scriptआतंक पर हमला | Surgical Strike 2: Indian air force Attack on Terror | Patrika News
ओपिनियन

आतंक पर हमला

पाक को समझना होगा कि वह जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे संगठनों को सरपरस्ती देगा तो फिर उससे बैर के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचेगा।

जयपुरFeb 27, 2019 / 06:07 pm

dilip chaturvedi

what i told you That is fact says gen ranbir over surgical strike

Surgical Strike 2

भारतीय सेना ने मंगलवार को पाकिस्तान में एक और सर्जिकल स्ट्राइक करके यह साबित कर दिया कि यदि उसके हाथ खोल दिए जाएं तो दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में उसका कोई सानी नहीं है। उसने 1948 के कबायली हमलों, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों और करगिल में यह पहले भी साबित किया है। सवा दो साल पहले उरी में हुए ऐसे ही आतंकी हमले के बाद वह सर्जिकल स्ट्राइक का एक जौहर दिखा चुकी थी। इतिहास में अगर 1962 जैसे मौके दर्ज भी हैं तो वह राजनीतिक नेतृत्व की सदाशयता और मित्रता के दावों पर अंधविश्वास के कारण। यह भी सच है कि हम शासन की सर्वोत्तम प्रणाली ‘लोकतंत्र’ में जी रहे हैं और उसमें जनता के वोटों से चुनी हुई सरकार ही ‘सर्वोच्च’ होती है। हम पाकिस्तान नहीं हैं, जहां आएदिन सेना, निर्वाचित सरकारों का तख्ता पलट देती है या जितने दिन चुनी हुई सरकार चलती है, सेना की ऑक्सीजन पर। पुलवामा के आत्मघाती आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के बाद देश में गुस्से और आतंकियों सहित पाकिस्तान से बदला लेने का जो माहौल था, उसे भारत सरकार ने सही पहचाना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले दिनों में कई बार इसका स्पष्ट संकेत दे चुके थे। उनकी ओर से सेना को दिन, समय, तरीका व जगह का चयन करने की छूट देने से ही लग रहा था कि कुछ बड़ा होगा। ऐसे में 40 की जगह 400 आतंकियों के उस शिविर को नेस्तनाबूद करना सराहनीय है, जिसमें मसूद अजहर के दो भाई और एक सा** भी शामिल थे।

सराहना इस बात की भी की जानी चाहिए कि आम चुनाव से ठीक पहले देश की जनता ही नहीं, देश के तमाम राजनीतिक दल भी आतंकवाद के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई में सरकार के साथ हैं और सभी ने मंगलवार की सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया है। पाक प्रायोजित आतंकवाद पर हुए इस दूसरे बड़े हमले के बाद शुरुआती तौर पर विश्व समुदाय की जो प्रतिक्रियाएं आई हैं, वे हमारा मनोबल बढ़ाने वाली हैं। हमें इस अवसर और माहौल का लाभ उठाकर, आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने का काम करना चाहिए। इसके लिए जम्मू-कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर दोनों ही क्षेत्रों में बड़े ऑपरेशन की जरूरत है। यह मानकर चलना चाहिए कि पीठ पर चीन का हाथ रहते पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है, लेकिन भय से बड़े-बड़े भूतों के भागने की कहावत हमारे यहां सैकड़ों सालों से है।

जरूरत इस बात की है कि हम पाकिस्तान को साफ-साफ बता दें कि हमारा एक देश के नाते उससे कोई विरोध नहीं है, पर वह मसूद अजहर सहित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे संगठनों को पनाह और सरपरस्ती देगा तो फिर उससे बैर के अलावा हमारे पास कोई रास्ता भी नहीं बचेगा। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान के पास समय सीमित और चुनौतियां अपार हैं। सेना की ओर से उनका तख्ता पलटने की आशंका उनमें से एक है। ऐसे में दूसरी भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक उनके लिए भी अवसर है कि वे पाकिस्तान को आतंकवाद से मुक्त कराने में भारत के साथ आएं, बनिस्पत कि भड़काऊ कार्रवाई कर युद्ध का माहौल बनाएं। सब कुछ के बावजूद हमें तो हर पल चौकन्ना रहना ही है ताकि 1962 ना दोहराया जाए।

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