पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के वर्ष 2003 में चीन के दौरे में दोनों देशों के नेता इस नतीजे पर पहुंचे कि सीमा विवादों से परे वे आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने पर अधिक बल देंगे। परिणामत: चीन का भारत के साथ व्यापार 2008 में चीन के अन्य 10 साझेदार देशों के मुकाबले कहीं आगे बढ़ा। वर्ष 2016-17 में भारत के साथ 72 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार कर चीन ने अमरीका को चकित कर दिया। 2007- 08 में यह व्यापारिक साझेदारी 38 अरब डॉलर की थी। भारत व चीन के बीच बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार के लिए दो घटक अहम है। बढ़ता उपभोक्ता बाजार एवं दोनों की उच्च विकास दर। चीन और अमरीका के बीच व्यापारिक युद्ध के कारण भारत से चीन को निर्यात में वृद्धि की संभावना है। संरक्षणवादी राजनीति के चलते हो रहा व्यापारिक ध्रुवीकरण निर्यात वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। दूसरी ओर निवेश की बढ़ती मांग आयात को बढ़ावा देगी।
‘मेक इन इंडिया’ जैसे कार्यक्रम एक निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था का पुख्ता आधार हो सकते हैं। चीनी विदेश मंत्री के एक हालिया बयान के अनुसार अमरीका के साथ चीन के बढ़ते व्यापारिक तनाव का असर भारत के साथ व्यापार पर पड़ेगा। चीन ने हाल ही भारतीय उत्पादों के आयात में अधिक रुचि दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वार्ता से दोनों देशों के आपसी व्यापार में प्रगति का माहौल बना है। भारत से निर्यात वृद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में सरकार अपने उद्योगपतियों की किस प्रकार मदद कर सकती है ताकि निर्यात को उच्च स्तर तक ले जाया जा सके।
अमरीका-चीन के बीच कर युद्ध को देखते हुए भारत के लिए फिलहाल सुनहरा अवसर है कि वह निर्यात आधारित उद्योगों और संगठनों को बढ़ावा दे। इससे आयात-निर्यात के अंतर को कम कर बड़े व्यापारिक हित साधने का मौका है।