निस्संदेह आकाश और धरती की संरचना में, और रात और दिन की अदला-बदली में, और उन नौकाओं में जो लोगों की लाभप्रद चीजें लेकर समुद्र (और नदी) में चलती हैं, और उस पानी में जिसे ईश्वर ने आकाश से उतारा, फिर जिसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव होने के पश्चात जीवित किया, उन लोगों के लिए कितनी ही निशानियां हैं जो बुद्धि से काम लें। (2: 163-164) कुरआन कहता है-‘यदि तुम उनसे पूछो ‘किसने आकाश और धरती को पैदा किया और सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगाया?, तो वे बोल पड़ेंगे, ‘एक ईश्वर ने! (29: 61) ईश्वर कुरआन में कहता है, ‘जब तुमसे मेरे बंदे मेरे संबंध में पूछें, तो मैं तो निकट ही हूं, पुकारने वाले की पुकार का उत्तर देता हूं। जब वे मुझे पुकारते हंै, तो उन्हें चाहिए कि वे मेरा हुक्म मानें और मुझ पर यकीन रखें, ताकि वे सीधा मार्ग पा लें। (२:186)