दूसरी लहर के खतरनाक परिणामों को सबने देखा है। देश की ही बात करें तो तीन करोड़ चालीस लाख से अधिक मामले तो सामने आए ही, साढ़े चार लाख से अधिक मौतों का मंजर हमारी आंखों के सामने से गुजरा है। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक के खजाने कोरोना के कहर को खत्म करने में लगभग खाली से हो गए। लगभग साल भर तो देश पूरी तरह ठहरा रहा। लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं। व्यापारिक गतिविधियां भी ठप पड़ गईं। अब जो हालात बने हैं, उनके लिए सरकारी प्रयास के साथ-साथ आमजन का सहयोग भी खास महत्त्व रखता है। यह अच्छी बात है कि देश, कोरोना पर जीत हासिल करने की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन अब भी सावधानी जरूरी है। दुनिया के अनेक देशों को कोरोना पर जीत के बाद फिर परेशानी में घिरते हम देख चुके हैं।
रूस और ब्रिटेन जैसे देश अब भी कोरोना से जूझ रहे हैं। दुनिया में अब भी रोजाना तीन लाख से अधिक कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं। चार हजार से भी अधिक लोग रोजाना दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में सावधानी ही तीसरी लहर और हमारे बीच सबसे बड़ी दीवार बन सकती है। त्योहारों के साथ-साथ आने वाले महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। बाजारों में भी पहले जैसी भीड़ होने लगी है। आम जनता के साथ सरकारों को भी लापरवाही से बचना होगा।
कोरोना प्रोटोकॉल में छूट भले ही हो जाए, पर जहां जरूरी हो कड़ाई से भी पीछे नहीं हटना चाहिए। देश में वैक्सीनेशन कार्यक्रम तेज गति से चल रहा है। उम्मीद है जल्द ही सभी को वैक्सीन की दोनों डोज लग जाएंगी। फिर भी यह समय पहले से अधिक सावधानी बरतने का है। सरकार सख्ती करे या नहीं, हमको समझदारी से काम लेना है। हमारी सावधानी, किसी और को नहीं, हमें ही सुरक्षित रखेगी। कोरोनावायरस के नए वेरिएंट कब सामने आ जाएं, पता नहीं। पहले भी जब तक पता चला, बहुत देर हो गई थी। हम इसी तरह सावचेत रहे तो वह दिन दूर नहीं जब मुंबई ही नहीं, देश के किसी भी कोने से कोरोना के कारण किसी के मरने की खबर नहीं आएगी।