scriptराजस्थान पत्रिका हिंदी हैं हम : जानिए कविता और गीत से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में | Know about the important aspects related to poetry and songs | Patrika News
ओपिनियन

राजस्थान पत्रिका हिंदी हैं हम : जानिए कविता और गीत से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में

हिन्दी कविता और गीत, पहचानिए इनकी रीत…- प्रसिद्ध कवि और गीतकार अजहर हाशमी से जानिए कविता और गीत से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

नई दिल्लीOct 20, 2021 / 10:27 am

Patrika Desk

राजस्थान पत्रिका हिंदी हैं हम : जानिए कविता और गीत से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में

राजस्थान पत्रिका हिंदी हैं हम : जानिए कविता और गीत से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में

अजहर हाशमी, (प्रसिद्ध कवि और गीतकार)

मेरे मत में संवेदनशीलता के आंगन में भावनाओं की चहलकदमी है कविता। और, भावनाएं जब चहलकदमी करती हैं तो मस्तिष्क रूपी मुनीम, मन रूपी रोकड़ बही पर कभी सभ्यता या संस्कृति दर्ज करता है तो कभी वैषम्य और विषाद। कभी सामाजिक सरोकार चिह्नित करता है तो कभी व्यवस्था की विसंगतियां। कभी मनुष्य की मनोदशा दिखलाता है तो कभी देशकाल वातावरण। कभी जोश और जज्बा उकेरता है तो कभी पीड़ा और अवसाद। कभी रिश्तों की रवानी रेखांकित करता है तो कभी कत्र्तव्यों की कहानी।

तात्पर्य यह कि भावनाओं की चहलकदमी जब संवेदनशीलता के आंगन में चेतना के पद-चिह्न छोड़ जाती है, तब कविता के रूप में चिंतन का संसार रच जाती है। इस दृष्टि से देखें तो हिन्दी कविता सामाजिक सरोकारों की

सिलाई मशीन पर सिला हुआ, शब्दों का परिधान है जिसमें अनुभवों के धागों और संप्रेषण के क्रोशिए से संदेश के कशीदे काढ़े जाते हैं। अभिप्राय यह है कि वर्तमान में हिन्दी कविता (छंद मुक्त) की रचना के लिए पांच बातें जैसे-सरोकारों की समझ, संवेदनशीलता, शब्दों का सही संयोजन, संप्रेषण, संदेशशीलता का ध्यान रखना चाहिए।

कविता केवल कल्पना की उड़ान ही उड़ान रहेगी तो वह संदेश नहीं दे पाएगी। कविता शब्दों की जुगाली नहीं होती। क्लिष्ट शब्द कविता की संप्रेषणीयता समाप्त कर देते हैं। भाषायी धरातल पर हिन्दी कविता पांडित्य का प्रदर्शन नहीं अपितु सरलता का समर्थन होना चाहिए। अर्थपूर्ण किंतु सरल शब्द कविता को संप्रेषण से युक्त करके सार्थक संदेश देने में सफल होते हैं।

बात हिन्दी गीत की करें तो गीत छंदानुशासन की छत्रछाया में अक्षरों का अनुष्ठान है।

वर्तमान हिन्दी गीत मात्राओं पर आधारित छंदानुशासन के आसन पर विराजमान है। मात्राओं को गिनने की भी पद्धति है। मात्रिक अनुशासन पर ही गीत की लय, तान, संतुलन निर्भर करता है। गीत किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है, लेकिन उसके लिए मात्रिक अनुशासन जरूरी है।

Home / Prime / Opinion / राजस्थान पत्रिका हिंदी हैं हम : जानिए कविता और गीत से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो