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कोरोना की दूसरी लहर : याद रखें नागरिक धर्म और बुनियादी मुद्दों में रुचि लें

हम यथार्थ को भूल गए, महामारी के खिलाफ जंग को भूल गए ।

नई दिल्लीMay 08, 2021 / 10:54 am

विकास गुप्ता

कोरोना की दूसरी लहर : याद रखें नागरिक धर्म और बुनियादी मुद्दों में रुचि लें

कोरोना की दूसरी लहर : याद रखें नागरिक धर्म और बुनियादी मुद्दों में रुचि लें

प्रतीक राज

कोविड महामारी के दु:ख और शोक से आज कोई हिंदुस्तानी अछूता नहीं। ऐसी त्रासदी स्वतंत्र भारत के इतिहास में न कभी आई और न कभी पुन: आनी चाहिए। कोविड विचित्र त्रासदी है, एक भयावह गुरु की भांति, जिसने हमें कुछ दुर्लभ सत्यों से अवगत कराया है – यह देश हमारा है, हमसे ही बनता है, और इस देश के भविष्य की जिम्मेदारी भी हम पर ही है, किसी दूसरे की नहीं। आंखें बंद कर, चटपटी खबरों में डूब कर, यथार्थ से टूट कर, हम सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, किंतु हम सुरक्षित हैं नहीं। महामारी गत वर्ष आ गई थी। हम यथार्थ को भूल गए। महामारी भयंकर थी। राष्ट्रवाद और चटपटी खबरों में हम इस महायुद्ध को ही भूल गए। क्या हमें अपने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा, वेतन, और अधिकारों का ध्यान आया? हमें 50000 वेंटिलेटर और 160 से अधिक ऑक्सीजन टैंक का वादा किया गया? ये वेंटिलेटर और टैंक कहां हैं? कितने की आवश्यकता है, क्या हमने पूछा? महामारी अदृश्य है। युद्ध के लिए न तो पूरे हथियार हैं, न ही सेना। क्या हमने पूछा कि महामारी के बीच रैलियों का आयोजन क्यों किया?

एक समाज जो स्वास्थ्य पर निवेश तो दूर, स्वास्थ्य की बात भी ना करे और अपनी बुनियादी सुविधाओं को भूल, धर्म, जाति और प्रलाप में लिप्त हो, वह समाज ऐसी त्रासदी से कैसे लड़ेगा? जब त्रासदी आई, तो वीआइपी नेताओं ने तो वीआइपी बेड पकड़ लिए और हमें छोड़ दिया, रोड और श्मशानों पर। हमने त्राहि माम की पुकार की और उन्होंने वीआइपी बंगलों में बैठ कर संवेदना प्रकट की।

हम अपने नागरिक धर्म को भूल गए। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, जल-जीवन को भूल, फिल्मी गपशप और साम्प्रदायिक राजनीति में लीन हो गए। इसलिए आज त्रासदी का ऐसा रूप स्वतंत्र भारत देख रहा है। अब भी देर नहीं हुई है, अंधेरे के बाद उजाला भी होता है। आशा है कि अब हम अपने नागरिक धर्म को नहीं भूलेंगे। बुनियादी मुद्दों में रुचि लें, और दुष्कर प्रश्नों को पूछने और उत्तर देने की चेष्टा करें। हमारा देश हमारी जिम्मेदारी है, यही स्वराज की नींव है।
(लेखक आइआइएम, बैंगलूरु में स्ट्रेटेजिक एरिया प्रोफेसर हैं)

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