हार्डेन इस बात पर सहमति जताती हैं कि अनुवांशिक मतभेद सामाजिक हस्तक्षेप के मूल्यों को अमान्य करार देते हैं। वे एक प्रगतिशील उदारवादी हैं जो एक निष्पक्ष और अधिक समानता वाले समाज निर्माण के लिए समर्पित हैं। उनकी यह किताब दो भागों में है-पहले भाग में ऐसे अनुवांशिक मतभेदों का विवरण है, जो हमें आपस में बांटते हैं। दूसरे में ऐसे उपाय हैं, जो हमें आपस में एकता के सूत्र में बांधते हैं। वे दो सवाल उठाती हैं। मानव असमानता के अनुवांशिक आधार पर दावों में कितना दम है? और अगर है तो क्या सामाजिक उपायों से अनुवांशिक मतभेदों के प्रभावों को मिटाया जा सकेगा?
कई अध्ययनों के अनुसार, हम यह जानते हैं कि हमारे बहुत से गुण जैसे शारीरिक नाक-नक्श, स्वास्थ्य, आई क्यू और मानसिक रोग हमारे जीन से तय होते हैं। इससे रूढि़वादियों को आनुवांशिक अवधारणा को मानने के लिए प्रोत्साहन मिला है। हालांकि वे गलत सोचते हैं कि आप अपनी अनुवांशिक आदतें नहीं बदल सकते।
उदाहरण के लिए नजर का कमजोर होना भी अनुवांशिक तौर पर ही तय होता है। इसका समाधान है-चश्मा, जो हमें देखने की समानता देता है। हार्डेन डीएनए आधारित तरीके से तय करती हैं कि जीनोम का कौनसा अंश लोगों में अंतर का कारण बनता है। केवल डीएनए वैरियेंट पहचानने की जरूरत है जैसे कि जी या टी।
हालांकि यहां हार्डेन का फोकस शिक्षा पर है, जिसका जीनोटाइपिक स्कोर ‘राष्ट्रीय समृद्धिÓ में किसी व्यक्ति की भागीदारी से जुडा़ है। शैक्षिक उपलब्धि में 12 प्रतिशत अंतर वंशानुगत कारणों से आता है। जैरी ए. कॉयन शिकागो विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और विकास विभाग में प्रोफेसर एमेरिटस हैं। वह ‘व्हाई इवोल्यूशन इज ट्रू’ और ‘फेथ बनाम फैक्ट: व्हाई साइंस एंड रिलिजन आर इनकंपैटिबल’ के लेखक हैं।
(द वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत)
(‘द जेनेटिक लॉटरी: व्हाई डीएनए मैटर्स फॉर सोशल इक्वेलिटी’ पुस्तक के प्रकाशक: प्रिंसटन, पृ.सं.: 300, मूल्य: 29.95 डॉलर)