इजरायली सॉफ्टवेयर पेगेसस के जरिए विपक्षी नेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों, जजों और मंत्रियों के फोन टैप करके जासूसी करने के मामले पर विवाद गहरा गया है। विपक्ष इसके खिलाफ मुखर है। सदन की कार्यवाही भी इससे प्रभावित हुई है। आरोप केंद्र सरकार पर है कि उसने ही जासूसी करवाई है। हालांकि, सरकार ने इस आरोप से इनकार किया हैै। अब चाहे जो भी हो, अभी केंद्र सरकार घेरे में है। इसलिए ‘दूध का दूध और पानी का पानीÓ होना ही चाहिए। केंद्र सरकार को इस मामले की निष्पक्ष व पारदर्शी जांच करवानी चाहिए।
-नितेश मंडवारिया, नीमच, मप्र
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कुछ देर के लिए मान लें कि पेगेसस जासूसी का वास्ता सरकार या उसकी एजेंसियों से नहीं है। सवाल यह है कि अगर ऐसा नहीं है तो सरकार को क्या इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए कि कौन लोग इस देश के बेहद महत्वपूर्ण नागरिकों के जीवन में घुसपैठ कर रहे हैं? इसलिए मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए, ताकि असलियत का पता चल सके।
-प्रदीप कुमार दुबे, देवास
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साइबर सुरक्षा किसी भी देश के लिए आज के दौर में बड़ा मसला हैं। अगर सरकारें खुद ही लोगों की निजता पर हमला करेंगी, तो फिर जनता कहां जाएगी। इंटरनेट बैंकिंग से लेकर हर छोटे बड़े काम मोबाइल से होते हैं। ऐसे में यह बड़ा गंभीर विषय हैं। मसला यह हैं कि सरकारें शक्ति का दुरुपयोग कर रही हैं। राजस्थान में भी फोन टैप का कांड सुर्खियों में रहा। कानून सबके लिए बराबर हैं। सरकार पर चुनिंदा लोगों की जासूसी करने का आरोप है। प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जाए। सर्वोच्च न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।
– अणदाराम बिश्नोई, जयपुर
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जांच अति आवश्यक है। जब संदेह की उंगलियां उठने लगे, यह सिर्फ निजता का हनन नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकारों का भी हनन है। यह राष्ट्र की सुरक्षा का भी मामला हैं। केवल जांच ही एक सरकार को इन सवालों से बचा पाएगी।
– आकांक्षा ज्योति, भोपाल, मप्र
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पेगेसस जासूसी प्रकरण एक अस्वीकार्य घटना है, क्योंकि इससे न सिर्फ मौलिक अधिकार जैसे निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है, साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में अविश्वास का माहौल भी बना है। अत: इस गंभीर मामले की जांच एक समिति बनाकर की जानी चाहिए। इसकी वास्तविकता लोगो के सामने आनी चाहिए, जिससे लोगों का सरकार के प्रति विश्वास बना रहे।
-तिलकराज योगी, सीकर
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इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगेसस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए गए हैं। उनमें कई बड़े नेता और पत्रकार भी शामिल हैं। केंद्र सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाकर जल्द से जल्द इसकी निष्पक्ष न्यायिक जांच कराकर रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत करना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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संयुक्त संसदीय समिति से जांच करवाई जाए
इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगेसस पर उपजा विवाद सामान्य तौर पर उचित ही है। सॉफ्टवेयर द्वारा जासूसी किया जाना गलत ही है। इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। पेगेसस जैसे सॉफ्टवेयर को नियमों के दायरे में बांधा जाना चाहिए। भारत में संयुक्त संसदीय समिति को इस मामले में दखल देकर जांच शुरू करनी चाहिए।
—मनोज जैन, टोंक
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पेगेसस जासूसी प्रकरण की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराई जाए। विपक्ष की यह मांग जायज है। लोकतंत्र में प्रभावशाली लोगों, प्रतिद्वंद्वी नेताओं, पत्रकारों की जासूसी कराना निंदनीय है। जेपीसी जांच में दूध का दूध व पानी का पानी सामने आएगा। देश के लोगों के सामने सच्चाई सामने आएगी।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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एडवांस टेक्नोलॉजी पर आधारित स्पाइवेयर पेगेसस द्वारा जिस प्रकार वैश्विक स्तर पर सरकारों द्वारा पत्रकारों, प्रमुख हस्तियों तथा विपक्ष के मोबाइल में सेंध लगाकर निजी जानकारियां चुराई जा रही है , वह संवैधानिक अधिकारों का हनन है। जो तथ्य उजागर हो रहे हैं ,उनसे सरकार पर सीधा सवाल उठना स्वाभाविक है क्योंकि इसका प्रयोग सरकारों द्वारा ही किया जा रहा है। यह एक संवेदनशील तथा जवाबदेही पूर्ण मुद्दा है। सरकार की विश्वसनीयता बनी रहे, इसके लिए मामले की जांच पड़ताल जेपीस द्वारा करवाई जानी चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़ ,
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इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगेसस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए। यह मामला अब तूल पकड़ गया है। पेगासस नाम के जिस स्पाई वेयर से फोन हैक करने की बात सामने आ रही है, उसे तैयार करने वाली कंपनी एनएसओ ने तमाम आरोपों से इनकार किया है। सरकार भी इस तरह के जासूसी घटनाक्रम से इंकार कर रही है। मामले की तह तक जाने के लिये आवश्यक है कि प्रकरण की पूर्णतया जांच हो।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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भारत में एक ओर डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो दूसरी ओर साइबर सुरक्षा पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। पेगेसस स्पाईवेयर द्वारा अनेक भारतीयों की जासूसी का आरोप सरकार पर लगाया जा रहा है, लेकिन सरकार इससे पल्ला झाड़ रही है। सवाल यह है कि सरकार एनएसओ की ग्राहक नहीं है तो फिर किसने इतनी ताकत, तकनीक और संसाधन के दम पर देश के नागरिकों का डेटा दांव पर लगा दिया? इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
-कनिष्क माथुर, जयपुर।