-महेश मावई, मुरैना, मध्यप्रदेश
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कोरोना विस्फोट के लिए उत्तरदायी कारण है कोरोना के प्रभाव को नजरअंदाज करना। इसमें जितनी भूमिका सरकार की है, उतनी ही आम नागरिक की। दोनों ने कोरोना को नजरअंदाज कर दिया, जिसका दुष्परिणाम सामने है
-धीरज शर्मा, खंडवा, मध्यप्रदेश
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कोरोना के खिलाफ हमारी सबसे बड़ी चूक जागरूकता की कमी रही। हमारे देश के लोगों ने कोरोना को सामान्य बीमारियों की तरह समझा और कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं की। हमारे देश की सरकार और नेताओं ने खुद कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जिया उड़ाईं, जिससे जनता पर गलत प्रभाव पड़ा। सरकार ने टीकाकरण में भारत के लोगों को प्राथमिकता न देकर विदेशों को वैक्सीन का निर्यात किया, जिससे देश में वैक्सीन की हो गई।
-उत्तम पूनिया, झुंझुनूं
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चुनाव प्रचार के लिए जमा भीड़ ने कोरोना संक्रमण बढ़ाया। टीकाकरण ने आम व्यक्ति में निश्चिंतता का भाव पैदा करते हुए लापरवाही की ओर धकेला। कोरोना के प्रति जागरूकता कार्यक्रम तो अनवरत रहा, किन्तु रोजमर्रा की जिंदगी में ढिलाई भी पूरी तरह नजर आई।
-मनोज जैन, टोंक
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कोरोना के खिलाफ चल रही जंग के बीच बीमारी के टीके की खबर से लोगों में खुशी की लहर तो फैली, लेकिन साथ ही लापरवाही भी बढ़ गई। यह धारणा बन गई कि अब सभी ठीक हो जाएंगे। इस धारणा ने लापरवाही को इतना बढ़ा दिया कि शिक्षित लोग भी मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना जैसी आवश्यक सावधानियों को भुला बैठे। इसका परिणाम यह रहा कि संक्रमण की दूसरी लहर अत्यधिक तेजी से फैलने लगी। केवल जन जागरूकता एवं सावधानी ही इस बीमारी से बचाव का रास्ता है।
-विकास गामोट, पालोदा, बांसवाड़ा
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भारत में टीकाकरण शुरू होने के बाद लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया कि अब तो इस बीमारी पर विजय प्राप्त कर ली गई है। इसके बाद लोगों के चेहरे से मास्क गायब होने लगे। सार्वजनिक जगहों पर जाने के बावजूद बेपरवाही बढ़ती चली गई। बहरहाल, इस टीकाकरण ने लोगों के अंदर थोड़ा-बहुत भी कोरोना बीमारी के लिए जो भय था, उसे खत्म कर दिया। सरकारी तंत्र को इस दौरान ज्यादा जिम्मेदारी दिखानी थी, लेकिन वह अपनी कामयाबियों के ढोल पीटने में अधिक व्यस्त हो गया। इसका असर यह हुआ कि निचले स्तर पर जिस प्रशासन को सख्त रहना था, लोगों को अब भी अनुशासन में बांधे रखना था, वह सुस्त होता चला गया।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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जब देश में कोरोना कमजोर पड़ रहा था, उस समय दुनिया के कई देशों में इसके अलग-अलग वेरिएंट सामने आ रहे थे। ऐसे समय में हमें सावधानी बरतनी चाहिए थी। जनता ने इसको हलके में ले लिया। साथ ही केंद्र सरकार को भी कुछ और अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय पाबंदी और सख्ती बनाए रखनी चाहिए थी। भारत में जब तक हम इस पर पूर्ण रूप से काबू नहीं पा लेते और पर्याप्त वैक्सीन भंडार विकसित नहीं कर लेते तब तक हमें दूसरे देशों की यात्रा पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना चाहिए था।
-रामस्वरूप चौधरी, अजमेर
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हमारे देश में एक से बढक़र एक सलाहकार लोग हैं। वे कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के लिए दूसरों को हजार हिदायतें देंगे, परंतु स्वयं मास्क भी नहीं लगाएंगे। सरकार को और सख्त हो जाना चाहिए और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर जुर्माना बढ़ा देना चाहिए।
-शिखा सिंघवी, अहमदाबाद
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कोरोना के खिलाफ लड़ाई में गाइडलाइन का ईमानदारी से पालन नहीं किया गया। क्षुद्र राजनीति ने सिर्फ अपने हितों को शीर्ष पर रखा। अब 50 प्रतिशत कोरोना वैक्सीन की खुले बाजार में बिक्री की अनुमति से टीकाकरण सरकार के नियंत्रण से बाहर हो जाएगा। खुले बाजार के टीके ‘आधार’ से कैसे नियंत्रित होंगे, बड़ा प्रश्न है।
-बाल कृष्ण जाजू, जयपुर
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केंद्रीय नेतृत्व की चुनावी व्यस्तता तथा समय रहते उचित फैसले नहीं ले पाने से समस्या ने विकराल रूप ले लिया। एक हद तक हम खुद भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि हम लोगों ने इस बीमारी को इतनी गंभीरता से नहीं लिया। आपदा को अवसर बनाने का सबक हमारे देश ने बेहतर सीखा। हर कोई अपनी मनमानी पर उतर आया।
-गौरव दुबे, भिंड, मप्र