आर्थिक असमानता का यह असर होने लगा हैं कि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब। इससे द्वेष-भावना पनपने लगी हैं।
– प्रियव्रत चारण, जोधपुर
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बढ़ती आर्थिक असमानता के कारण गरीब और अधिक गरीब तथा अमीर और अधिक अमीर होते जा रहें हैं। गरीब वर्ग आज भी भोजन, कपड़े और मकान जैसे मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं। शिक्षा तो उनसे कोसों दूर है। उनके बच्चे कुपोषण और असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। दूसरी ओर अमीर वर्गों के लोगों का बैंक बैलेंस बढ़ता जा रहा है। असमानता की यह खाई देश के विकास में बाधक है।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
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आर्थिक असमानता सामाजिक समरसता के लिए चुनौती है। देश में अमीर गरीब के बीच की खाई बहुत गहरी हो गई है। एक तरफ जहां देश के धनाढ्य विश्व के धनवान लोगों की सूची के ऊपरी पायदान के इर्द-गिर्द हैं तथा दूसरी तरफ बहुत बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन को मजबूर है। देश के मुट्ठी भर लोगों के पास अधिकांश संसाधन एवं पूंजी है। गरीब गरीब होता जा रहा है और अमीर अमीर होता जा रहा है।
-आर के यादव, नीमराना, अलवर
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लोगों की आमदनी और रोजगार घटे हैं। महंगाई से जीवन अस्त-व्यस्त चल रहा है। अमीरों को आसानी से बैंक से लोन मिल जाता है। डिफाल्टर होने पर भी कोई कानूनी कार्रवाई शीघ्र नहीं होती है। इसके विपरीत गरीब लोगों को लोन आसानी से नहीं मिलता है। महंगाई काफी बढ़ गई है। इससे सामाजिक ढांचा भी प्रभावित हुआ है। चोरी, डकैती जैसे अपराध बढ़े हैं।
-नूरजहां रंगरेज, भीलवाड़ा
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बढ़ती आर्थिक असमानता से गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो रहा है। दौलत चंद लोगों के पास सिमटती जा रही है।
– पारुल शर्मा, अंता, बारां
……….. आय की असमानता
पिछले कुछ सालों में आर्थिक सुधारों और नई आर्थिक नीतियों के लागू होने के बावजूद आर्थिक असमानता ज्यादा ही बढ़ी हैं। इसमें वृद्धि के लिए प्रमुख रूप से तेजी से होता निजीकरण और आय की असमानता जिम्मेदार है। निजीकरण के चलते लोगों को पूरा पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। इससे आर्थिक असमानता की खाई बढ़ रही है। आय असमानता और लाखों की संख्या में रोजगारों की कमी की वजह से गरीब, गरीब ही बना हुआ है और अमीर ज्यादा अमीर बनते जा रहे हैं। भारत के विकास के लिए, आर्थिक असमानता को दूर करने करनी होगी। संसाधनों और अवसरों के समान वितरण की व्यवस्था के बारे सोचना समय की मांग है।
-नरेश कानूनगो, देवास, मध्यप्रदेश.
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आर्थिक असमानता देश में गरीबी और लोगों में निराशा की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है। इससे समाज में तनाव बढ़ता है, जिसके चलते कई लोगों की जानें जा रही हंै। अपराध की दर बढ़ती है। समाज के लोगो में अपनापन घटता है।
– नगेंद्र चारण, जोधपुर
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आर्थिक असमानता के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे आवश्यक क्षेत्र में निवेश में कमी तथा हाल ही आई कोविड महामारी ने मजदूरी और आय की मांग पर विपरीत प्रभाव डाला है। बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने आर्थिक स्थिति को और कमजोर बना दिया।
-सवाई तंवर देवातु, जोधपुर