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झूम बराबर

अब हम उन सब नैतिकतावादियों को इज्जत के साथ प्रणाम करके निवेदन करना चाहते हैं कि इस दुनिया को

Dec 02, 2015 / 10:37 pm

मुकेश शर्मा

intoxication

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अ ब हम उन सब नैतिकतावादियों को इज्जत के साथ प्रणाम करके निवेदन करना चाहते हैं कि इस दुनिया को कभी भी नशा मुक्त नहीं किया जा सकता। हां, हम इस बात से भी इत्तफाक रखते हैं कि शराब आदमी को हैवान बना देती है। ऐसा तभी होता है जब आदमी अपनी क्षमता से अधिक पी जाए। वैसे हमारी संस्कृति में सुरापान के अनेक विवरण मिल जाते हैं पर दारू पीकर अपने ही परिवार को नष्ट करने का विरलर किस्सा योगेश्वर कृष्ण के अंत काल में मिलता है जब यादव वंश के लोगों ने समुद्र किनारे जमकर सुरापान किया था और आपस में ही लड़ मरे थे।

वैसे वर्णन मिलता है कि देव लोक में भी दारू पी जाती थी। सुना है जो लोग जन्नत में जाते हैं उन्हें हूरें और भांति-भांति की शराब मिलती हैं। जाहिर है जन्नत लाखों साल पुरानी है और वहां बसने वाली हूरों की उम्र भी हजारों साल की होगी इसलिए इतनी उम्रदराज हूरों में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं इसलिए हम इस धरती को ही जन्नत मानते हैं। क्षमा करें। यह अपना नजरिया है,आपकी आप जानें। दरअसल इन दिनों सियासत में दारू बंदी का दौरा पड़ रहा है। बिहार की नई नवेली सरकार ने गुजरात की तरह दारू बंदी का ऐलान किया है और अब महाराष्ट्र भी उसी राह पर चलता दिख रहा है। सरकारों की सरकार जाने लेकिन हमारा तजुर्बा है कि जिस चीज पर पाबंदी लगाई जाती है लोग चोरी-छिपे काम में ल्ेाते हैं।


 इसलिए हम छोटा-सा मशविरा देना चाहते हैं- सरकार दारूबंदी न करे वरन् उसे दो गुने दामों पर बेचें। और दारू के मूल्य का आधा पैसा शराबी की घरवाली के एकाउन्ट में गैस सब्सिडी की तरह जमा हो। इससे कई फायदे होंगे- पहला तो पति लिमिट में पियेगा क्योंकि उसके नशे की मात्रा उसकी पत्नी के बैंक बैलेंस के बराबर रहेगी। दूसरे पत्नियां अपने पतियों को पीने से मना नहीं करेगी जिससे कि घर में चक-चक नहीं होगी। तीसरे पत्नी को मालूम रहेगा कि आज उसके पति ने कितनी पी है।


 अगर वह ज्यादा पियेगा तो घर आते ही पत्नी अपनी सैंडिल या चप्पल से अपने कथित परमेश्वर की आरती उतार सकती है। इससे जिन पत्नियों का बैंक खाता नहीं है वो भी खुल जाएगा। यूं भी अपनी मोदी सरकार का जोर ज्यादा से ज्यादा बैंक एकाउन्ट खोलने पर है भले उनमें बेलेंस शून्य हो । लेकिन ये खाते निरन्तर चालू रहेंगे। तीसरे सरकार के पास भी शराबियों के आंकड़े पहुंचते रहेंगे। यह भी संभव है कि कई पत्नियों के खाते में इतने पैसे आ जाएं कि उन्हें इनकमटैक्स तक देना पड़े। बहरहाल यह मात्र सुझाव है, इन्हें पढ़ कर पत्नियां प्रसन्न होंगी। इन सुझावों के बाद हम पर सड़े टमाकर और अंडों की बरसात भी हो। मारे यह भ्रामक सुझाव कैसे लगे? – राही

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