भारत में धर्म की महानता पर अंधविश्वास का बड़ा साया रहा है। हाल ही में बाबा गुरमीत राम रहीम के द्वारा अनेक महिलाओं, बालिकाओं के साथ यौन शोषण तथा अन्य अपराध घटित करना, इसका ताजा उदाहरण है।
तंत्र मंत्र, जादू टोना तथा धर्म के नाम पर लोगों को अपने अनुयायी बनाकर ठगने वालों की सूची भारत में बहुत लंबी है। केवल गरीब और कम पढ़े-लिखे ही नहीं, विद्वान व करोड़पति, अरबपति लोग भी इन बाबाओं के आगे नतमस्तक हैं।
माना कि व्यक्तियों का जीवन अधिकतर कठिनाइयों से भरा है। कोई अमीर होकर अनेक बीमारियों से ग्रस्त है या अपने घरेलू अथवा व्यावसायिक समस्याओं से पीडि़त है। युवा पीढ़ी रातों-रात धनवान बनने या तरक्की पाने का स्वप्न पाले हुए है। अधिकतर पाखण्डी बाबा तो ऐसे ही लोगों की ताक में हैं। उन्होने अपनी ठगी, ढोंग तथा झूठे करिश्मे के कार्यों के लिए अनेक दलाल बनकर अपनी मार्केटिंग कर रखी है। हमारी धर्मान्धता ही इन बाबाओं की उपस्थिति तथा पनपने का बड़ा कारण हैं। व्यक्ति विवेकशील तथा शिक्षित होकर भी इन पाखण्डी धर्मगुरुओं या बाबाओं के शिकार हो जाते हैं।
यदि उनके पास कोई चमत्कार होता तो वे स्वयं धन एवं अन्य वैभव की सुविधा अर्जित करने में क्यों स्वयं इधर-उधर भटकतें? यदि यह तथ्य लोगों को समझ में आ जाए तो ऐसे बाबा व पाखण्डी पनपे ही नहीं। आपको अनेक समाज में भी ऐसे पाखण्डी बाबा व गुरु मिल जाएंगे। उनके प्रभाव एवं वर्चस्व के डर से लोग भयभीत होकर चुप रहते है तथा उनके विरूद्ध बोलने की हिम्मत तक नहीं करते।
अब सवाल यह उठता है कि जो बाबा आरोपित होकर गिरफ्तार हो गए, जिन्हें जेल हो गई, तो फिर सरकार उनकी चल अचल सम्पत्ति को जप्त करने तथा पुन: पुरानी गतिविधियां शुरू करने पर पाबंदी लगाने के उपाय क्यों नहीं करती? क्या कहीं ऐसा तो नहीं कि राजनेता व सरकारी अधिकारियों का भी ऐसे तथाकथित धर्मगुरूओं और बाबाओं से हित सधता है?