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विवादों से पुराना नाता है नवजोत सिद्धू का

पाकिस्तानी फौज के मुखिया को गले लगाने से जन्मा विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि सिद्धू ने कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में एक बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।

नई दिल्लीOct 22, 2018 / 02:50 pm

Manoj Sharma

Senior Journalist Karan Thapar

विवादों से पुराना नाता है नवजोत सिद्धू का

करन थापर

वरिष्ठ पत्रकार और टीवी शख्सियत

नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा विवाद को न्योता देते हैं। बेशक उन्हें इसमें सुख मिलता होगा। इमरान खान के शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी फौज के मुखिया को गले लगाने से जन्मा विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि उन्होंने कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में एक बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस बार हालांकि सिद्धू अपनी जगह सही हैं और उनके आलोचक गलत, अतीत में ऐसा भले न रहा हो। सिद्धू ने कसौली में श्रोताओं से, जिसमें ज्यादातर चंडीगढ़ और पंजाब से आए थे और स्थानीय लोग कम थे, कहा कि उनके जैसे लोग भारत के दक्षिणी राज्यों के मुकाबले पाकिस्तान से ज्यादा निकटता महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं तमिलनाडु जाता हूं, तो वहां की भाषा नहीं समझता, केवल एकाध शब्द ऐसे हैं जो मैं समझ पाता हूं। ऐसा नहीं कि वहां का खाना मुझे अच्छा नहीं लगता लेकिन लंबे समय तक उसे मैं नहीं खा सकता। वहां की संस्कृति पूरी तरह अलग है।’ फिर उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं पाकिस्तान चला जाऊं तो वहां की भाषा ऐसी ही है।’ शिरोमणि अकाली दल को नाराज़ करने के लिए यह बयान काफी था, जिसने इसे ‘राष्ट्र का अपमान’ करार दिया। बीजेपी के सम्बित पात्रा भी भडक़ गए और बोले कि सिद्धू को पाकिस्तान की कैबिनेट में चले जाना चाहिए।
हकीकत हालांकि यह है कि पंजाब जैसे राज्य और यह बात हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान व संभवत: उत्तराखण्ड के लिए भी सही हो सकती है। सरहद पार के साथ भाषा, खानपान, संस्कृति, जीवनशैली साझा करते हैं और यहां तक कि एक दूसरे की कसमें खाते हैं। यह बात खासकर दोनों ओर के पंजाबियों पर लागू होती है। ये रिश्ते इतिहास और भूगोल से तय होते हैं और इन्हें नकारा नहीं जा सकता। कुछ लोगों को सियासी तर्ज पर यह बात नागवार गुजऱ सकती है लेकिन आपके चाहने से यह तथ्य मिट नहीं जाएगा। इसे पलट कर देखें तो भाषा, खानपान, संस्कृति और जीवनशैली ही है जो पंजाब को तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अलगाती भी है। इसे भी नहीं नकारा जा सकता। जाहिर तौर से हम एक देश हैं और इस पर हमें गर्व भी है लेकिन हम अलहदा भी हैं। अनेकता में एकता इसी को तो कहते हैं। यही विविधता भारत की खूबी है। इसी से भारत समृद्ध है।
सिद्धू के बयान को राष्ट्र का अपमान मानना इस तथ्य की उपेक्षा करना है कि पाकिस्तान पहले भारत का ही अंग था और उसका पंजाब प्रांत मूल पंजाब का हिस्सा था। वास्तव में आज ऐसे तमाम लोग जो सरहद के इस ओर पंजाब में रह रहे हैं उनकी कई पीढिय़ां सरहद के उस पार वाले पंजाब में जिंदगी बिता चुकी हैं। उनकी पारिवारिक स्मृतियां दुरुस्त हैं और एक भावनात्मक जुड़ाव है जो अभी तक छीजा नहीं है। इन तथ्यों को आप नकार नहीं सकते। यही वह कारण है कि पाकिस्तान के साथ हमारी समस्या को उत्तर भारत और दक्षिण भारत में अलग तरीके से देखा-समझा जाता है। वास्तव में इसीलिए यही वजह है कि कई पंजाबियों के लिए पाकिस्तान का मसला अकसर विरोधी या टकराव वाली भावना पैदा कर देता है। हम जानते हैं कि यह समस्या वास्तविक है और वे गलत हैं लेकिन हम पहले की तरह भाईचारा भी कायम करना चाहते हैं।
क्या सिद्धू के आलोचकों को यह लगता है कि उनका कहा पाकिस्तान के पंजाबियों के लिहाज से भी सच हो सकता है। वे लोग दक्षिण के सिंधियों, पश्चिम के बलोच और यहां तक कि उत्तर के पठानों के मुकाबले खुद को पूरब की सरहद पर रहने वालों के करीब पाते होंगे। भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की जटिलताओं और निहितार्थों को हमें स्वीकार करना होगा। इन पर झगडऩे का कोई मतलब नहीं है।

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