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क्या देश में समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Jul 11, 2021 / 07:19 pm

Gyan Chand Patni

क्या देश में समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए?

क्या देश में समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए?

एक देश, एक कानून
धर्म आधारित कानून बंद होने चाहिए। पूरा भारत देश एक है, इसका एक निशान है और एक ही प्रधान है, परंतु अभी तक सबके लिए एक विधान नहीं है। उत्तराधिकार, विवाह तलाक, गोद लेने व पैतृक संपत्ति के निपटारे के लिए सब भारतवासियों के लिए एक कानून होना आवश्यक है। कानून सबके लिए एक समान होने चाहिए। आधुनिक भारत के कानून को हमें समाज जाति वह धर्म में नहीं बांधना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की उम्मीद बहुत पहले ही बताई गई थी। उसे अब धरातल पर उतारने की आवश्यकता है।
डॉ. माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, सीकर
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विविधता में एकता
हमारा देश विविध संस्कृतियों का देश है। शुरू से ही हम यह कहते आए हैं कि विविधताओं में एकता का नाम भारत है, परंतु इन विविधताओं के साथ समय-समय पर छेड़छाड़ की जाती रही है। समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास अव्यावहारिक है।
-सुदर्शन शर्मा, चौमूं, जयपुर
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फैसले जल्दी होंगे
देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। देश में अलग-अलग धर्म, जाति और समुदाय के लिए अलग-अलग कानून होने के कारण न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से फैसले जल्द हो सकेंगे। एक कानून होने से देश में एकता बढ़ेगी, जिससे देश की उन्नति और विकास होगा। साथ ही एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और वोटों की राजनीति पर अंकुश लगेगा।
-नीलिमा जैन , उदयपुर
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व्यावहारिक नहीं
देश में एक संगठन के द्वारा समान नागरिक संहिता की मांग समय-समय पर उठाई जाती रही है। भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है। देश में सभी धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं, जिनकी संस्कृति व रीति-रिवाज भी भिन्न हैं। देश का संविधान इन सभी को मान्यता देता है। दरअसल, संविधान में धारा 44 का हवाला देते हुए यह मांग की जाती है, जबकि संविधान में ही सभी धर्मों के लोगों को अपने अपने धर्म के अनुसार अपने रीति-रिवाज को मानने की स्वतंत्रता भी दी गई है। ऐसे में समान नागरिक संहिता लागू करना अव्यावहारिक नहीं होगा।
हारून रशीद, जयपुर
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जरूरी है समान नागरिक संहिता
आजादी के बाद देश में समय-समय पर कायदे और कानून में बदलाव होते रहे हैं। लोगों की जरूरतें और परिस्थिति को ध्यान में लेकर ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं। ऐसे समय में समान नागरिक संहिता लागू करना उचित होगा। देश का कानून किसी भी धर्म जाति समुदाय के ऊपर है। पूरे देश में एक ही कानून होना चाहिए।
-रितु शेखावत, पीपलू, टोंक
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उचित समय
इक्कीसवीं सदी के भारत में धर्म और जाति के बंधन ढीले पड़ रहे हैं। इसलिए समान नागरिक संहिता को लागू करने का यह उचित समय है। नीति निर्देशक तत्वों के तहत अनुच्छेद 44 में राज्य का कर्तव्य निर्धारित किया गया है कि राज्य नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता के लिए प्रयास करेगा। वर्तमान में इसे मूर्त रूप देने की आवश्यकता है, ताकि संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित राष्ट्र की एकता, अखंडता और बंधुता जैसे मूल्यों को बनाए रखा जा सके।
डॉ. शशिकांत बैरवा, मालपुरा, टोंक
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अलग-अलग कानून क्यों
देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए, क्योंकि जब देश एक है, संविधान एक है और झंडा एक है तो फिर धर्म, जाति, पंथ, सम्प्रदाय के लिए अलग-अलग कानून क्यों है? सबके लिए समान कानून होना चाहिए।
-महेश सक्सेना, भोपाल, मप्र
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धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाए
समान नागरिक संहिता का कानून विधि के समक्ष समानता के अधिकार को तो बल प्रदान करेगा, लेकिन यह कानून धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 25) के मतानुसार नहीं होगा। समान नागरिक संहिता पर सीधे एक साथ कानून न बनाकर इसे धीरे-धीरे अमल में लाना बेहतर होगा
-संजय दास , रायगढ़ , छत्तीसगढ़
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साबित होगा मील का पत्थर
आज का भारत धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठने के लिए प्रयासरत है। ऐसी स्थिति मे समान नागरिक संहिता को लागू करना मील का पत्थर साबित होगा। देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और पैतृक संपत्ति के लिए एक समान कानून होना चाहिए, ताकि भावी पीढिय़ां धार्मिक और जातिगत भावनाओं से ऊपर उठ सके।
-विनायक गोयल, रतलाम, मध्यप्रदेश
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एक ही कानून लागू हो
भारत अनेक धर्मों का देश है। कानून सभी धर्मों के लिए एक जैसा होना चाहिए। इसलिए समान नागरिक संहिता लागू अवश्य होनी चाहिए। ईसाई, सिख, हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम सबके लिए एक कानून लागू होना चाहिए।
-ईश्वर कौशिक, हनुमानगढ़
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ताकि न हो भेदभाव
देश में समान नागरिक संहिता न केवल आवश्यक है, अपितु प्रासंगिक भी है। धर्म, जाति, या अन्य कारण से प्रेरित किसी विशेषाधिकार या पूर्वाग्रह के लिए कानून में कोई स्थान नहीं होना चाहिए. तभी उसकी वैधानिक एवं मानवतावादी सार्थकता स्थापित होगी.
-वैभव बडोनिया, नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश
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जरूरी है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता वर्तमान समाज की महती आवश्यकता है। भारत के संविधान के अन्तर्गत नीति निर्देशक तत्वों में अनु. 44 राज्य को समान नागरिक संहिता बनाने का आदेश देता है। भारत में सभी नागरिक आपराधिक मामलों में समान विधि के तहत शासित होते हैं, लेकिन दीवानी मामलों यथा-विवाह, तलाक, उत्तराधिकार इत्यादि के सन्दर्भ में विधियों में वैविध्य हैं। यह खत्म होना चाहिए।
-महावीर सिंह सोलंकी, जैसलमेर
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मजबूत होगी एकता
देश में समान नागरिक संहिता लागू होने से महिलाओं, खासतौर से मुस्लिम महिलाओं को अधिक हक मिलेंगे। इसके लागू होने पर देश की एकता मजबूत होगी। अदालतों में मुकदमे जल्दी हल होंगे। वर्तमान में गोवा में यह सफलतापूर्वक लागू है।
-भारती अग्रवाल, रामगढ़, अलवर

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