अधिसूचना के अनुसार, प्रत्येक इकाई को उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य होगा। इस पोर्टल पर पहले से ही वर्गीकरण की भरमार है और प्रत्येक उद्योग को अपने अस्तित्व की वैधता के पक्ष में पहचान संबंधी कुछ दस्तावेज जमा करवाने होते हैं। ये दस्तावेज हो सकते हैं- आधार नम्बर, पैन नम्बर या जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र। बड़े एवं औपचारिक क्षेत्र के उद्योगों का अलग से व्यावसायिक पैन या जीएसटी नम्बर होता है। परन्तु छोटे व असंगठित क्षेत्र के व्यापारी जो आयकर या जीएसटी के दायरे में नहीं आते, उनके पास ये नहीं होता। इन सबके अलावा एक समस्या और है। 26 जुलाई को जारी गजट अधिसूचना में सेवा क्षेत्र में खुदरा एवं थोक व्यापार की श्रेणी नहीं रखी गई है।
इंडिया डेटा इनसाइट्स की ओर से प्रदत्त आंकड़ों के अनुसार एमएसएमई क्षेत्र के कुल उद्योगों में से केवल 16 प्रतिशत ने ही उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है और इन सभी को मार्च 2021 से पहले पुन: रजिस्टर करना होगा। व्यापार एवं सेवा की उप श्रेणी में अनुमानित इकाइयों में से केवल 14 प्रतिशत ही पंजीकृत हैं। यह प्रक्रिया एक प्रकार से असम की एनआरसी के समान है। जो छोटे उद्यमी लंबे समय से सक्रिय हैं और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, वे फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं और उनसे कहा गया है कि अगर वे पोर्टल पर रजिस्टर नहीं करवाते हैं तो उनका अस्तित्व ही नहीं माना जाएगा। नतीजा यह है कि बड़ी संख्या में अनौपचारिक और अर्ध-औपचारिक उद्यम जो बैंकिंग प्रणाली से उधार ले रहे थे, वे एमएसएमई की श्रेणी के अयोग्य हो जाते हैं।