scriptआत्म-दर्शन : मुक्ति और कर्म | Self Philosophy : Liberation and Karma | Patrika News
ओपिनियन

आत्म-दर्शन : मुक्ति और कर्म

गुण के आधार पर कर्मों को बांटा गया है। कर्मों को अच्छे और बुरे में भी बांटा जा सकता है। कर्म का सीधा सा अर्थ है क्रिया।

नई दिल्लीSep 18, 2021 / 12:09 pm

Patrika Desk

आत्म-दर्शन : मुक्ति और कर्म

आत्म-दर्शन : मुक्ति और कर्म

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

अगर आप केवल अपने जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, तो अच्छे कर्म फायदेमंद हो सकते हैं। अच्छे कर्म का मतलब अच्छा काम नहीं होता, बल्कि इसका अर्थ है – वे काम जो एक अच्छे संकल्प से किए जाते हैं। गुण के आधार पर कर्मों को बांटा गया है। कर्मों को अच्छे और बुरे में भी बांटा जा सकता है। कर्म का सीधा सा अर्थ है क्रिया। आपका कार्य, आपकी जिम्मेदारी। आपके कर्म केवल आपके इरादे से निर्धारित होते हैं।

मेरा यह कहना है कि चाहे वह अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म, दोनों ही बंधन होते हैं। वे लोग जो बस आरामदेह जीवन जीना चाहते हैं, उनके लिए इस वर्गीकरण का महत्त्व है। वे हमेशा यह सोचते हैं कि अच्छा कर्म कैसे करें, ताकि वे अपने अगले जन्म में धन, सुख और खुशहाली के साथ पैदा हों। केवल उसी इंसान के लिए, जो द्वैत के साथ जी रहा है, कर्म अच्छे और बुरे होते हैं। उस इंसान के लिए, जो जीवन और मृत्यु से परे जाने की सोचता है, जो द्वैत से ऊपर उठना चाहता है, जो अस्तित्व के साथ एक होना चाहता है, उसके लिए अच्छे कर्म उतने ही व्यर्थ होते हैं, जितने कि बुरे कर्म। उसके लिए कर्म मात्र कर्म होता है, उसके लिए कोई वर्गीकरण मायने नहीं रखता। एक आध्यात्मिक इंसान के लिए सभी कर्म बंधन का कारण हैं और मुक्ति के मार्ग में रोड़े हैं।

Home / Prime / Opinion / आत्म-दर्शन : मुक्ति और कर्म

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो