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तंबाकू पूरी तरह से प्रतिबंधित करके बचाई जा सकती हैं जानें

तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में नुकसानदायक है। तंबाकू का सेवन और धूम्रपान हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करता है। तंबाकू सेवन से मानव शरीर में फेफड़े, मुंह, आहार नली, मूत्राशय, श्वास नली व अग्नाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

May 31, 2023 / 09:49 pm

Patrika Desk

तंबाकू पूरी तरह से प्रतिबंधित करके बचाई जा सकती हैं जानें

तंबाकू पूरी तरह से प्रतिबंधित करके बचाई जा सकती हैं जानें


डॉ. पंकज जैन
एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज, कोटा


‘हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया..।’ साहिर लुधियानवी के इस गीत में छिपे मर्म की तह तक जाएं, तो पाते हैं कि तंबाकू की लत से ग्रसित आबादी एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है, जिसे तंबाकू महामारी से परिभाषित किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू महामारी कई बड़े जन स्वास्थ्य जोखिमों में से एक बड़ा जोखिम है, जो प्रति वर्ष करीब 8 मिलियन से भी अधिक लोगों की मौतों के लिए जिम्मेदार है। दु:ख की बात यह है कि इनमें से 1.2 मिलियन लोग तो वे हंै, जिन्होंने कभी तंबाकू का इस्तेमाल किया ही नहीं है और अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू के संपर्क में आए।
तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में नुकसानदायक है। तंबाकू का सेवन और धूम्रपान हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करता है। तंबाकू सेवन से मानव शरीर में फेफड़े, मुंह, आहार नली, मूत्राशय, श्वास नली व अग्नाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके सेवन से कई हृदय रोगों, फेफड़ों की बीमारी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज ( सीओपीडी), डायबिटीज, स्ट्रोक, महिलाओं में बांझपन, जन्म के समय शिशु का कम वजन, जन्मजात विकार और नपुंसकता की आशंका बढ़ जाती है। अप्रत्यक्ष धूम्रपान के संपर्क में आने वाले लोगों में हृदय रोगों की आशंका 25-30 प्रतिशत तथा स्ट्रोक की संभावना 20-30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। तंबाकू के अपने आर्थिक नुकसान भी हंै, जो तंबाकू के कारण होने वाली बीमारियों पर खर्च एवं तंबाकू के द्वारा रुग्णता जनित प्रशिक्षित व कुशल मानव श्रम शक्ति की हानि के रूप में परिलक्षित होते हंै। मूलभूत घरेलू आवश्यकताओं को छोड़ तंबाकू उत्पादों पर खर्च की आदत परिवार व समाज को गरीबी की तरफ धकेलती है। तंबाकू पर्यावरण को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 35 लाख हेक्टेयर उपजाऊ भूमि तंबाकू उत्पादन के लिए परिवर्तित कर दी जाती है। तंबाकू की खेती में अत्यधिक मात्रा में खाद व कीटनाशकों का उपयोग होता है, जो मिट्टी की गुणवत्ता व उर्वरता को क्षीण कर देते हैं, जिसके चलते यह भूमि अन्य फसलों के लिए अनुपयोगी हो जाती है, जो आगे चलकर विश्व में खाद्यान्न असुरक्षा को बढ़ावा देती है। तंबाकू की खेती के कारण प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर 2 लाख हेक्टेयर वनों की कटाई भी हो जाती है। तंबाकू से जुड़े इन नकारात्मक पहलुओं को देखते हुए डब्ल्यूएचओ द्वारा इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम, ‘हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहींÓ रखी गई है। तंबाकू किसानों को खाद्यान्न से संबंधित वैकल्पिक फसलों के उत्पादन के लिए जागरूक व प्रोत्साहित करने की दिशा में यह पहल उपयोगी साबित होगी। तंबाकू से होने वाली बीमारियों एवं मौतों की रोकथाम का एकमात्र उपाय है- तंबाकू उपयोग पर पूर्ण रोक। धूम्रपान एक वैश्विक समस्या है, जिसके लिए स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित राजनीतिक और गैर राजनीतिक प्रयास जरूरी हैं।
लोगों को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना होगा। जो स्वेच्छा से इसे छोडऩे के लिए प्रेरित होता है, उसे नशा मुक्ति की विशिष्ट चिकित्सा प्रदान करानी होगी। इस दौरान परिवारजनों की भूमिका अहम होती है। विधायी व प्रतिबंधित उपायों में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर नियंत्रण, इन उत्पादों पर अधिक कर, सार्वजनिक एवं कार्यस्थलों पर इनके प्रतिबंध की कड़ाई से पालना, तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों, संवर्धन व प्रायोजित गतिविधियों पर व्यापक स्तर पर रोक की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने भी इस दिशा में 2007 में व्यावहारिक व किफायती उपाय सुझाए थे, जो आज भी प्रभावी हैं। वैश्विक स्तर पर पूर्ण तंबाकू निषेध आज की महती आवश्यकता है। चिंता की बात यह है कि आज की युवा पीढ़ी व किशोर तंबाकू उत्पादों की लत की गिरफ्त में बुरी तरह से फंस चुके हैं और इस बात को धुएं में नहीं उड़ाया जा सकता है।

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