भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट ने इस तथ्य की तरफ ध्यान आकर्षित किया है कि बाजार में 500 रुपए के नकली नोटों की संख्या सबसे ज्यादा है। बीस रुपए के नकली नोटों की संख्या भी बढ़ रही है। आरबीआइ की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल की तुलना में 2022-23 में बैंकिंग सिस्टम में पकड़े गए 500 रुपए के नकली नोटों की संख्या 14.४ फीसदी बढ़ गई, जबकि बीस रुपए के नकली नोटों की संख्या में 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जाहिर है नकली नोट माफिया को पांच सौ रुपए के नोटों की नकल ज्यादा मुफीद लग रही है। मुश्किल यह है कि बाजार में पांच सौ रुपए के नोट ही ज्यादा चलन में हैं, जिससे आम लोगों तक असली नोटों के बीच इस मूल्य वर्ग के नकली नोट पहुंचाना आसान हो गया है। नोटबंदी के दौर में पांच सौ और दो हजार रुपए के नए नोट जारी करके यह दावा किया गया था कि अब जाली नोट माफिया खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विशेषज्ञों की मानें तो बाजार में खपाए जा रहे पांच सौ के नकली नोटों की पहचान आसान नहीं है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने नकली नोटों से जुड़े जो मामले पकड़े हैं, उनका एक सिरा पाकिस्तान तक जाता है। इससे साफ है कि पाकिस्तान अब भी नकली नोटों के जरिए भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही पाकिस्तानी भूमि से संचालित आतंकी संगठन नकली नोटों का सहारा लेकर भारत में आतंक फैलाने की साजिश में लगे हुए हैं।
पाकिस्तान और आतंकी संगठन अपनी हरकतों से बाज आने से रहे। इसलिए भारत सरकार को ही सतर्क और सावचेत रहना होगा। पाकिस्तान में चल रहे नकली नोटों के अड्डों पर तो भारत का बस नहीं है, लेकिन भारत में इसके नेटवर्क को तोड़ा जा सकता है। स्थानीय मदद के बिना कोई भी बाहरी व्यक्ति देश में जाली नोट बाजार में नहीं उतार सकता। इसलिए देश की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को सक्रियता दिखानी होगी। समय रहते नकली नोट माफिया के स्थानीय नेटवर्क को तोड़ना ही होगा।