यह समझना बेहद जरूरी है कि विश्वसनीय सूचना तक पहुंच से हम कई जिंदगियां बचा सकते हैं, जबकि इसके विपरीत गलत सूचनाएं और अफवाहें कई तरीकों से भारी पड़ सकती हैं। यह वह सबक है जो हमने हाल के वर्षों में अपनी गलतियों से सीखा है। चाहे कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई हो अथवा किसी सार्वजनिक मुद्दे पर बहस पर सहमति देनी हो, हमें नींव के रूप में निष्पक्ष, विश्वसनीय और स्वतंत्र जानकारी की जरूरत होती है जिस पर लोकतांत्रिक समाजों का निर्माण किया गया है।
यही कारण है कि यूनेस्को के लिए सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है और यह इसके संविधान में भी निहित है। और इसी कारण इस मौलिक मानव अधिकार को सतत विकास के वर्ष 2030 एजेंडा के लक्ष्यों में भी शामिल किया गया है। और अंतत:, इसी कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 28 सितंबर को आइडीयूएआइ के रूप में मान्यता दी। इस दिन यूनेस्को में शामिल देश, संयुक्त राष्ट्र के बाकी देशों के साथ अभिस्वीकृत करते हैं कि यह अधिकार डेटा, सूचना और जानकारी प्राप्त करने की कुंजी है और नागरिकों को अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने के प्रयासों में सशक्त बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय दिवस पर होने वाले आयोजन यह आह्वान करने का अवसर प्रदान करते हैं कि किस तरह सूचना का अधिकार लोगों को समकालीन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है, साथ ही सूचना की सार्वजनिक पहुंच के वैधानिक अधिकारों के महत्त्व पर भी बल देता है। हालांकि, निर्बाध सूचना उपलब्ध कराने की हमारी प्रतिबद्धता केवल तभी प्रभावी होगी जब वह वाकई में सार्वभौमिक होगी। दूसरे शब्दों में, जब इससे कोई भी अछूता नहीं रहेगा। इसीलिए हम दुनिया के सभी देशों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे इस क्षेत्र में कानून बनाएं और कानून के क्रियान्वयन को मजबूत करने की गारंटी दें। सरकारों को सुरक्षित और पारदर्शी डेटा संग्रह सुनिश्चित करना चाहिए, अकाउंटिंग में मजबूती लानी चाहिए ताकि सटीक विश्लेषण हो सके।
सरकारों को अंतरराष्ट्रीय निजता संबंधी मानकों के मुताबिक इन प्रयासों में तालमेल बैठाना चाहिए। यूनेस्को में, हम दृढ़ता से विश्वास रखते हैं कि सूचना की सुलभता सतत विकास के स्तम्भ तथा सभी मानवाधिकार के उन्नयन और संरक्षण के रूप में समझी जानी चाहिए। जैसे हम सामान्य चुनौतियों का सामना करने के लिए समाज को अनुकूल बनाते हैं, वैसे ही सूचना का अधिकार अधिक सुविज्ञ और लचीले भविष्य को सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के केन्द्र में होना चाहिए।
इन्हीं प्रयासों के तहत यूनेस्को व उसके सहयोगी संस्थान 28 और 29 सितंबर को इस संबंध में छह ऑनलाइन वेबिनार करेंगे जिनमें सूचना तक पहुंच के लिए कानून बनाने और उनके क्रियान्वयन की केन्द्रीय भूमिका पर जोर दिया जाएगा।