मेरा यह कहना है कि चाहे वह अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म, दोनों ही बंधन होते हैं। वे लोग जो बस आरामदेह जीवन जीना चाहते हैं, उनके लिए इस वर्गीकरण का महत्त्व है। वे हमेशा यह सोचते हैं कि अच्छा कर्म कैसे करें, ताकि वे अपने अगले जन्म में धन, सुख और खुशहाली के साथ पैदा हों। केवल उसी इंसान के लिए, जो द्वैत के साथ जी रहा है, कर्म अच्छे और बुरे होते हैं। उस इंसान के लिए, जो जीवन और मृत्यु से परे जाने की सोचता है, जो द्वैत से ऊपर उठना चाहता है, जो अस्तित्व के साथ एक होना चाहता है, उसके लिए अच्छे कर्म उतने ही व्यर्थ होते हैं, जितने कि बुरे कर्म। उसके लिए कर्म मात्र कर्म होता है, उसके लिए कोई वर्गीकरण मायने नहीं रखता। एक आध्यात्मिक इंसान के लिए सभी कर्म बंधन का कारण हैं और मुक्ति के मार्ग में रोड़े हैं।