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आपकी बात, कोरोना महामारी से दुनिया को क्या सबक लेना चाहिए?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Dec 21, 2020 / 04:46 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात, कोरोना महामारी से दुनिया को क्या सबक लेना चाहिए?

आपकी बात, कोरोना महामारी से दुनिया को क्या सबक लेना चाहिए?

प्रकृति का रखना होगा ध्यान
वैश्विक महामारी कोरोना के दुष्प्रभावों से दुनिया का कोई भी कोना अछूता नहीं रहा। इस संकट के वक्त को व्यर्थ में नहीं जाने देने का संकल्प लेने के साथ इन चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने के लिए हर देश को प्रयास करना चाहिए। स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए घरेलू और आयुर्वेदिक चिकित्सा को अपनाना ही होगा। अनुशासित, संयमित और सुरक्षित जीवन शैली पर बल दिया जाए। स्वास्थ्य की दृष्टि से जल, जंगल, जमीन और हवा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हर देश को मुहिम चलानी चाहिए, ताकि भविष्य में आने वाली बीमारियों से निपटने में आसानी हो।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
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बढ़ गई आपसी दूरी
कोरोना महामारी ने लोगों के बीच दूरी बढ़ा दी है। यदि कोई व्यक्ति किसी के घर जाता है तो मेजबान सोचता है कि कहीं मेहमान के कोरोना तो नहीं है। मेहमान इस बात से आशंकित रहता है कि मेजबान के घर में कोई कोरोना संक्रमित तो नहीं है। इस तरह सभी भयभीत रहते हैं। बाहर खाना-पीना बहुत कम हो गया। लोग बेरोजगार हो गए। लोगों का घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया। लोगों ने यात्राएं भी कम कर दी हैं।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर,चूरू
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सब मिलजुल कर रहें
कोरोना से सभी को सबक लेना चाहिए। दुनिया को यह समझना चाहिए कि जीवन में कभी भी ऐसे भयंकर हालात पैदा हो सकते हैं। इसलिए सबको मिलजुल कर रहना चाहिए। जीवन को सार्थक बनाने के लिए काम करें। योग करें, अपने को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएं और दूसरों की मदद कर।
-शैलेंद्र गुनगुना झालावाड़
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चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान देना जरूरी
इंसान की जीवन शैली में समय के साथ निरंतर बदलाव आया है और इसी के साथ बीमारियां भी बढ़ गई हैं। कोरोना महामारी ने भी ऐसे लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जो आराम तलब हैं। बूढ़े और बीमार लोग कमजोर इम्युनिटी की वजह से इसकी चपेट में आए हैं। अब सभी को संभल जाना चाहिए। महामारियां आती रहती हैं। इसलिए चिकित्सा के इंतजाम ठीक करने ही होंंगे। इसके लिए बेहतर प्रबंधन जरूरी है।
-अशोक प्रजापति, अकलेरा, झालावाड़
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अपनी सीमा में रहें इंसान
प्रकृति पर जितना अधिकार मनुष्य का है, उतना ही हर जीव-जंतु का है। कोरोना महामारी का सबसे बड़ा सबक है कि मनुष्य को अपनी सीमा में रहना होगा। इंसान को अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह भी करना चाहिए। खुद जियो और दूसरों को भी जीने दो, के सिद्धांत का पालन करना चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ
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रहना होगा जागरूक
देश की जनता जब तक जागरूक नहीं होगी तब तक कोरोना जैसी महामारी को खत्म नहीं किया जा सकता। शासन -प्रशासन के साथ-साथ आम जनता का भी दायित्व है कि खुद जागरूक रहे और दूसरों को भी जागरूक करें। साथ ही मास्क, हैंड सैनिटाइजर और दो गज की दूरी पर विशेष ध्यान दिया जाए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़़
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न करेंं प्रकृति से खिलवाड़
हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। कोरोना वायरस ने हमें सबक दिया कि अगर प्रकृति से खिलवाड़ करोगे तो उसका परिणाम मानवता को भोगना होगा। आज प्रकृति के अति दोहन का परिणाम पूरा विश्व भोग रहा है।
– निर्मला विश्नोई, गंगानगर
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जीवन के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत नहीं
कोरोना ने समझा दिया है कि जीवन के लिए सिर्फ भोजन, पहनने के लिए एक जोड़ी कपड़ा और सर पर छत काफी है। देश की चिकित्सा सुविधाएं आधुनिक हों। देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान दिया जाए।
-रविशंकर तिवारी, सोडाला, जयपुर
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सबसे जरूरी है जीवन
कोरोना महामारी से इंसान को सबक तो बहुत से लेने चाहिए, लेकिन सबसे जरूरी बात है कि व्यक्ति जिन्दगी से खिलवाड़ ना करे। यह जीवन कोई खिलौना नहीं है। दूरियां रखें, मास्क पहनें, हाथ धोते रहें।
-रमेश सिधानियां, बोपल, अहमदाबाद
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जरूरी है बचत
महामारी से कई सबक लेने होंगे। हमेशा अपने धन का कुछ अंश हमें जरूर बचा कर रखना चाहिए। आज की बचत कल की मुस्कान है और अपनी भागदौड़ भरी जिन्दगी से समय निकाल कर अपने परिवार को भी समय देना चाहिए ।
-चैतन्य शर्मा, जयपुर
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प्रकृति से न करें खिलवाड़
कोरोना महामारी एक तरह से प्रकृति का पलटवार है। इतिहास गवाह है जब-जब मनुष्य ने प्रकृति का दोहन शोषण एक सीमा से अधिक किया है, प्रकृति ने अपनी नाराजगी जरूर जताई है। पिछले कुछ दशकों से मानव की क्रूरता में बहुत वृद्धि हुई है। इससे भी प्रकृति नाराज लगती है। बेहतर तो यह है कि इंसान अब प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करे।
-कविता चारण, नागौर
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आयुर्वेद का महत्व समझ में आया
कोरोनाकाल में आयुर्वेद, योग-प्राणायाम का महत्त्व समझ में आ गया है। आयुर्वेद को देश ही नहीं पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाने का समय आ गया है। इससे आयुर्वेदिक दवाओं के लिए बड़ा अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध होगा, जो भारत के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर

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