scriptकरनी होगी विनिवेश लक्ष्यों की समीक्षा | Modi govt policies on PSUs in loss | Patrika News
ओपिनियन

करनी होगी विनिवेश लक्ष्यों की समीक्षा

वित्त मंत्री ने इस वर्ष सार्वजनिक क्षेत्र के 24 उपक्रमों में विनिवेश योजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें एयर इंडिया भी है।

Jun 12, 2018 / 10:43 am

सुनील शर्मा

opinion,work and life,rajasthan patrika article,

air india

– केवल खन्ना, वित्त सलाहकार

घाटे में चल रही राष्ट्रीय विमान सेवा एयर इंडिया के निजीकरण का प्रयास विफल हो गया। 31 मई को बोली लगाने के अंतिम दिन तक एक भी बोलीदाता सामने नहीं आया। एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयासों को यह बड़ा झटका है। इसका एक अर्थ यह है कि अब करदाताओं पर करोड़ों रुपए के घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की इस इकाई के कारण भी कर भार बढ़ सकता है।
माना जा रहा है कि इस विफलता के पीछे नीलामी शर्तों का निवेशकों को पसंद न आना मुख्य वजह है, जिनमें प्रबंधन से जुड़ी दिक्कतें शामिल रहीं जैसे कि 24 प्रतिशत सरकारी भागीदारी, 27,000 कर्मचारियों के संरक्षण का वादा, कंपनी पर कुल 50,000 करोड़ रुपए के कर्ज में से 33,392 करोड़ रुपए का कर्जभार। उड्डयन सचिव आर.एन. चौबे ने भी यही कहा कि सरकार अब नए सिरे से कंपनी के भविष्य पर विचार करेगी। संभवत: आय की कम संभावनाओं, अपेक्षाकृत अधिक जिम्मेदारियां व कर्ज, बिक्री के बाद भी सरकार का शेयरधारक बने रहने और कानूनन सारे लाभ उठाने का हकदार होने के चलते किसी निवेशक ने साहस नहीं किया। मौजूदा हालात में अगर सरकार वाकई एयर इंडिया को बेचना चाहती है तो विनिवेश की शर्तों में संशोधन कर नए सिरे से निविदा आमंत्रित करनी होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस वर्ष सार्वजनिक क्षेत्र के 24 उपक्रमों में विनिवेश योजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें एयर इंडिया भी है। हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी पवन हंस लिमिटेड में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए भी सरकार को समुचित आवेदन नहीं मिलने पर नए सिरे से अप्रेल में निविदा आमंत्रित करनी पड़ी थी। हाल ही इसकी अंतिम तिथि भी ११ जून से बढ़ाकर १८ जून की गई है। कुल मिलाकर घाटे में चल रही सरकारी स्वमित्व वाली कंपनियों के विनिवेश के प्रयासों में सरकार को निराशा ही हाथ लग रही है।
एयर इंडिया के प्रति संभावित बोलीदाताओं की बेरुखी, वित्तीय वर्ष में कम समय शेष रहने और निकट भविष्य में चुनाव को देखते हुए लगता है कि नियम व शर्तें बदलने के बावजूद इस वित्तीय वर्ष में एयर इंडिया की बिक्री मुश्किल है। तब तक घाटे का सौदा साबित हो रही यह विमान सेवा सरकारी गारंटी के तहत अस्तित्व बचाने के लिए सार्वजनिक कोष या राष्ट्रीयकृत बैंकों से मदद पर निर्भर रहेगी। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश लक्ष्यों की समीक्षा करे।

Home / Prime / Opinion / करनी होगी विनिवेश लक्ष्यों की समीक्षा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो