scriptआर्ट एंड कल्चर : ओटीटी पर ‘रामयुग’ एक नया अध्याय | 'Ram Yuga' a new chapter on OTT | Patrika News
ओपिनियन

आर्ट एंड कल्चर : ओटीटी पर ‘रामयुग’ एक नया अध्याय

वीएफएक्स का कुशल प्रयोग रामकथा की सहजता को नई भव्यता देता है

नई दिल्लीMay 21, 2021 / 04:15 pm

विकास गुप्ता

आर्ट एंड कल्चर : ओटीटी पर 'रामयुग' एक नया अध्याय

आर्ट एंड कल्चर : ओटीटी पर ‘रामयुग’ एक नया अध्याय

विनोद अनुपम

दादा साहब फाल्के ने भारतीय सिनेमा के आरंभिक दौर में 125 से अधिक फिल्मों का निर्माण किया, और उनमें से अमूमन सारी या तो धार्मिक कथानक पर आधारित थीं, या ऐतिहासिक पात्रों पर। उन्हें अहसास था कि कला की इस नई विधा के प्रति आमजन को जोडऩे में इतिहास और धर्म की जानी-पहचानी कहानियां ही कारगर हो सकती हैं। तब से न जाने गंगा में कितना पानी बह गया, लेकिन धार्मिक आख्यानों के प्रति हमारी ललक आज भी वही है। रामकथा की बात करें, तो वह जब भी जिस भी रूप में, जितनी बार भी कही जाती है, हम उसके रस में डूब जाते हैं।

रामकथा शायद दुनिया की सबसे अधिक देखी-सुनी जाने वाली कथा कही जा सकती है। ऐसी कथा जिसके क्लाइमेक्स को जानने की उत्कंठा नहीं होती, बस उससे गुजरते जाने की इच्छा होती है। एक ही रामलीला हर साल अमूमन एक ही रूप में होती है, फिर भी हम प्रतीक्षा करते हैं। आश्चर्य नहीं कि रामानंद सागर की ‘रामायण’ वर्षों बाद भी दूरदर्शन पर दिखाई जाती है तो सबसे अधिक लोकप्रिय शो के रूप में दर्ज होती है। वास्तव में एक ही चीज है जो बार-बार रामकथा से हमें कनेक्ट करती है, वह है श्रद्धा। श्रद्धा अच्छाई, सच्चाई और नैतिकता के प्रति, साहस और समर्पण के प्रति, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रति। शायद इसीलिए रामकथा कहने में कहीं भी, बहुत अधिक प्रयोग करने की कोशिश नहीं की गई थी अभी तक।

कुणाल कोहली की ‘रामयुग’ यह कोशिश करती दिखती है। वास्तव में अपराध और सेक्स में डुबकियां लगाते ओटीटी प्लेटफार्म पर रामकथा को परंपरागत रूप में लाया भी नहीं जा सकता था। ‘रामयुग’ में रामकथा एकदम नए रूप में दिखाई देती है। पात्रों के चयन से लेकर वस्त्र विन्यास, रूप सज्जा से लेकर कहने की शैली में भी वह परंपरा से दूर जाने की चुनौती स्वीकार करते हैं। यहां राम और सीता दैवीय आभा के साथ नहीं, मनुष्य रूप में दिखते हैं। वीएफएक्स का कुशल प्रयोग रामकथा की सहजता को नई भव्यता देता है। ‘फना’ और ‘हमतुम’ बनाने वाले कुणाल को अंदाजा था कि ओटीटी पर ‘रामकथा’ से वह एक नए दर्शक वर्ग को जोडऩे जा रहे हैं, रामकथा की शुचिता को बगैर आघात पहुंचाए वह अपनी कोशिश में सफल भी होते हैं। उम्मीद है यह सफलता ओटीटी को डार्क स्टोरी की दुनिया से बाहर निकालने के लिए भी प्रेरित करेगी।

(लेखक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त कला समीक्षक हैं)

Home / Prime / Opinion / आर्ट एंड कल्चर : ओटीटी पर ‘रामयुग’ एक नया अध्याय

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो