scriptपठन-पाठन को पटरी पर लाना गंभीर चुनौती | It is a serious challenge to bring studies back on track after Corona | Patrika News
ओपिनियन

पठन-पाठन को पटरी पर लाना गंभीर चुनौती

महामारी के चलते बदहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई तरह के उपाय बताए जा रहे हैं। ज्यादातर उपाय डिजिटल विकल्प से होकर गुजरते हैं।

Jun 04, 2021 / 08:02 am

विकास गुप्ता

पठन-पाठन को पटरी पर लाना गंभीर चुनौती

पठन-पाठन को पटरी पर लाना गंभीर चुनौती

कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द होना विद्याथियों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम ही माना जाएगा। इस फैसले ने उन लाखों अभिभावकों को राहत दी है जो अपने बच्चों को कोरोना महामारी से दूर रखने का जतन कर रहे हैं। ऐसा लगातार दूसरे साल हो रहा है। हालांकि इस फैसले का आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं और कुल मिलाकर करियर पर क्या और कैसा असर पड़ेगा, इसका आकलन अभी बाकी है। महामारी के चलते बदहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई तरह के उपाय बताए जा रहे हैं। ज्यादातर उपाय डिजिटल विकल्प से होकर गुजरते हैं। लेकिन पहले से मौजूद कई और तरह के भेद के साथ अब समाज में ‘डिजिटल डिवाइड’ के रूप में नया भेद घर कर रहा है।

कोरोना मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भी इस भेद का जिक्र किया गया। हर व्यक्ति को डिजिटली सक्षम बनाने का लक्ष्य अब भी कोसों दूर है। बड़े निजी शिक्षण संस्थानों ने अपने विद्यार्थियों के लिए, जो डिजिटली सक्षम हैं, पढ़ाई-लिखाई जारी रखने की व्यवस्था बना ली है। लेकिन, पूरा देश ऐसा नहीं है। न तो सभी स्कूलों को हमने डिजिटली सक्षम बनाया है और न ही विद्यार्थियों को ऐसी सुविधा दी जा सकी है। नेटवर्क एक अलग समस्या है जो हर जगह समान रूप से उपलब्ध नहीं है। बड़ी संख्या ऐसे विद्यार्थियों की है जो ऑनलाइन तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। परीक्षाएं रद्द न करने या ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प अपनाने का अर्थ होता – एक बड़े समूह को छोड़कर आगे बढ़ जाना। लेकिन अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा?

कोरोना की अगली लहर की आशंका के चलते हम निश्चिंत नहीं हो सकते कि अगले साल यह स्थिति नहीं होगी, इसलिए हमें ऑफलाइन तरीकों को फिर से शुरू करने पर गंभीरता से विचार करना होगा। इसके लिए सबसे जरूरी है टीकाकरण। यदि शिक्षा-दीक्षा से जुड़ी पूरी जमात को प्राथमिकता के साथ जल्द से जल्द टीका लगा दिया जाए तो अगले साल हम शिक्षा व्यवस्था को पहले की तरह जारी रखने का फैसला कर पाएंगे। ज्यादा जरूरी ग्रामीण शिक्षकों और विद्यार्थियों को सुरक्षा कवच प्रदान करना है, क्योंकि यही वर्ग है जो स्वास्थ्य की देखभाल से जुड़ी बेहतर सुविधाओं के साथ शिक्षा के डिजिटल संसाधनों से ज्यादा वंचित है। एक अनुमान है कि करीब 30 लाख स्कूल टीचर और 13 लाख कॉलेज-यूनिवर्सिटी शिक्षक हैं। अन्य स्टाफ को मिला लें तो करीब 60 लाख लोग होंगे जो विद्यार्थियों के सीधे संपर्क में आएंगे। इन्हें पहले टीका लगाकर सुरक्षित माहौल बनाया जा सकता है। इनके अतिरिक्त 12 साल से ज्यादा आयुवर्ग को भी शीघ्र सुरक्षा कवच देकर हम शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर ला सकते हैं।

Home / Prime / Opinion / पठन-पाठन को पटरी पर लाना गंभीर चुनौती

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो