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बिटकॉइन से रहें सावधान!

यह विश्व का पहला एकदम खुला भुगतान तंत्र (ओपन पेमेंट नेटवर्क) है। पिछले कुछ माह में अमरीक…

Jan 16, 2015 / 11:35 am

Super Admin

यह विश्व का पहला एकदम खुला भुगतान तंत्र (ओपन पेमेंट नेटवर्क) है। पिछले कुछ माह में अमरीका समेत बाकी देशों में बिटकॉइन ने इतनी तेजी से तरक्की की है कि दुनिया में 10 हजार से अधिक ऎेसे व्यापारी हो गए हैं, जो भुगतान के लिए इसे स्वीकार कर रहे हैं। पर ड्रग्स और हवाला में इसके इस्तेमाल ने नियामकों को परेशानी में डाल दिया है।

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन की खरीद-बिक्री, इस्तेमाल और उससे जुड़े सम्भावित खतरों पर चेतावनी जारी की थी। मीडिया रिपोट्र्स की मानें, तो भारत में बिटकॉइन बनाने और इस्तेमाल करने वाले बड़ी संख्या में मौजूद हैं।

क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक नई तरह की मुद्रा है- डिजिटल या वर्चुअल करंसी। कहने को तो यह एक करंसी है, पर यह आम तौर पर प्रचलित मुद्राओं जैसे रूपया, डॉलर, यूरो इत्यादि से बिलकुल भिन्न है। कम्प्यूटर नेटवर्को पर आधारित भुगतान के लिए बनाई गई यह मुद्रा है, जिसे बनाया है एक अनजान सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने, जिनका छk नाम है – सातोशी नकामोतो। सामूहिक कम्प्यूटर नेटवर्क पर आपसी भुगतान के लिए क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित की हुई यह एक नई तरह की मुद्रा है, पूरी तरह से डिजिटल या वर्चुअल। यह डिजिटल रूप से ही बनाई गई है और डिजिटल वॉलेट में ही रखी जाती है। कुछ उसी तरह जैसे चिटी की जगह ई-मेल, पर ये तुलना ठीक नहीं और इस डिजिटल करंसी को समझना इतना आसान भी नहीं है।

कम्प्यूटिंग पावर की जरूरत
जटिल कम्प्यूटर एल्गोरिथम्स और हार्डवेयर से बनाई जाने वाली इस मुद्रा के निर्माण के तरीके को “माइनिंग” कहते हैं। अगर आसानी से समझें, तो जैसे संसाधनों का इस्तेमाल कर सोने की माइनिंग की जाती है, वैसे ही कम्प्यूटिंग पावर से इन्हें बनाया जाता है। माइनिंग नाम वैसे तो गोल्ड माइनिंग से ही प्रेरित है, पर वास्तव में यह गोल्ड माइनिंग की तरह बिल्कुल नहीं है। ये हम और आप भी कर सकते हैं, इसके लिए सिर्फ कम्प्यूटर हार्डवेयर अर्थात कम्प्यूटिंग पावर की जरूरत होती है। जितनी अत्यधिक क्षमता वाले सर्वर होंगे, उतने ही बिटकॉइन बनाए जा सकते हैं, पर बिटकॉइन का इस्तेमाल करने के लिए ये सब करने की जरूरत भी नहीं। जैसे हम डॉलर या यूरो खरीद सकते हैं, वैसे ही बिटकॉइन भी खरीदे जा सकते हैं।

कोई व्यापारी अपने उत्पाद के लिए भुगतान के रूप में इन्हें स्वीकार भी कर सकता है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसे पारम्परिक मुद्राओं में बदला भी जा सकता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं। कुछ देशों में बिटकॉइन के एटीएम भी हो गए हैं। फिलहाल, इनकी लोकप्रियता और लोगों का ध्यान आकर्षित करने का एक कारण ये भी है कि इस साल पूरी दुनिया में संभवत: बिटकॉइन से ज्यादा रिटर्न किसी और निवेश से नहीं मिला।

…और खतरे भी कम नहीं
जहां किसी भी मुद्रा की कीमत उस देश की अर्थव्यवस्था, सरकार और केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता और नीतियों पर निर्भर करती है, वहीं ऎसा कोई आधार न होने के कारण बिटकॉइन भरोसा के लायक नहीं है। बिटकॉइन की कीमत आखिर किस चीज की कीमत है? किसी वित्तीय संस्था या देश या किसी वास्तविक कमोडिटी से न जुड़े होने का अर्थ यह भी तो है कि इसके पीछे कोई वास्तविक आधार ही नहीं। अगर इस तरह सोचें, तो फिर यह आभासी रूप से बनाई हुई एक सैद्धान्तिक मुद्रा के अतिरिक्त कुछ नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि इसकी कीमत महज सट्टे पर आधारित है, अर्थात इसकी बढ़ी हुई कीमत महज एक अटकल और वित्तीय “बुलबुला” है।

इसके अतिरिक्त पूरी तरह डिजिटल होने के कारण कम्प्यूटर और हैकिंग से जुड़े खतरे भी हैं। इससे जुड़े कई तरह के तकनीकी सवाल भी अभी तक अनुत्तरित हैं, जैसे कम्प्यूटिंग पावर बढ़ने के साथ “माइनिंग” का आसान होते जाना। इनका अनजान तरीके से इस्तेमाल कई तरह के फ्रॉड, जैसे ड्रग्स की खरीद-बिक्री, हवाला, आतंकवादी गतिविधियों को वित्तीय मदद, टैक्स की चोरी इत्यादि को स्वाभाविक ही प्रोत्साहन देगा। दरअसल ऎसी ही एक घटना ने इसे लोकप्रियता भी दिलाई, वो थी अमरीका में एफबीआई द्वारा ड्रग्स की खरीद-बिक्री की वेबसाइट को बंद करवाना।

सिल्क रोड नामक इस वेबसाइट पर अवैध गतिविधियों के लिए भुगतान अनजान नेटवर्क्स से बिटकॉइंस के रूप में किए जाते थे। बिटकॉइन का कानूनी दायरे में नहीं आना भी एक बड़ा खतरा है। एक सामूहिक नेटवर्क पर किए गए लेन-देन किसी भी क्लियरिंग एजेंसी से होकर नहीं जाते अर्थात कुछ गड़बड़ हुई, तो किसी की जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए कोई नियंत्रण संस्था भी नहीं है।

अर्थशाçस्त्रयों में मतभेद
बिटकॉइन के खतरों पर अर्थशास्त्री एक मत नहीं हैं। जहां कुछ इसमें नई अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा और सोने जैसा होने की क्षमता देखते हैं, वहीं अधिकतर इससे सतर्क रहने की चेतावनी देते हैं। कुछ इसे अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के ही विरूद्ध मानते हैं। कई इसे मुद्रा से ज्यादा एक “स्पेक्युलेटिव कमोडिटी” मान रहे हैं, जिसका कोई वास्तविक आधार ही नहीं। कई ने इसे वित्तीय “बुलबुला” कहा है।


साफ नहीं उद्देश्य
बिटकॉइन को मुद्रा मान भी लें, तो वित्तीय विकास और मंदी के दौर में “के्रडिट एक्सपैन्शन” और “प्रिंटिंग एट विल” जैसे तरीकों का क्या होगा? पर शायद ये सब बिटकॉइन का उद्देश्य भी नहीं। दरअसल, यह एक नया ही वित्तीय साधन है, इसे मुद्रा या कमोडिटी की श्रेणी में रखना न तो संभव है, न ही सही होगा। फिलहाल, इसे अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के तहत नहीं रखा जा सकता है।

आरबीआई ने चेताया
इस साल बिटकॉइन की अस्थिर कीमतें दर्शाती हैं कि फिलहाल इसमें एक स्थिर मुद्रा होने के गुण तो नहीं ही हैं। विशेषज्ञों की टिप्पणी के बावजूद स्थापित मौद्रिक नीतियों के समक्ष अभी इस नई अवधारणा को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। पर इसे खरीदने, रखने और इस्तेमाल करने में कई तरह के प्रत्यक्ष खतरे तो हैं ही। ऎसे में इस वक्त भारतीय रिजर्व बैंक की चेतावनी सही ही है।

अभिषेक ओझा, आर्थिक मामलों के जानकार

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