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अमरीकी विदेश नीति को नई दिशा के संकेत

– अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि नुकसान की भरपाई रातोंरात नहीं हो सकती

नई दिल्लीFeb 06, 2021 / 07:36 am

विकास गुप्ता

अमरीकी विदेश नीति को नई दिशा के संकेत

अमरीकी विदेश नीति को नई दिशा के संकेत

मैक्सबूट

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने विदेश नीति संबंधी अपने पहले भाषण में संकेत दिए कि उन्होंने ‘नुकसान’ की भरपाई करनी शुरू कर दी है। चार साल से चली आ रही ‘अमरीका फस्र्ट’ नीति से अलग बाइडन के वक्तव्य में ताजगी और अमरीकी विदेश नीति को नई दिशा देने की झलक साफ दिखाई दे रही थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर बाइडन ने इस बात को स्पष्ट तौर पर रेखांकित किया कि इस संदर्भ में जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई रातोंरात नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा ‘हमने अमरीका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की बहाली की ओर तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं।

बाइडन ने दावा किया कि ‘अमरीका लौट आया है, कूटनीति लौट आई है। ‘उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पिछली सरकार के चार साल के कार्यकाल के दौरान अपनाई गई विदेश नीति के चलते अन्य राष्ट्र अमरीका के प्रति अपना विश्वास खो देते। लोग ऐसे देश पर क्यों विश्वास करेंगे, जो महामारी से उपजी स्थिति को ठीक से नहीं संभाल पाया और हाल ही उसकी राजधानी में विद्रोह हुआ हो? इसे लोकतंत्र का अनादर करने के ट्रंप के प्रयासों से जोड़ते हुए बाइडन ने कहा कि अमरीकी जनता ऐसी घटनाओं से और मजबूत व दृढ़निश्चयी होकर निकलेगी। परन्तु अगर सीनेट ने ट्रंप को बरी करने के पक्ष में मतदान किया तो यह उचित नहीं होगा। बाइडन निस्संदेह अमरीकी कूटनीति को पुनर्जीवित करने और विश्व में फिर से खड़ा करने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

बाइडन के संबोधन में दो बातें महत्त्वपूर्ण थीं। पहली, कोरोना महामारी से लेकर जलवायु परिवर्तन का सामना करने जैसी वैश्विक चुनौतियों के बारे में तथा दूसरी, यह कि इन चुनौतियों का सामना पूरा देश एकजुट रह कर ही कर सकता है। बाइडेन ने कहा कि ‘मैंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि अब अमरीका में रूस की दखलंदाजी के दिन लद गए, भले ही हमारे चुनाव हों या साइबर हमले हों।’ बाइडन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अमरीका यमन में सऊदी अरब के आक्रामक रवैये का अब और समर्थन नहीं करेगा। ट्रंप सरकार जाने के बाद नए राष्ट्रपति का ऐसा संबोधन मायने रखता है।
(लेखक विदेश नीति विश्लेषक हैं)
वॉशिंगटन पोस्ट

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