सराहना इस बात की भी की जानी चाहिए कि आम चुनाव से ठीक पहले देश की जनता ही नहीं, देश के तमाम राजनीतिक दल भी आतंकवाद के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई में सरकार के साथ हैं और सभी ने मंगलवार की सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया है। पाक प्रायोजित आतंकवाद पर हुए इस दूसरे बड़े हमले के बाद शुरुआती तौर पर विश्व समुदाय की जो प्रतिक्रियाएं आई हैं, वे हमारा मनोबल बढ़ाने वाली हैं। हमें इस अवसर और माहौल का लाभ उठाकर, आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने का काम करना चाहिए। इसके लिए जम्मू-कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर दोनों ही क्षेत्रों में बड़े ऑपरेशन की जरूरत है। यह मानकर चलना चाहिए कि पीठ पर चीन का हाथ रहते पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है, लेकिन भय से बड़े-बड़े भूतों के भागने की कहावत हमारे यहां सैकड़ों सालों से है।
जरूरत इस बात की है कि हम पाकिस्तान को साफ-साफ बता दें कि हमारा एक देश के नाते उससे कोई विरोध नहीं है, पर वह मसूद अजहर सहित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे संगठनों को पनाह और सरपरस्ती देगा तो फिर उससे बैर के अलावा हमारे पास कोई रास्ता भी नहीं बचेगा। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान के पास समय सीमित और चुनौतियां अपार हैं। सेना की ओर से उनका तख्ता पलटने की आशंका उनमें से एक है। ऐसे में दूसरी भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक उनके लिए भी अवसर है कि वे पाकिस्तान को आतंकवाद से मुक्त कराने में भारत के साथ आएं, बनिस्पत कि भड़काऊ कार्रवाई कर युद्ध का माहौल बनाएं। सब कुछ के बावजूद हमें तो हर पल चौकन्ना रहना ही है ताकि 1962 ना दोहराया जाए।