कसम से। हमारा बस
चले तो इन कलियुगी “मां” और “बापू” को उसी तरह पछाड़-पछाड़ कर शिला पर पटके जैसे
जुग्गन धोबी कपड़ों को फचींटता है। मां और बापू सनातन संस्कृति के सबसे पवित्र शब्द
हैं। मां कहते ही निगाहों में एक ऎसी ममतामयी स्त्री का चेहरा आंखों के सामने आ
जाता है जो संतान के लिए अपना सुख, चैन, नींद सब हराम कर देती है। लेकिन इन कलियुगी
कथित धार्मिक “बापुओं” और “मांओं” ने धर्म की आत्मा तक को बेच दिया है।
मां नामक एक
कथित अवतार की लीला देख कर हर कोई शर्मा सकता है। वह फिल्मी गानों पर नाचती है, ऎसे
भड़काऊ लघु वस्त्र पहनती है कि बेचारी फिल्म तारिकाएं भी उसके सामने पानी भरती नजर
आएं। हैरत की बात तो यह कि इस कथित “मां” से जब कोई सवाल पूछता है तो वह उसके गालों
पर हाथ फेर कर गले से लग जाती है। अपने भक्तों के भी चिपक कर “आशीर्वाद”दे देती है।
अरे वाह कलियुग। ऎसे ढोंगियों को देख अगर “ओ माई गॉड” और “पीके” जैसी फिल्में बनती
और हिट होती हैं तो इतना साफ हो जाता है कि हमारे देसी आम आदमी की नजर में इन
ढोंगियों के लिए रत्ती भर भी सम्मान नहीं है।
परन्तु दूसरी तरफ जब इनके प्रवचनों,
जागरणों और भाष्ाणों में भीड़ उमड़ती है तो यह भी लगता है कि देश की जनता अपनी
परेशानियों से निजात पाने के लिए झक मार कर इन पाखंडियों के पास पहुंच जाती है।
क्या करें हारे को हरिनाम ही सूझता है।” मां” के एक ऑडियो में तो वे बार-बार बाबाजी
का ठुल्लू जैसे द्विअर्थी मुहावरे को कई बार दोहराती लग रही है। माना कि अपने देश
में अभिव्यक्ति की आजादी है। हमारे यहां धर्म के नाम पर आम लोगों को मूर्ख बनाना भी
बड़ा आसान है क्योंकि वे सहज विश्वासी होते हैं और बड़ी आसानी से सामने वाले पर
भरोसा कर लेते हैं। बस इसी विश्वास का को भुना कर लोग चौराहे के पत्थर पर सिन्दूर
पोत कर मंदिर और किसी भी जगह चादर चढ़ा कर मजार बनाने से नहीं हिचकिचाते। और चतुर
चालाक स्वयंभू अवतार बन जाते हैं।
उड़ीसा में एक कथित अवतार ने तो जगन्नाथपुरी
में बाकायदा अपनी रथयात्रा तक निकलवाई और बाद में यही अवतार मेडिकल की छात्रा के
साथ हैदराबाद के होटल में मांसाहार करते व्हिस्की पीते पाए गए। हमारे नेताओं के पास
भी मंदिर-मस्जिद के लिए परस्पर बहस विवाद करने का खूब वक्त है पर इन ढोंगियों को
बेनकाब करने का वक्त नहीं है। बेचारा आम आदमी अपनी श्रद्धा और भक्ति का दिन दहाड़े
चीर हरण होता देख दुखी होने के सिवाय कर ही क्या सकता है। इन कथित “भगवानों” के दर
पर जब मंत्री संतरी तक दण्डवत करते हैं तो कानून के रक्षक भी आंखें मींच लेते हैं।
राही