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जनता विरथ है पर…

निगहबान
 

Aug 28, 2021 / 07:41 am

Sandeep Purohit

जनता विरथ है पर…

संदीप पुरोहित
गई होली पर रंग से नहीं गुस्से से लाल थे उदयपुरवासियों के चेहरे। नौकरशाह बड़े से बड़े काम को हल्के से निपटा देते है। निरीह जनता अक्सर देखती रह जाती है। ठीक ऐसा ही काम पिछली होली को उदयपुर नगर निगम के अफसरों ने किया। आखिर किसके इशारे पर महज 11 फीट गहरी झील में क्रूज उतरवा दिया? पेयजल की इस झील में जनता को पीने के लिए कितना प्रदूषित पानी मिलेगा, इसकी लेश मात्र भी चिंता इनको नहीं है।
अफसरों का साहस देखिए क्रूज को पानी में उतारने के लिए संबंधित विभागों की एनओसी चाहिए थी पर बिना किसी से एनओसी लिए निगम ने आदेश जारी कर दिया झील में क्रूज उतारने का। होली के दिन निगम का यह काला रंग जनता के सामने खुलकर आ गया। शहर होली के रंग में सरोबार था पर जैसे ही क्रूज को झील में उतारने की खबर आई तो झील प्रेमियों व शहरवासियों की धडकऩें बढ़ गई।
पत्रिका के दफ्तर में और हमारे रिपोर्टर्स के पास टेलीफोन की घंटियां दनदनाने लगी, क्रूज उतरने की खबर की पुष्टि के लिए। पत्रिका ऑफिस में ऑनलाइन के लिए कार्य कर रही टीम लगातार इस खबर को अपडेट करती रही। हरेक की जुबां पर यही प्रश्न था कि आखिर ऐसे कैसे क्रूज उतार दिया? आश्चर्य इस बात का है कि बिना एनओसी लिए आखिर निगम क्रूज को उतारने की इजाजत कैसे दे सकता है? निगम से जब भी इस बारे में पूछा गया तो यही जवाब था कि ट्रायल के लिए उतारा गया, तो क्या होली से अब तक ट्रायल जारी है?
निगम ने जन भावनाओं को दरकिनार रखकर क्रूज को झील में उतारा है, पर वह शायद यह भूल गया है कि जनता जर्नादन होती है। भले ही निगम आज सत्ता के रथ पर सवार है और जनता विरथ है, पर आदिकाल से इतिहास गवाह है कि रथी नहीं विरथी ही युद्ध जीते हैं। अहंकार हारा है, असत्य पराजित हुआ है, सत्य कुछ समय के लिए परेशान हो सकता है, लेकिन अंतत: विजय सत्य की ही होती है। इस मामले में भी यही हुआ है।
दोनों राजनीतिक दल (भाजपा व कांग्रेस) ने जन भावनाओं को तवज्जो नहीं दी। अगर दी होती तो मामला कोर्ट में जाने की बजाय निगम में ही सुलट जाता पर ऐसा नहीं हुआ। अंतत: झील को बचाने के लिए जनता को न्यायालय की शरण में जाना पड़ा और कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया, जो भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा।
कोर्ट का नगर निगम आयुक्त को अपने खर्चे पर क्रूज बाहर निकालने का आदेश देना अपने आप में सब कुछ बयां कर देता है। बेहतर होगा नगर निगम अपनी गलती सुधारे, क्रूज को बाहर निकाले, निविदा को निरस्त करें और संबंधित पक्षकारों को, जो नुकसान हुआ उसकी भी भरपाई करें। किसी के बहकावे में न आकर निगम के चुने हुए प्रतिनिधियों को न्यायलय का आदेश मानते हुए क्रूज को बाहर निकलवाकर प्रकरण को खत्म कर देना चाहिए।

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