ हुई थी। इसके एक दशक बाद 1956 में, सत्यजीत रे की ‘पाथेर पांचाली’ ‘पाल्मे डी’ओर’ के लिए नामित हुई और वर्ष 2013 में अमिताभ बच्चन को महोत्सव के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया। इस साल कान में भारत की उपस्थिति कई मायने में महत्त्वपूर्ण है। यह पहली बार होगा कि न केवल विभिन्न भाषाओं और क्षेत्रों के अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं का वहां प्रतिनिधित्व होगा, बल्कि ओटीटी प्लेटफार्म के मामले में भी हमारी सिनेमाई उत्कृष्टता की विविधता वहां दिखेगी। साथ में युवा और वृद्ध दोनों तरह के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले संगीतकारों और लोक कलाकारों की मजबूत उपस्थिति भी होगी। महोत्सव में भारतीय सिनेमा की जीवंतता और विविधता का प्रदर्शन करने के लिए भारतीय संगीत के उस्ताद इंडिया पवेलियन में अपनी प्रस्तुतियां देंगे। वहां विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं की अन्य फिल्मों के साथ ‘रॉकेट्री’ के विश्व प्रीमियर का बेसब्री से इंतजार है, जिसे पहली बार कान में प्रदर्शित किया जाएगा। एक अन्य पहल में, सत्यजीत रे की रीमास्टर्ड क्लासिक फिल्म ‘प्रतिद्वंदी’ को उनके शताब्दी वर्ष के अवसर पर कान समारोह के क्लासिक खंड में प्रदर्शित किया जाएगा। कान में भारत का जलसा तथा विश्व में हमारी सिनेमाई उत्कृष्टता की मान्यता देश को ‘दुनिया के कंटेंट हब’ के रूप में प्रस्तुत करने के लिए तत्पर है। स्वाद, पसंद और कथा आज पश्चिम में ईडन से स्थानांतरित होकर पूरब में आ बसी है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाते हुए हमें फिल्मों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को याद करना चाहिए। भारत की यात्रा को सिनेमा के माध्यम से खूबसूरती से कैद किया गया है। फिल्मों ने आजादी की लड़ाई को ही नहीं, हमारे अशांत समय और जीत की भी कथाएं कही हैं।
हम देख रहे हैं कि भारत के भीतर और दुनिया भर में, मीडिया व्यवसाय और सामग्री निर्माण, उपभोग और वितरण की प्रकृति बदल गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का आगमन, वर्चुअल रियलिटी, मेटावर्स जैसी इमर्सिव टेक्नोलॉजी के कारण भारत के आइटी कुशल कार्यबल के लिए अपार संभावनाओं के द्वार खुले हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, भारत में ओटीटी बाजार सालाना 21 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2023 तक लगभग 12,000 करोड़ रुपए का हो जाने का अनुमान है। आज, भारतीय प्लेटफॉर्म, विदेशी प्लेटफॉर्मों से आगे निकल गए हैं और प्रसारकों के साथ-साथ दूरसंचार कंपनियों में भी अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म स्थापित करने की होड़ मची हुई है। भारत के कस्बों और गांवों में भी हलचल मची है। इन स्थानों की हमारी कहानियों और प्रतिभाओं ने पुरस्कार जीतते हुए मुख्यधारा के सिनेमा के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्मों के निर्माताओं और फिल्म प्रेमियों को लुभाते हुए उनका ध्यान खींचा है। इसी को ध्यान में रखते हुए हम देश भर में क्षेत्रीय फिल्म समारोहों को विकसित करने पर भी अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इनमें से लद्दाख, काशी और जम्मू-कश्मीर में ऐसे आयोजन हो चुके हैं।
भविष्य को देखते हुए, कोई भी साहसपूर्वक कह सकता है कि भारत आज जो बनाता है, कल दुनिया उसका उपभोग करेगी। हम एक और ऊंची छलांग लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, क्योंकि देश में लगभग 30 करोड़ नागरिक ऑनलाइन जुडऩे के लिए तैयार हैं और भारत मीडिया एंड एंटरटेनमेंट क्षेत्र के वाणिज्य में अपनी जगह को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ रहा है। सरकार की नीतियों का उद्देश्य भारत के मीडिया और मनोरंजन के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है, जो एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र है, जिसमें 2025 तक सालाना 4 ट्रिलियन रुपए उत्पन्न होने की उम्मीद है। दुनिया को जुडऩे, संवाद करने, बनाने और पसंद के साथ-साथ उपभोग के लिए जो अवसर भारत प्रदान करता है, वे दुनिया में और कहीं भी नहीं हंै। और इसीलिए किस्सागो लोगों का देश आज सिनेमाई दुनिया की सुर्खियों में है।

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