भारतीय संस्कृति हमेशा से मानवतावादी और नैतिक मूल्यों की रक्षक रही है। भारतीय जीवन-शैली में सेवा का संस्कार रचा-बसा है। यहां मानव सेवा इष्ट की सेवा मानकर की जाती है। उन्होंने कहा कि सेवा कार्य निश्चित धारणा के साथ नहीं हो सकता है। इसके लिए दृष्टि और संवेदनशील विचारधारा की आवश्यकता है। बंधु भाव के साथ जरूरतमंद की पीड़ा, वेदना और दुर्बलता को समझकर सेवा कार्य किया जाना चाहिए। इस भावना के साथ किए गए कार्यों के परिणाम सदैव अच्छे होते हैं।