Patrika Opinion: पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित हों सड़कें
अहम तथ्य यह है कि सड़क हादसों में पैदल और साइकिल सवारों की मौतें भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक हो रही हैं। दिक्कत तो यह है कि ऐसे देशों में सड़क बनाने की मौजूदा अवधारणा में पैदल और साइकिल सवारों के लिए कोई जगह नहीं बची है।
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Patrika Opinion: पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित हों सड़कें
भारत समेत दुनियाभर में सड़कों पर वाहनों की बढ़ती रेलमपेल बड़ी समस्या बन कर उभर रही है। हालात यह हैं कि बड़ी-बड़ी सड़कें वाहनों के लिए छोटी पड़ने लगी हैं। शहरों की सड़कों की स्थिति तो बदतर है, जहां यातायात जाम आम बात हो गई है और लोग परेशान होते रहते हैं। हाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आई नई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि अधिकतर सड़कें पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया भर में हर साल सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में 29 फीसदी पैदल यात्री और साइकिल सवार होते हैं। इनमें 23 फीसदी पैदल यात्री और छह फीसदी साइकिल सवार हैं।
देखा जाए तो यह आंकड़ा करीब-करीब सड़क हादसों में होने वाली चारपहिया सवारों की मौतों के बराबर है। चिंता की बात यह है कि 2010 की तुलना में 2021 के दौरान हादसों में जान गंवाने वाले पैदल यात्रियों के आंकड़ों में तीन फीसदी का इजाफा हुआ है। साइकिल सवारों की मौतों में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। अहम तथ्य यह है कि सड़क हादसों में पैदल और साइकिल सवारों की मौतें भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक हो रही हैं। दिक्कत तो यह है कि ऐसे देशों में सड़क बनाने की मौजूदा अवधारणा में पैदल और साइकिल सवारों के लिए कोई जगह नहीं बची है। सड़कों को द्रुतगामी वाहनों के हिसाब से ही डिजाइन किया जा रहा है। जब सड़कों पर तेज वाहनों के साथ पैदल या साइकिल पर लोग चलते हैं तो वे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। हैरत की बात यह है कि दुनिया में 80 फीसदी सड़कें पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। ये पैदल यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े मानकों को पूरा नहीं करती हैं। हालत यह है कि सिर्फ 0.2 फीसदी सड़कों पर ही साइकिल लेन मौजूद हैं, जो स्पष्ट तौर पर इस बात का संकेत है कि ये सड़कें पैदल और साइकिल सवारों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। भारत समेत अधिकतर देशों में सड़कों के निर्माण व रखरखाव के वक्त इस वर्ग का ध्यान ही नहीं रखा जाता। सड़कों पर जिस रफ्तार से वाहनों की रेलमपेल बढ़ रही है, उसमें पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों के लिए तो कहीं जगह ही नहीं बची है।
खासतौर पर भारत में पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए ठोस नीति बनाने की जरूरत है। सरकारों को यह बात समझनी होगी कि चमचमाती सड़कें विकास का पैमाना तो हो सकती हैं, लेकिन इनकी सार्थकता तभी है, जब उनमें पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों का भी ध्यान रखा जाए।
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