अब तस्वीर काफी बदल चुकी है। भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। ब्रिटेन से सोना मंगाने का स्पष्ट संकेत है कि अब हमें अपना सोना विदेश में रखने की जरूरत नहीं है। आरबीआइ स्वर्ण भंडार को लेकर गरिमा के अनुरूप नीतियों में बदलाव कर रहा है। आने वाले दिनों में विदेश से और भारतीय सोना लौटने के आसार हैं। सोने का भंडार किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण है। कुछ समय से आरबीआइ स्वर्ण भंडार बढ़ाने पर खास ध्यान दे रहा है। पिछले कुछ महीनों में उसने 27.5 टन सोना खरीद कर अपने स्वर्ण भंडार में जोड़ा है। इस साल मार्च के आखिर तक इस भंडार में 822.1 टन सोना था। अब ब्रिटेन से लौटा 100 टन सोना भी इसमें जुड़ गया है। इसके बाद भी कुल स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) के मामले में भारत अभी अमरीका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस और चीन जैसे देशों से पीछे है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसे देखते हुए हमें अपने स्वर्ण भंडार को और समृद्ध करने की जरूरत है।
रूस-यूक्रेन और इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध के कारण मुद्रा की अस्थिरता के साथ भू-राजनीतिक जोखिमों के खिलाफ बचाव के रूप में दुनिया के कई प्रमुख बैंक सोना खरीदने पर जोर दे रहे हैं। डॉलर के अवमूल्यन और नकारात्मक ब्याज दरों के कारण हाल ही सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और तुर्की गणराज्य के केंद्रीय बैंक ने काफी सोना खरीदा। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक इस साल जनवरी-मार्च में केंद्रीय बैंकों ने 290 टन सोना खरीदा। विभिन्न केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद के कारण सर्राफा बाजारों में सोने की कीमतें लगातार उछल रही हैं। इससे भारत जैसे देश के आम उपभोक्ता भी सीधे प्रभावित हो रहे हैं। आरबीआइ को अपना स्वर्ण भंडार बढ़ाने के साथ यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में आम आदमी की सोने तक पहुंच बनी रहे।